फ़िल्म जगत में जब भी किसी रियल स्टोरी पर भेज जाकर किसी की बायोग्राफी होती है तो अक्सर यह देखा गया है कि 3 घंटे की पुरी मूवी भी असली कहानी का हर पहलू अच्छी तरह बयांन नहीं कर पाती है। कई बार तो कहानी से जुड़ी कुछ खास बाते मूवी में बताएं ही नहीं जाते तो कई बार मूवी को एंटरटेनिंग बनाने के लिए स्टोरी में कई सारे फेरबदल के साथ काफी मिर्च मसाला भी ऐड कर दिया जाता है जिससे ऑडियंस तक असली कहानी पूरी तरह समझ नहीं पाते।
आज के इस वीडियो में हम आपको बताएंगे संजय लीला भंसाली की मूवी “गंगूबाई काठियावाड़ी” की असली कहानी उस लड़की की है जो 16 साल की उम्र में मुंबई के रेड लाइट एरिया में जा बिकी जिसके बाद उसने बड़ी ही बेबाकी से डॉन के घर जाकर उसे राखी बांध दी जिसके बाद उसकी पूरी दुनिया ही बदल गई। फिल्म “गंगूबाई काठियावाड़ी” उस गंगूबाई की कहानी को बताती है जो मुंबई में काम कर रहे सेक्स वर्कर्स के अधिकारो के लिए प्रधानमंत्री तक जा पहुंची थी।
एस हुसैन ज़ैदी की किताब “माफिया क्वींस ऑफ़ मुंबई” में गंगूबाई की कहानी के बारे में बताया गया है।काठियावाड़ गुजरात में रहने वाली गंगूबाई का असली नाम गंगा हरजीवनदास काठियावाड़ी था। वैसे तो उनके माता-पिता उन्हें पढ़ना लिखना चाहते थे लेकिन गंगा का मन किताबो में नहीं बल्कि काठियावाड़ से दूर मुंबई के फिल्मी जगत में गुम था। वह आशा पारेख और हेमा मालिनी की बहुत बड़ी फैन थी और उन्हीं की तरह एक मशहूर अभिनेत्री बनना चाहती थी।

गंगूबाई अभिनेत्री तो नहीं बन पाई लेकिन बेशक वह मशहुर जरुर हो गई। गंगूबाई जब 16 साल की थी तब उन्हें तब उससे एक रमणीक नाम के लड़के से प्यार हो गया। रमणीक गंगा केे पिता के लिए काम करता था लेकिन गंगा के घर वाले उन दोनो के रिश्ते केेेे खिलाफ थे। इसीलिए दोनों ने भाग कर शादी करने का फैसला किया और और काठियावाड़ छोड़कर बस सीधे मुंबई आ गए।
कुछ दिन साथ रहने के बाद गंगा के पति रमणीक ने गंगा से कहा कि वह उन दोनों के लिए घर देखने जा रहा है। और वह गंगा को अपनी मौसी के साथ रहने के लिए भेज देता है जिसके बाद गंगा की पूरी जिंदगी ही बदल जाती है उसकी मौसी गंगा को मुंबई के मशहूर रेड लाइट एरिया कमाठीपुर ले गई। क्योंकि गंगा के पति ने गंगा को धोखा दिया और उसे केवल 500 रुपए में बेच दिया थाा।
16 साल की गंगा यह बर्दाश्त नहीं कर पाई उसने अपने हालातो के साथ समझौता कर लिया क्योंकि अब वह चाहते हुए भी वापस काठियावाड़ नहीं जा सकती थी। जाहिर सी बात है भागी हूई गंगा के वापस आने के बाद अब उसका परिवार भी उसे स्वीकार नहीं करता गंगा हरजीवनदास अब गंगू बन चुकी थी।

एक बार की बात है शौकत खान नाम का एक पठान कमाठीपुरा आया था उसने गंगू के साथ जबरदस्ती की और उसके साथ बहुत खराब ढंग से पेश आया। कुछ दिनों बाद फिर से ऐसा हुआ और इस बार शौकत खान के बदसलूकी और बेरहमी के कारण गंगू की हालत इतनी खराब हो गई कि उसे हॉस्पिटल जाना पड़ा।
इस हादसे के बाद गंगू ने ठान लिया कि वह उस आदमी का पता लगा कर उसे सबक सिखा कर ही दम लेगी। लोगों से पूछताछ करने के बाद गंगू को पता चला कि उस आदमी का नाम शौकत खान है और वह मशहूर डॉन करीम लाला के लिए काम करता है। इस बात का पता चलते ही गंगू सीधे करीम लाला के पास जाती है करीम लाला गंगू को घर में नहीं बल्कि घर के छत पर बैठता है और वहीं गंगू के खाने पीने की व्यवस्था भी करता है।
यह देख गंगू समझ गई कि करीम उसे घर के अंदर नहीं जाने देना चाहता क्योंकि उसका घर पर भी अपवित्र हो जाएगा। ऐसे में गंगू ने खाने पीने की चीजो को हाथ भी नहीं लगाया और करीम लाला से कहा कि आपने मुझे घर में नहीं घर के छत में बैठाया है क्योंकि आपका घर अपवित्र हो जाएगा, ऐसे में मैं आपके रसोई के बर्तनो को भला क्यों अपवित्र करू।
करीम खान यह सुनकर हैरान रह गया उसने पूछा कि आखिर बात क्या है फिर गंगा ने उसे शौकत के बारे में बताया। यह बात सुनकर करीम ने उससे कहा कि तुम्हें अब डरने की कोई जरूरत नहीं अगली बार जब शौकत वहां आए तो मुझे बता देना मैं सब संभाल लूंगा।
यह बात सुनकर गंगा के आंख में आंसू आ गए उसने कहा कि आज तक किसी भी मर्द ने मुझे इतना सुरक्षित महसूस नहीं कराया है। उसके बाद गंगा ने अपने पर्स से एक धागा निकाला और करीम के हाथ पर बांध दी और बोली की आज से आप मेरे राखी भाई हैं। कुछ हफ्ते बाद एक बार फिर शौकत खान वहां जाकर वहां की महिलाओ से बदसलूकी कर रहा था जब गंगू ने करीम को इस बारे में जानकारी दी और फिर करीम ने वहां जाकर शौकत को मार मार कर अधमरा दिया।
वहां से निकलते वक्त उसने कहा कि गंगा मेरी राखी बहन है और जिसने भी आज के बाद उससे बदसलूकी करने के बारे में सोचा तो उसका भी यही हाल होगा। करीम लाला के ऐसा करने के बाद कमाठीपुरा में गंगू की धोस जमने लगी उसने कमाठीपुरा के घरेलू चुनाव में हिस्सा लिया और जीत हासिल करके गंगूबाई काठेवाली बन गई थी
गंगूबाई ने रेड लाइट एरिया की सेक्स वर्कर्स के हक के लिए कई बड़े काम कीए। चाहे इस काम से जुड़ी महिलाओ की सुरक्षा हो या उन पर हो रहे अन्याय गंगूबाई ने ऐसी महिलाओ को इंसाफ दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जिन भी लड़कियों को बिना उनकी अनुमति और धोखे से इस धंदे में लाया गया था गंगूबाई ने उन सभी को रिहा करवा कर वापस अपने घर भेज दिया।

अपने काम की वजह से गंगो धीरे-धीरे पावरफुल होती जा रही थी गंगूबाई जब भी भाषण देती तो वह लोगो को हिला कर रख देती थी। यही नहीं किताब के अनुसार एक समय ऐसा आया था जब कमाठीपुरा सेक्स वर्कर्स को हटाने की मांग की जा रही थी ऐसे में सेक्स वर्कर्स के अधिकारी के लिए गंगूबाई प्रधानमंत्री तक जा पहुंची। क्योंकि कमाठीपुरा की महिलाएं एक सदी से काम से जुड़ी थी और इस फैसले से उन सभी की जिंदगीयो पर काफी असर पड़ता।
ज़ैदी ने “माफिया क्वींस आफ मुंबई” में लिखा है कि नेहरू ने गंगूबाई से सवाल किया था कि वह धंधे में क्यों आई अगर वह चाहती तो उसे जॉब और पति दोनो मिल सकता था। इस बात पर वह कहती हैं कि अगर आप मुझे पत्नी के रूप में स्वीकार करने को तैयार है तो मैं अभी इसी वक्त हमेशा के लिए यह धंधा छोड़ दूंगी। जाहिर सी बात है नेहरू इस बात से खफा हुए साफ शब्दों में इंकार किया तब गंगूबाई ने उन्हें कहा कि प्रधानमंत्री जी नाराज मत होइए मैं सिर्फ अपनी बात साबित कर रही थी क्योंकि सलाह देना तो आसान है लेकिन उसे खुद अपनाना मुश्किल।
मुलाकात खत्म होने पर नेहरू ने गंगूबाई से वादा किया कि उनकी मांगो पर ध्यान दिया जाएगा और फिर कमाठीपुरा से वेश्याओ को हटाने का काम हमेशा के लिए रोक दिया गया। गंगूबाई कमाठीपुरा की महिलाओ के लिए मां के समान थी वहां की सेक्स वर्कर्स के पास आज भी उनकी तस्वीर है। उनके मौत के बाद उनकी स्टेच्यू बनवाई गई जो आज भी कमाठीपुरा में मौजूद है।