भगवत गीता ज्ञान का वह सागर है जिसकी कुछ बूंदें भी अगर किसी मनुष्य के जीवन पर पड़ जाए उसकी कुछ बाते भी मनुष्य अपने जीवन में ग्रहण कर ले तो उसका जीवन धन्य हो जाएगा। ऐसे में हो सके तो हर एक व्यक्ति को भगवत गीता में छुपे ज्ञान को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए।
दोस्तो श्रीमद्भागवत हिंदुओ का एक बहुत ही पवित्र ग्रंथ है। महाभारत का वह भाग जब भगवान श्री कृष्ण ने अपने मित्र अर्जुन को महाभारत के युद्ध में सलाह दी थी वही श्रीमद्भागवत गीता है। उस समय भगवान श्री कृष्ण ने जीवन के रहस्य अपने कथनो के माध्यम से अर्जुन को समझाएं थे। दोस्तो वह कथन आज भी हर व्यक्ति के जीवन में उतने ही महत्वपूर्ण और सही दिशा दिखाने वाले हैं जितने की महाभारत के समय अर्जुन के लिए थे।

ऐसे में अगर आपको भी जिंदगी कभी ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर दे जहां आप दोराहे की स्थिति में नजर आए तब आपकी हर एक परेशानी का जवाब भगवत गीता में मिल सकता है। हिंदू धर्म का यह भगवत गीता नाम का ग्रंथ महात्मा गांधी और उनके जैसे कई महापुरुषो के लिए उनका जीवन दर्शन रही है।
“परिवर्तन ही है इस संसार का नियम”
इस संसार में होने वाले सभी प्रकार के परिवर्तन को स्वीकार करने की क्षमता अगर हर एक व्यक्ति में हो जाती है तो वह हर समय हर परिस्थिति को स्वीकार लेता है और वह हमेशा ही सहमति और संतुष्टि से रहता है। क्योंकि भगवत गीता में इसका वर्णन किया गया है कि परिवर्तन ही संसार का नियम है जिसे कोई नहीं बदल सकता।
“जो हो रहा है अच्छा हो रहा है”
भागवत गीता अनुसार हर एक व्यक्ति को खुश और संतुष्ट रहने के लिए जीवन के हर एक पर हिंदुओं को स्वीकारने की आदत डालनी चाहिए और हर परिस्थिति में खुश रहने की आदत डालनी चाहिए व्यक्ति के जीवन में जो हो चुका है, जो हो रहा है और जो होने वाला है यह तीनो ही बेहद महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि व्यक्ति जो हो चुका है उसे लेकर परेशान है तो कहीं जो हो रहा है उसे लेकर परेशान है या कुछ लोग जो आगे चलकर होने वाला है इस बात से परेशान हैं। लेकिन हमेशा ही व्यक्ति को खुश रहने के लिए भगवत गीता के इस बात को याद करना चाहिए। जो भी हुआ वो अच्छे के लिए हुआ जो हो रहा है वह अच्छा हो रहा है और जो होगा वह भी अच्छा ही होगा।
“कर्म करो फल की चिंता मत करो”
भगवत गीता की यह पंक्ति हम सभी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है हम हमेशा पैसा, अच्छा घर, अच्छी गाड़ी और सुरक्षित भविष्य के लिए काम करते हैं। लेकिन ज्यादातर लोग जिंदगी को एक रेस समझ कर इसलिए दौड़ रहे हैं कि उन्हें जल्द से जल्द मंजिल मिल जाए और जब उन्हें मंजिल मिल जाती है तब उन्हें खुशी नहीं मिलती और फिर वह दुसरे मंजिल के लिए भागना शुरू कर देते हैं।

ऐसे में वह कभी यह समझ ही नहीं पाते कि आख़िर उन्हें चाहिए क्या ? इसी तरह भागते भागते जिंदगी का एक पल भी सुकून से नहीं जीते और अपना जीवन व्यर्थ में गवा देते हैं। दोस्तो इस बात का ध्यान रखे कि जिंदगी एक यात्रा है ना कि मंजिल और जिंदगी में खुशी आपको अच्छी यात्रा करने से मिलेगी ना कि अच्छी मंजिल प्राप्त करने से इसलिए हमेशा इस जीवन को जिंदादिली के साथ जिए।
“विश्वास करना सीखें”
भगवत गीता में वर्णन अनुसार कहा जाता है व्यक्ति जैसा विश्वास रखता है वह वैसा ही बन जाता है। मान लीजिए अगर आप सोचते हैं कि आप एक खुशमिजाज आदमी हैं और आप अपने बारे में हमेशा ही सकारात्मक सोचते हैं तो आपका स्वभाव भी खुशमिजाज और सकारात्मक होता है। लेकिन इसके विपरीत अगर आप हमेशा अपने आपको कोसते हैं और नकारात्मक बातें सोचते हैं। और नकारात्मक बातो पर ही विश्वास करते हैं तो धीरे-धीरे आपको आपका स्वभाव भी वैसा ही हो जाता है यह बात आप पर निर्भर करता है कि आप कैसा विश्वास रखते हैं।
“खाली हाथ आए थे खाली हाथ जाना है”
दुनिया में हर कोई इस बात से अवगत है कि हर इस दुनिया में सभी लोग खाली हाथ आते हैं और उन्हें खाली हाथ ही जाना होता है लेकिन फिर भी वह इस बात को मानते हैं। भगवत गीता अनुसार हम खाली हाथ आए थे और हमें खाली हाथ ही जाना है। दोस्तो हम इस दुनिया में हर एक चीज हासिल करने के लिए हर एक हद को पार करते चले जाते हैं। सही गलत सोचे बिना हर एक काम को करके ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने के पीछे भागते हैं। लेकिन कभी यह नहीं सोचते कि एक दिन तो हमें खाली हाथी ही जाना होगा। भगवत गीता अनुसार यह महत्व नहीं रखता कि आप कितना ज्यादा पैसा कमाते हैं महत्व यह रखता है कि आप इस पैसे में कितना ज्यादा खुश रहते हैं।
“संदेह से कभी खुशी नहीं मिलती”

संदेह के साथ हमारे दिमाग पर एक स्पष्ट विचारो का पर्दा छ जाता है संदेह हमें डरपोक और अस्थिर बना देता है। संदेह के कारण व्यक्ति कभी भी साहस भरे निर्णय नहीं ले पाता और वह कड़ी मेहनत करने के बावजूद हारे हुए व्यक्ति की तरह जिंदगी जीता है। इसीलिए अपने जीवन से इस संदेश नाम के दुश्मन को निकाल फेंकीए। व्यक्ति अपने विचारो के साथ ऊंचाइयो को भी छू सकता है तो इसके विपरीत वह खुद को गरा भी सकता है। क्योंकि हर एक व्यक्ति खुद का मित्र भी होता है और खुद का शत्रु भी, व्यक्ति अपने आपका बेहद अच्छा मित्र होता है उसके हर एक परेशानी का हल उसके खुद ही के पास होता है न कि किसी और के पास।
“आत्मा न जन्म लेती है और ना ही मरती है”
दोस्तो डर और भय के साथ हम अपने जीवन में कुछ भी नहीं कर सकते। भागवत गीता अनुसार आत्मा ना जन्म लेती है और ना ही मरती है ऐसे में बुरा होने के भय से हम पहले ही भयभीत क्यों हो?। व्यक्ति का जन्म ही मृत्यु होने के लिए हुआ है और मृत्यु के बाद भी व्यक्ति के उस आत्मा को फिर से इसी धरती पर आना है। ऐसे में भला है किस बात का भय, किस बात कि चिंता, भय सब व्यक्ति का वह दुश्मन है जो कभी व्यक्ति को उनकी जिंदगी में आगे बढ़ने नहीं देते। ऐसे में भय को छोड़कर आगे बढ़ना ही व्यक्ति को अपना स्वभाव बनाना चाहिए।