काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में ऐसी कई खास बातें हैं लेकिन इसकी सबसे बड़ी खास बात यह है कि यह एक बार फिर बाबा विश्वनाथ और माता गंगा की दूरिया घटा देंगे। काशी में ऐसा कहा जाता है कि गंगा माता कभी बाबा विश्वनाथ को छूते हुए प्रवाहित होती थी। लेकिन समय के साथ यह एक दूसरे से दूर हो गए और अब सदियो बाद यह फिर से सच होने जा रहा है। जब विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के दिन माता गंगा भी वहां बाबा विश्वनाथ के साथ नजर आने वाली है।
नए कॉरीडोर प्लान के अनुसार बाबा विश्वनाथ से गंगा मईया को सीधे जोड़ने के लिए एक पाइप लाइन बिछाई गई है। यह पाइपलाइन महाश्मशान मणिकर्णिका से सटे ललित घाट से मंदिर के गर्भगृह तक बिछाई गई है और इस पाइपलाइन से गंगाजल सीधे बाबाजी तक पहुंचेगा। और दूसरी पाइप लाइन से गर्भगृह में चढ़ने वाला दूध और गंगाजल वापस गंगा में समाहित हो जाएगा। जल और दूध को गंगा तक पहुंचाने के लिए बिछाई गई पाइप लाइन का ट्रायल किया जा चुका है।
मंदिर परिसर पर 108 पेड़ लगाए गए हैं
पानी के पाइप लाइन के अलावा पूर्व की ओर गंगा द्वार से मंदिर चौक, मंदिर परिसर से होते हुए धाम के पश्चिमी छोर तक 108 पेड़ लगाए गए हैं। प्रमुख तौर पर इन पेड़ो में बेल, अशोक और शमी के पेड़ है पहले फलदार वृक्ष भी लगाने की योजना बनाई गई थी लेकिन बाबा के भक्तो को बंदरो से बचाने के लिए यह योजना बाद में बदल दी गई। क्योंकि जब यह फलो के वृक्ष लगाए जाएंगे तो सामान्यतः बंदर भी भारी मात्रा में रहेंगे। निर्धारित दूरी पर पेड़ लगाने के लिए करीब 2 फुट प्यास के गड्ढे बनाए गए हैं और इनमें मिट्टी भी भरी जा चुकी है। देश के 52 हजार स्थानो पर श्री बाबा काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण समारोह का सीधा प्रसारण देखने की व्यवस्था की गई है जिसमें 27 हजार स्थान UP के हैं।
तीन भागो में बांटा गया है विश्वनाथ कॉरिडोर
विश्वनाथ कॉरिडोर को तीन भागो में बांटा गया है पहला मंदिर का मुख्य भाग है जो लाल बलुआ पत्थर से बना है। इसमें चार बड़े बड़े गेट भी लगाए गए हैं इसके चारो तरफ से प्रदक्षिणा पथ बनाया गया है। उस प्रदक्षिणा पथ पर संगमरमर के 22 शिलालेख लगाए गए हैं जिनमें काशी की महिमा का वर्णन किया गया है। इस कोरिडोर में 24 भवन भी बनाए जा रहे हैं।
बाबा भक्तो की सुविधा का रखा गया है ध्यान
इन भवनो में मुख्य मंदिर परिसर, मुमुक्षु भवन, मंदिर चौक, यात्री के लिए सुविधा केंद्र, मल्टीपरपस हॉल, चार शॉपिंग कंपलेक्स, सिटी म्यूजियम, जलपान केंद्र, वाराणसी गैलरी, गंगा व्यू कैफे आदि मौजूद होंगे। इस धाम की चमक बढ़ाने के लिए अलग-अलग प्रकार की 5 हजार लाइटे भी लगाई गई है और यह खास प्रकार की एक लाइट है जो दिन, दोपहर और रात में रंग बदल बदल कर जलेगी।
इस धाम के निर्माण का काम कर रही PSP कंपनी के CMD PM पटेल का कहना है कि इस कोरिडोर के व्यवस्था के लिए जिन सुविधाओ की आवश्यकता है उनका पुरा ध्यान रखा गया है। जैसे कि मुमुक्षु भवन, जलपान गिरी, म्यूजियम साथ ही वाराणसी गैलरी आदि मौजूद होंगे इसके अलावा जो आध्यात्मिक पुस्तके देखना चाहते हैं तो वह भी वैदिक केंद्र में उपलब्ध होंगे।
गैलरी की खास बात
जानकारी के अनुसार बताया गया है कि विश्वनाथ मंदिर के मुख्य गर्भ गृह में नक्शाशीदार खंभो के पीछे की दीवार पर साहित्य और पाषाण शिल्प का अनूठा संगम दीखेगा। सूर्यास्त के बाद यह गैलरी बहुरंगी प्रकाश में अनूठी आभा बिखेरेगा। गैलरी के पूर्वी हिस्से में शिव महिम्न स्त्रोत और संध्या वंदन का विधान संगमरमर के पत्थर पर उकेरा गया है। गैलरी के दक्षिणी हिस्से में संगमरमर से उकेरी गई 3D आकृतियो में बाबा विश्वनाथ और माता गंगा से जुड़े प्रसंगो को दर्शाया गया है उन चित्रो के नीचे उस प्रसंग का साड़ अंकित किया गया है।

गंगाद्वार और मुख्य परिसर के बीच बनी मंदिर चौक 30 हेवी लाइट से जगमगाती रहेगी और यह लाइट उत्तर प्रदेश से दक्षिण की ओर 5 कतारो में लगाई जाएगी। प्रत्येक कतार में छह हेवी लाइटे होगी इन लाइटो का बेस तैयार करने का काम पूरा कर लिया गया है। विश्वनाथ धाम के दोनो ओर से मोहल्ले में लोगो को सरस्वती फाटक और पांचो पांडवो की ओर जाने के लिए लंबा चक्कर नहीं लगना पड़ेगा। विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के साथ ही जनता के लिए सरस्वती फाटक और नीलकंठ द्वार खोल दिए जाएंगे।
32 महीने में बनकर तैयार हुआ काशी विश्वनाथ धाम
साल 1669 में अहिल्याबाई होल्कर ने काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनरुद्धार करवाया था। उसके लगभग 350 साल बाद PM नरेंद्र मोदी ने मंदिर के विस्तारीकरण और पुनरुद्धार के लिए 8 मार्च साल 2019 को विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का शिलान्यास किया था। शिलान्यास के लगभग 2 साल 8 महीने बाद इस ड्रीम प्रोजेक्ट का 95 प्रतिशत कार्य को पूरा कर लिया गया है।
बताया जा रहा है कि इस पूरे कॉरिडोर के निर्माण में 340 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं हालांकि खर्च को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है। पूरे कोरिडोर को लगभग 50 हजार वर्ग मीटर के बड़े परिसर में बनाया गया है और इसका मुख्य दरवाजा गंगा की तरफ ललिता घाट से होकर है। नए कॉरिडोर के प्लान के अनुसार बाबा विश्वनाथ को गंगा से जोड़ने के लिए एक पाइप लाइन बिछाई गई है। यह पाइपलाइन माहा शमशान मणिकर्णिका से सटे ललिता घाट से मंदिर के गर्भगृह तक बिछाई गई है जल्द ही पाइपलाइन से गंगाजल सीधे बाबा के गर्भगृह तक पहुंचेगा।
काशी विश्वनाथ मंदिर का महत्व
कहा जाता है कि काशी भगवान विश्वनाथ यानि शिव के त्रिशूल पर टिकी हुई है। यहां लोग दूर-दूर से बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने के लिए आते हैं काशी को सबसे पवित्र शहरो में से एक माना जाता है मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि भगवान विश्वनाथ यहां ब्रह्मांड के स्वामी के रूप में निवास करते हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगो में से एक है यह ज्योतिर्लिंग मंदिर गंगा नदी के पश्चिम घाट पर स्थित है। काशी को भगवान शिव और माता पार्वती के सबसे प्रिय स्थान माना जाता है। पौराणिक मान्यताओ के अनुसार काशी में बाबा विश्वनाथ के दर्शन मात्र से ही भक्तो को पापो से मुक्ति मिल जाती है और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है।
काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास
वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के निर्माण और पुनर्निर्माण को लेकर कई प्रकार की धारणाएं हैं। इतिहासकारो के अनुसार विश्वनाथ मंदिर का निर्माण अकबर के नौ रत्नो में से एक राजा टोडरमल ने करवाया था। वाराणसी स्थित काशी विद्यापीठ में इतिहास विभाग में प्रोफेसर रह चुके डॉ राजीव त्रिवेदी ने BBC को यह बताया कि विश्वनाथ मंदिर का निर्माण राजा टोडरमल ने कराया।इसका ऐतिहासिक प्रमाण है साथ ही टोडरमल ने इस प्रकार के कई और निर्माण भी कराए हैं। हालांकि यह काम उन्होंने अकबर के आदेश से करवाया यह बात ऐतिहासिक रूप से पुख्ता नहीं है कि राजा टोडरमल की हैसियत अकबर के दरबार में ऐसी थी कि उन्हें इस काम के लिए अकबर के आदेश की आवश्यकता न हो।
कहा जाता है कि करीब सौ साल बाद औरंगजेब ने इस मंदिर को ध्वस्त कर दिया था और फिर आगे करीब 125 साल तक यहां कोई विश्वनाथ मंदिर नहीं था। इसके बाद साल 1735 में इंदौर की महारानी देवी अहिल्या बाई ने काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया। अब 286 साल बाद दुनिया के सामने इस मंदिर को नए अवतार में प्रस्तुत किया जा रहा है। करीब 2 हजार वर्ग मीटर में फैले इस मंदिर के दर्शन के लिए लोगो को तंग गलियो से होकर आना पड़ता था लेकिन इस दिव्य और भव्य कॉरिडोर के लोकार्पण के बाद लोग और आसानी से बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर सकेंगे।