हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि और दीपावली के 2 दिन बाद भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। इसे हम द्वितीया के नाम से भी जानते हैं इस पर्व की पुरानी कथा सूर्य पुत्र व पुत्री यमुना से जुड़ी हुई है।
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भैया दूज, चित्रगुप्त पूजा और गुजराती नव वर्ष के तौर पर भी मनाया जाता है। भाई दूध का त्यौहार भाई और बहन के प्रेम और मजबूत रिश्ते का प्रतीक माना जाता है, इसीलिए इस दिन हर बहन अपने भाई के साथ इस त्यौहार को मनाती है भाई दूज के दिन दोपहर के बाद ही भाई को भोजन कराना चाहिए। तो चलिए जानते हैं भाई दूज के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और भाई दूज के तिलक विधि के बारे में।
भाई दूज का शुभ मुहूर्त
इस साल 2021 में भाई दूर 6 नवंबर शनिवार के दिन होगा। भाई दूज पर तिलक का समय रहेगा दोपहर 1 बजकर 10 मिनिट से शाम 3 बजकर 21 तक और इस 2 घंटे 11 मिनट के तिलक अवधि के दौरान तिलक और कलावा बांधने की रसम करनी होगी।कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि आरंभ होगी 5 नवंबर शुक्रवार को रात 11 बजकर 14 मिनिट से 6 नवंबर शनिवार 7 बजकर 44 तक रहेगी।
भाई दूज तिलक विधि
भाई दूज वाले दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर भाई-बहन तैयार हो जाए और फिर भगवान श्री गणेश का आह्वान करके गंगा, जमुना डालकर भाई को भी स्नान करने को कहें और नए वस्त्र धारण करवाएं। फिर उसके बाद एक सुरक्षित जगह पर कपड़ा बिछाकर भाई दूज का त्योहार मनाए। सबसे पहले एक थाली में रोली, चंदन, चावल आदि सजाकर घी का दीपक जलाएं और मिठाई इत्यादि सजाकर भगवान विष्णु और गणेश जी की पूजा करें।
चावल के आटे से चौक तैयार करें अपने भाई के सर को एक कपड़े से ढक दें और एक नारियल में मूली लपेट कर उनके हाथ में रख दें, फिर हल्दी, चंदन मिलाकर भाई के माथे पर तिलक करें, तिलक लगाकर कलावा बांधने के बाद भाई के हाथों पर चावल, फूल, सुपारी और कुछ पैसे देकर भाई के लंबी उम्र की कामना करें और प्रेम भाव से मिठाई खिलाकर लंबी उम्र की दुआ मांगे।
भाई दूज का महत्व
मान्यता के अनुसार भाई दूज के दिन जो भी बहन यम देव की उपासना करती हैं अपने भाई पर टीका लगाकर कलावा बांधती है उनके भाई को सभी दोषो से मुक्ति मिलती है, उनके भाई को मृत्यु का भय नहीं रहता। भाई दूज को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है यम द्वितीया के दिन यमराज की पूजा से पहले यमुना नदी में स्नान किया जाता है यह काफी शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना के पास गए थे बहन ने उनका तिलक लगाकर स्वागत किया था और प्रेम भाव से भोजन कराया था।

इस दिन भाई का बहन के घर जाकर भोजन करना और भी शुभ माना जाता है। क्योंकि इस कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि को ही मृत्यु देवता यमराज ने अपनी बहन यमुना के घर जाकर भोजन किया था और वरदान स्वरूप अपनी बहन से यह वादा किया कि इस दिन जो भी बहन अपने भाई का तिलक करेगी, उन्हें यम से किसी प्रकार का खतरा नहीं होगा।
भाई दुज की प्रचलित कथा
भाई दुज की पारम्परिक प्रचलित कथा के अनुसार कहा जाता है कि यमराज अपनी बहन यमुना से लंबे समय के बाद भेंट करने जाते थे, एक बार यमुना जी अपने भाई को अचानक इतने दिनो बाद देख कर बहुत प्रसन्न होती है और भाई को खूब आदर सत्कार व प्रेम देती है। बहन के सत्कार से प्रसन्न होकर यम ने बहन को वर मांगने को कहा और बहन ने वर में अपने भाई से यही मांगा कि वह हर साल इस दिन उनके घर आए और वह उन्हें भोजन कराएं साथ ही इस दिन जो भी बहन अपने भाई को टीका करके भोजन खिलाए उन्हें आपसे यानि यम से किसी प्रकार का खतरा नहीं होगा।
कौन है यमुना और यम
सूर्य देव की पत्नी छाया की कोख से यमराज और यमुना का जन्म हुआ था यमुना अपने भाई यमराज से हमेशा यह निवेदन करती थी कि वह उसके घर आकर भोजन करें, लेकिन यमराज इतने व्यस्त रहते थे कि वह उनकी बात को टाल देते थे। फिर कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना अपने द्वार पर अचानक यमराज को खड़ा देखकर खुशी से नाच उठी और भाई का स्वागत सत्कार करने लगी। बहन को स्वागत करते देख यमराज अपनी बहन को अपना मनपसंद वर मांगने को कहते हैं।
बहन वर मांगती है कि इस दिन जो भी बहन अपने भाई को टीका करके भोजन कर आएगी उसे आपका भय नहीं रहेगा यमराज यमराज “तथास्तु” कहकर यमपुरी चले जाते हैं और इसी से यह मान्यता प्रचलित हो गई कि जो भी बहन इस दिन यमुना में स्नान करके पूरी श्रद्धा भाव से भाई दूज का अलार्म करती है उनके भाई को मृत्यु का भय नहीं रहता। साथ ही इस दिन रात को घर के बाहर यम का दीपक भी निकालना चाहिए इससे भाई को यमराज का खतरा नहीं रहता।