हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है जो हर साल आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि पर होती है।इस दिन चंद्रमा अमृतमयी किरणो से स्वास्थ्य का वरदान लेकर आता है। इस साल शरद पूर्णिमा 19 अक्टूबर को है शरद पूर्णिमा के दिन कोजागरी लक्ष्मी पूजन होता है दिवाली से पहले यही वह शुभ समय होता है जब माता लक्ष्मी की पूजा होती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार माता लक्ष्मी का अवतार शरद पूर्णिमा के दिन ही हुआ था जब माता लक्ष्मी देर रात में पृथ्वी पर भ्रमण करती है।
शरद पूर्णिमा हिंदू धर्म के होने वाले सभी पूर्णिमा में से बेहद अहम होता है कहा जाता है कि इसी दीन से शरद ऋतु आरंभ हो जाता है। इस दिन खुले आसमान के नीचे खीर बनाकर रखी जाती है ऐसा करने के पीछे छुपी मान्यता यह है कि इस दिन आसमान से अमृत वर्षा होती है। शरद पूर्णिमा को कोजागिरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है।
कहा जाता है इस दिन माता लक्ष्मी जी भ्रमण पर निकलती है और रात में चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण पृथ्वी से सबसे करीब होते हैं इसीलिए इस दिन पृथ्वी चांद की रोशनी से नहा उठती है। दीपावली की पूजा से पहले शरद पूर्णिमा में होने वाले माता लक्ष्मी की पूजा पर जो भी माता लक्ष्मी को प्रसन्न करता है उनके घर साल भर धन वर्षा होती है। मान्यता के अनुसार इस दिन माता लक्ष्मी जी का जन्मदिन होता है इसीलिए इस दिन लक्ष्मी पूजन करने का विशेष महत्व होता है।

इस अवसर पर माता लक्ष्मी के समस्त 8 रूपो की पूजा होती है। धनलक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी, राज लक्ष्मी, वैभव लक्ष्मी, ऐश्वर्या लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, कमला लक्ष्मी और विजय लक्ष्मी की विधि पूर्वक पूजा की जाती है। इस दिन लक्ष्मी पूजा करने के लिए सुबह सवेरे जल्दी उठकर स्नान आदि करके नए वस्त्र धारण कर लें। उसके बाद मंदिर की सफाई करके लक्ष्मी जी की प्रतिमा स्थापित कर श्रीहरि के साथ माता लक्ष्मी की पूजन की तैयारी करें।
इस दिन मंदिर में घी का दीपक जलाएं गंगाजल का छिड़काव करें और अक्षत, रोली आदि से तिलक लगाएं। इस दिन माता लक्ष्मी को सफेद या पीले रंग के मिठाई से जरूर भोग लगाए और पुष्प अर्पित करें इस दिन माता को गुलाब के फूल भी अर्पित किए जाते हैं।लक्ष्मी पूजन के अवसर पर गणपति जी की आरती करें, भगवान विष्णु के सहस्त्र नाम का जाप करें और भगवान श्री कृष्ण की महिमा का भी पाठ करें।
शरद पूर्णिमा के दिन गाय के दूध में बने चावल की खीर एक बर्तन में भरकर चांद की रोशनी में रख दें।और अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि करके चंद्रमा की रोशनी में रखी हुई खीर का भोग माता लक्ष्मी को चढ़ाएं और फिर परिवार के सभी लोगो को प्रसाद बांटे और खुद भी ग्रहण करें।
इस बार शरद पूर्णिमा 19 अक्टूबर मंगलवार के दिन होगा। पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होगी 19 अक्टूबर शाम 7:00 बजे से और पूर्णिमा तिथि समाप्त होगी 20 अक्टूबर रात्रि 8 बजकर 20 मिनिट पर।