हिंदू पंचांग के अनुसार साल में 6 बार नवरात्रि का पर्व आता है लेकिन साधारण लोग साल में 6 महीने के अंतराल पर नवरात्रि मनाते हैं और कहीं-कहीं तो यह त्यौहार होता है यह त्यौहार केवल एक बार ही मनाया जाता है। नवरात्रि के पूरे 9 दिनों में माता के नौ स्वरूप शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और माता सिद्धिदात्री की का पूजन किया जाता है। इन नौ रूपो की अपनी अलग अलग ही विशिष्टता होती हैै। मान्यता के अनुसार कहा जाता है इन 9 दिनों तक मां दुर्गा देवलोक से धरती पर आती है और अपने भक्तो के कष्ट हरकर उनकी सभी मंगल कामनाएं पूर्ण होने का आशीर्वाद देकर जाती है।
साल 2021 में शारदीय नवरात्र 7 अक्टूबर गुरुवार के दिन से शुरू हुआ था जो कि 15 अक्टूबर शुक्रवार को जाकर संपन्न होगा और इन 9 दिनो में माता रानी के अलग-अलग नौ स्वरूपो की पूजा उपासना की जाती है। मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि इस दौरान माता रानी की विधि विधान से पूजा अर्चना करने से माता दुर्गा अपने भक्तो की मंगल कामना पूर्ण करती है। सभी भक्त माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए 9 दिनो तक उपवास भी रखते हैं कई बार नवरात्रि के दौरान तिथियो के घटने बढ़ने के कारण अष्टमी, नवमी और कभी-कभी दशमी तिथि भी एक साथ ही पड़ती है। ऐसे में हम चलिए जानते हैं इस साल 2021 में नवमी और दशहरा किस दिन पड़ेगा।
नवरात्रि व्रत शुभ मुहूर्त
नौ दिनो तक चलने वाले नवरात्रि व्रत की महा अष्टमी तिथि 13 अक्टूबर बुधवार के दिन है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस साल चतुर्थी तिथि के न होने के कारण शारदीय नवरात्रि आठ दिन ही पढ़ रहे हैं। ऐसे में 13 अक्टूबर बुधवार को अष्टमी तिथि रहेगी और महा नवमी तिथि 14 अक्टूबर गुरुवार को होगा। नवमी तिथि प्रारंभ होगी 13 अक्टूबर बुधवार रात्रि 8 बजकर 7 मिनट से और नवमी तिथि समाप्त होगी 14 अक्टूबर गुरुवार शाम 6 बजकर 52 पर।
पौराणिक मान्यता के अनुसार माता रानी ने महिषासुर के खिलाफ नौ दिनो तक लड़ाई लड़ी थी और इसी कारण यह त्योहर नौ दिनो तक मनाया जाता है जब माता ने बुराई पर जीत हासिल की थी।नवरात्रि व्रत के आखिरी दिन यानी नौवें दिन यानी नवमी तिथि को माता रानी के सभी नौ रूपों की पूजा होती है इस दिन लोग माता रानी के नौ स्वरूपो के नाम से नौ कन्याओं को अपने घर में आमंत्रित करके उनका पूजन करते हैं। इसके साथ ही इस दिन एक बालक को भी आमंत्रित किया जाता है जिसे बटुक भैरव का स्वरूप माना जाता है इसके साथ ही माता के नौ रूपो की पूजा करके उन्हें विदा कर दिया जाता है जब नवरात्रि का समापन हो जाता है।
नवरात्रि में माता रानी की सेवा करने से हम सभी को लाभ मिलता है लेकिन हमको यह पता नहीं चलता कि मां किस रूप में हमको लाभ देती है। नवरात्री के नौ दिनो तक माता रानी हमारे घर में आकर विराजती है उस समय अगर हम सम्पूर्ण श्रद्धा से देवी मां की सेवा करें तो निश्चित रूप से माता रानी भक्तो से प्रसन्न होती है और उन्हें मनचाहा फल देती है। ऐसे में नवरात्रि के अवसर पर कन्या पूजन करने का भी बहुत महत्व होता है जो की नवमी तिथि पर की जाती है।
माता रानी को प्रसन्न करने के लिए कन्या पूजन करने का बहुत महत्व होता है कन्या पूजन के रुप में माता के नौ रूपो की पूजा की जाती है। नवरात्रि के नौ दिनो में जिस प्रकार माता के नौ रूपो की पूजा होती है उन्ही नौ रूपो को फिर से नौवे दिन यानी नवमी तिथि पर कन्या पूजन करके माता को विदा किया जाता है। ऐसा करने के लिए आपको दस, बार साल की छोटी छोटी बच्चियो को भोजन कराकर श्रद्धा भाव से विदा करना होता है ऐसा करने से माता रानी भक्तो पर अपार कृपा बरसाती है।
इसके लिए आपको माता रानी के नौ स्वरूपो को अपने घर पर श्रद्धा भाव से आमंत्रित करना है और उन कन्याओ को बुलाकर अपने हाथो से उनके पैरो को धो पोंछकर जमीन को साफ करके एक जगह पर नौ देवियो को बैठाकर श्रद्धा भाव से उनकी पूजा करनी है। उनका पैर धोने के बाद उनकी उंगलियो और पैरो को सुंदर से हल्दी कुमकुम लगाकर सजा देना है।और फिर कन्याओ को पेट भरके माता रानी का प्रसाद खिला कर के उन्हें भोजन कराना है। आप अपने योग्यता के अनुसार उन्हें थोड़ा थोड़ा दक्षिणा दें, दक्षिणा के रूप में आप उन्हें पेंसिल, कलम, बुक, टिफिन इत्यादि जैसे समाान दे सकते हैं इससे आपका राहु ठीक हो जाएगा।