आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा यानी की नवरात्रि की शुरुआत हो जाती है। हिंदू धर्म के अनुसार नवरात्रि व्रत का बहुत महत्व होता है जिसमें 9 दिनों तक माता रानी के नौ रूपों की पूजा अर्चना होती है। माता रानी को प्रसन्न करने के लिए हिंदू धर्म में सभी भक्त लोग नौ दिनो तक व्रत पूजा अर्चना करके माता को प्रसन्न करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार नवरात्रि के दिनो में माता दुर्गा के नौ रूपों की विधि विधान से पूजा करने से माता रानी भक्तों की सभी मंगल कामनाएं पूर्ण करती है।
हर दिन माता के अलग अलग रूपों की पूजा
अलग-अलग रूप में विराजित माता दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है जिसमें शुरुआत के 3 दिनों में यानी कि प्रथम, द्वितीय और तृतीय तिथि पर मां दुर्गा के शक्ति और ऊर्जा की पूजा होती है। इसके बाद चतुर्थी, पंचमी और षष्ठी तिथि को जीवन में शांति देने वाली माता लक्ष्मी जी की पूजा होती है और सप्तमी तिथि पर कला व ज्ञान की देवी की पूजा होती है। और आठवा दिन देवी महागौरी को समर्पित होता है जब पारिवारिक सुख के लिए माता गौरी की पूजा होती है और आखिरी दिन नवमी तिथि पर सिद्धीदात्री देवी के नौ रूपों की सभी रूपों की पूजा होती है।
तो चलिए जानते हैं इस साल 2021 में माता रानी के नवरात्रि पर व्रत की कलश स्थापना से लेकर 9 दिनो तक होने वाले संपूर्ण पूजन विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में।
नवरात्रि व्रत शुभ मुहूर्त
- हिंदू पंचांग के अनुसार नवरात्रि पर्व गुरुवार 7 अक्टूबर के दिन से प्रारंभ हो जाएगा और 9 दिनो तक चलने के बाद 15 अक्टूबर रविवार तक चलेगा।
- गुरुवार 7 अक्टूबर यानी नवरात्रि का प्रथम दिन कलश स्थापना का प्रथम दिन जब माता शैलपुत्री की पूजा की जाएगी।
- 8 अक्टूबर शुक्रवार को माता रानी नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होगी।
- तीसरे दिन यानी 9 अक्टूबर शनिवार को मां चंद्रघंटा या यानी माता कुष्मांडा की पूजा होगी।
- चौथे दिन 10 अक्टूबर रविवार को स्कंदमाता की पूजा होगी।
- 11 अक्टूबर सोमवार पांचवे के दिन माता कात्यायनी की पूजा होगी।
- छठे दिन यानी 12 अक्टूबर मंगलवार को मां कालरात्रि की पूजा होगी।
- सातवें दिन यानिसप्तमी तिथि 13 अक्टूबर बुधवार को माता महागौरी की पूजा होगी।
- आठवें दिन यानी 14 अक्टूबर गुरुवार को महा अष्टमी तिथि पर माता सिद्धिदात्री की पूजा होगी।
- और आखिरी दिन यानी 15 अक्टूबर नौवें दिन महानवमी तिथि पर माता दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा होगी।
नवरात्रि कलश स्थापना शुभ मुहूर्त
नवरात्रि के 9 दिनों तक पूजा करने के लिए हर भक्त सभी माता दुर्गा के सभी भक्त लोग कलश स्थापना करते हैं। कलश स्थापना की शुभ तिथि 7 अक्टूबर गुरुवार सुबह 6 बजकर 17 से शुरू होकर 7 बजकर 7 मिनट तक माता रानी के कलश स्थापना करने का शुभ मुहूर्त होगा इसी 1 घंटे के समय के दौरान ही माता रानी का घट स्थापना कर लेना है।
कलश स्थापना का महत्व
शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि नवरात्रि का प्रथम दिन काफी शुभ होता है। प्रतिपदा तिथि से शुरुआत होने वाले नवरात्रि के पहले दिन कलश की स्थापना की जाती है। मान्यता के अनुसार कलश को भगवान विष्णु माना जाता है यानी की कलश देवता।इसीलिए नवरात्रि पूजा से पहले घटस्थापना होता है तो चलिए जानते हैं कलश स्थापना के विधि के बारे में।
नवरात्रि कलश स्थापना विधि
कलश स्थापित करने के लिए सुबह सवेरे जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र धारण करें। अपने घर के मंदिर को साफ सफाई करके एक लाल कपड़ा बिछाए उसके बाद कलश स्थापना करने वाले जगह पर एक चावल की ढेरी बनाए। और एक पूजा की थाल में मिट्टी डालकर उस मिट्टी में थोड़े से परिमाण में जौ बो दें और उसके ऊपर जल से भरा हुआ कलश को स्थापित करें। कलश पर रोली से स्वास्तिक चित्र बनाकर कलावा बांधे और ध्यान रखे कलश के अंदर एक साबुत सुपारी, थोड़े से अक्षत और सिक्का डालना ना भूले। और 5 या 7 आम के पत्तो के जोड़े रखकर एक नारियल में चुनरि या लाल कपड़ा लपेटकर कलावे से बांधकर कलश के ऊपर नारियल स्थापित करें। ध्यान रखें नारियल रखते हुए मां दुर्गा का आह्वान जरूर करें। और फिर संपूर्ण श्रद्धा के साथ माता रानी का नाम लेकर 10 दिनों तक जलने वाले अखंड दीप को प्रज्वलित करें। ध्यान रखें कलश स्थापना के समय आप सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी के कलश और थाल का भी उपयोग कर सकते हैं।
माता रानी के इस बार कि सवारी
हर बार माता रानी अलग-अलग अलग-अलग सवारी पर सवार होकर आती है। इस बार नवरात्रि पर माता दुर्गा डोली पर सवार होकर आ रही है यानी कि इस बार मा दुर्गा का वाहन वाहन पालकी है। शास्त्रों के अनुसार कहा गया है कि नवरात्रि का आरंभ अगर सोमवार या फिर रविवार से होता है तो माता हाथी पर सवार होकर आती है। अगर शनिवार और मंगलवार से नवरात्रि की शुरुआत होती है तो माता घोड़े पर सवार होकर आती हैं। अगर नवरात्रि की शुरुआत बुधवार को होती है तो माता दुर्गा नाव पर सवार होकर आती है और अगर नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार या शुक्रवार को होती है तो माता दुर्गा डोली पर सवार होकर आती है। इस बार नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार के दिन से हो रहा है तो माता दुर्गा के इस बार की डोली है।
माता दुर्गा के सवारी का महत्व
मां दुर्गा के हर एक वाहन का अलग अलग महत्व होता है। यानि कि मां दुर्गा जिस बार जिस सवारी पर आति है देश और दुनिया में वैसी ही परिस्थिति देखने को मिलता है। शास्त्रो के अनुसार बताया गया है कि जब मां दुर्गा डोली पर आती है तो राजनीतिक उथल-पुथल की स्थिति बनती है और यह प्रभाव केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया पर परती है। माता दुर्गा के डोली पर आगमन होने से प्राकृतिक आपदाएं होने का संकेत रहता है। महामारी फैलती है या फिर लोगो के बीमार होने की भी संभावना होती है इसीलिए अगर माता डोली पर आती है तो यह शुभ संकेत नहीं माना जाता है लेकिन मां दुर्गा की आराधना करने से माता दुर्गा अपने भक्तो को सभी अशुभ प्रभावो से बचाती है।