हर साल 25 सितंबर के दिन अंत्योदय दिवस के तौर पर मनाया जाता है यह दिवस सरकार ने दीनदयाल उपाध्याय के सम्मान में उनके जन्म दिवस 25 सितंबर को मनाने की घोषणा की थी। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जो एक विचारक, इतिहासकार और राजनीति कार्यकर्ता होने के साथ एक महान समाज सेवक हैं।
दीनदयाल उपाध्याय भारतीय जनसंघ के एक प्रमुख नेता थे जो बाद में भारतीय जनता पार्टी बनी। केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि भारत सरकार ने निर्णय किया है कि हर साल 25 सितंबर पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जन्म दिवस को अंत्योदय दिवस के रूप में मनाया जाएगा। दीनदयाल को देश के राष्ट्रवादी आंदोलन के महान विचारको और दार्शनिको में से एक मानते हुए उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है उपाध्याय जी के संदेश “देश के गरीबो का विकास” को आगे लेकर जाया जाए। उन्होंने कहा कि अंत्योदय का यह संदेश है पंक्ति में सबसे अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दीनदयाल जी के 98 जयंती पर गरीबो की सेवा में उनके योगदान को याद करने की एकात्म मानवतावाद का मंत्र आज भी मार्गदर्शन बना है।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संदेश में कहा कि हम पंडित दीनदयाल उपाध्याय के मार्गदर्शन और उनकी प्रेरणा को नमन करते हैं। उन्होंने अपने पुरा जीवन को समाज की सेवा में समर्पित कर दिया। दीनदयाल जी के द्वारा दिया गया उनका मानवीय एकता का मंत्र आज भी सभी देशवासियो का मार्गदर्शन करता है। उन्होंने कहा कि दीनदयाल जी के भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए कतार में खड़े सबसे अंतिम व्यक्ति की सेवा के सपने को पूरा करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है।
हिंदी में अंत्योदय का मतलब होता है समाज के आर्थिक रूप से पिछड़े कमजोर दबे कुचले वर्ग लोगो के जीवन स्तर में सुधार करना। आज संपूर्ण भारत में केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा कई प्रकार के होते योजनाएं चलाई जा रही है। जिसके माध्यम से समाज के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को विकास की ओर ले जाया जा रहा हैै। पंडित दीनदयाल उपाध्याय साहित्यकार नेता और गरीबो के मार्गदर्शक रहे हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने अंत्योदय का नारा दिया था जिनके सम्मान में हर साल यह दिवस मनाया जाता है।

भारत सरकार द्वारा साल 2014 में 25 सितंबर को इसकी शुरुआत हुई थी यानि की पहली बार 25 सितंबर साल 2014 में दीनदयाल उपाध्याय जी के याद में अंत्योदय दिवस मनाया गया था और तब से आज तक हर साल इस दिवस को मनाया जाता है।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय हमेशा ही कहते थे कि कोई भी व्यक्ति या देश अपनी जड़ों से कटकर कभी बड़ा नहीं बन सकता यानी कि विकास स्वीकृत नहीं हो सकता। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी में एक कुशल राजनीतिज्ञ होने के साथ ही एक साहित्यकार, पत्रकार, लेखक, समाज सुधारक जैसे अनेको प्रतिभाएं विद्यमान थी। समाज की सेवा के साथ भारत में पिछड़े के वर्ग को विकसित करने में पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने अपनी अहम भूमिका निभाई थी।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर साल 2016 में उत्तर प्रदेश मथुरा के नगला चंद्रभान में हुआ था। इनका बचपन संघर्ष से भरा था इन्होंने हर कदम पर कठिनाइयों का सामना किया लेकिन अपने लक्ष्य की ओर लगातार आगे बढ़ते रहे देश और समाज को विकास के पथ पर अग्रसर करने के बाद 11 फरवरी साल 1968 को में वह स्वर्ग सिधार गए यानि उनका निधन हो गया।
अंत्योदय दिवस के अवसर पर हर साल दलित वर्गों के लिए कई प्रकार नई नई योजनाएं चलाई जाती है।पंडित दीनदयाल साम्यवाद पुंजीवाद दोनों के आलोचक थे। उन्होंने एकीकृत मानवता को समर्थन किया जिसमें राजनीति, नैतिकता तथा अर्थशास्त्र में मानव केंद्रित दृष्टिकोण शामिल है।
उन्होंने स्वदेशी और लघु स्तरीय उद्योग का भी समर्थन किया। वे राष्ट्रवादी विचार के समर्थन तो थे उनका यह मानना था कि आंखें मूंदकर पश्चिमी विचारधारा का पालन करना भारत के लिए उचित नहीं है। उन्होंने राष्ट्रधर्म प्रकाशन, मासिक पत्रिका और राष्ट्र धर्म की स्थापना की थी। उन्होंने सप्ताहिक पत्रिका पांचजन्य तथा दैनिक पत्रिका स्वदेश की शुरुआत की थी उन्होंने हिंदी में चंद्रगुप्त मौर्य के नामक नाटक की रचना की थी इसके अलावा उन्होंने शंकराचार्य की जीवनी भी लिखी।
अंत्योदय दिवस के अवसर पर समाज के कमजोर वर्गो को ऊपर उठाने का प्रयास किया जाता है। इस अवसर पर देश में रक्तदान शिविर, संगोष्ठी तथा कई और सम्मेलनो का आयोजन किया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जनधन योजना के जरिए दीनदयाल के सपनो को साकार करने का प्रयास किया है।