लोगो के लिए यह एक आम बात होती है कि लोग कभी किसी चीज को कहीं रखकर भूल जाते हैं, या किसी से मिलने के बाद कुछ देर बाद भूल जाते हैं।और इसमें परेशान होने की आवश्यकता भी नहीं होती यह एक आम बात होती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह एक गंभीर बीमारी है जो कि बढ़ती उम्र के साथ बढ़ती जाती है यह बीमारी बड़ी संख्या में बुजुर्गों को अपनी चपेट में ले लेती है। इसमे व्यक्ति की याददाश्त तो कमजोर होती ही है साथ ही दिमाग पर भी असर पड़ता है।
हालांकि अल्जाइमर नामक इस बीमारी को 70 साल के बुजुर्गों की बीमारी समझा जाता है जोकि अब 40 और इससे कम उम्र के युवा पीढ़ी में भी देखने को मिलते हैं आज कल कम उम्र में ही लोग इस बीमारी के चपेट में आ रहें हैं। और इसीलिए इस बिमारी के गंभीरता को देखते हुए हर साल 21 सितंबर के दिन वैश्विक स्तर पर दुनिया भर में विश्व अल्जाइमर दिवस मनाया जाता है। यह दिन अल्जाइमर नामक बीमारी के लिए मनाया जाता है ताकि इस बीमारी के प्रति लोगो में जागरूकता लाई जा सके।
अल्जाइमर दिवस मनाने की शुरुआत
साल 1906 में पहली बार जर्मन के न्यूरोलॉजिस्ट एलोइस अल्जाइमर नामक व्यक्ति ने इस बीमारी का पता लगाया था और इन्हीं के नाम पर इस बीमारी को अल्जाइमर नाम दिया गया था।
अल्जाइमर दिवस मनाने का उद्देश्य
इस दिवस को मनाने के पीछे का उद्देश्य इस बीमारी के प्रति जागरूकता लाना है ताकि लोग इस बीमारी को नजरअंदाज न करें और इसके प्रति जागरूक बने। साल 2016 में विश्व अल्जाइमर दिवस अभियान का विषय रखा गया था “मुझे याद रखें” इस दिन का उद्देश्य इस बीमारी के लक्षणो का पता लगाकर इससे पीड़ित रोगियों का बचाव करना है।ताकि घर परिवार के बड़े बुजुर्गो बचा कर जीवन में खुशियां भरी जा सके।
घर के बुजुर्गों को इस बीमारी से बचाने के लिए इन जरूरी बातो का रखें ध्यान
परिवार के सभी सदस्यों उनके प्रति अपनापन रखें।उन्हें कभी अकेलापन महसूस न होने दें। हर पल उनके करीब रहें, उनसे बातचीत करें। उनके बातो को नजरअंदाज ना करें।कुछ ऐसे उपाय करें जिससे कि वह हमेशा व्यस्त रहेे। उनके मनपसंद चीजों का ध्यान रखेंं।निर्धारित समय पर उन्हें सोने जागने व खान-पान का ध्यान रखे।
क्या है अल्जाइमर
अल्जाइमर नामक यह बीमारी दिमागी बीमारी होती है जिसमें समय के साथ-साथ धीरे-धीरे याददाश्त और कमजोर होती चली जाती हैै। साथ ही सोचने की क्षमता भी कम होती है यानि कि जो व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित होता है वह चीजों को भूल जाता हैै। जैसे कि कहीं पर कुछ रख कर भूल जाना कुछ देर पहले क्या हुआ वह भूल जाना लेकिन लोग इस बीमारी को सामान्य समझ कर ध्यान नहीं देते यह बीमारी एक उम्र के बाद लोगो में बड़ने लगती है।

जिसमें लोग चीजों को याद रखने में सक्षम नहीं हो पाते हैं बुजुर्ग लोग इस बीमारी के ज्यादा शिकार पाए जाते हैं लेकिन आज के दौर में युवा भी इसकी चपेट में आने लगे हैं। और पिछले कुछ सालो में इस बीमारी के मरीजों में बढ़ोतरी भी देखी गई है वर्ल्ड अल्जाइमर डे के इस अवसर पर चलिए जानते हैं कि यह बीमारी कैसी होती है, क्यों होती है, इसके लक्षण क्या है और इससे बचाव करने के क्या उपाय हैं।
दरअसल वृद्धावस्था में मस्तिष्क के ऊतकों को नुकसान पहुंचने के कारण यह बीमारी होती है मस्तिष्क में प्रोटीन की संरचना में गड़बड़ी होने के कारण मस्तिष्क में कुछ कोशिकाए नष्ट हो जाते हैं।जिसके बाद इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है यह एक मस्तिष्क से जुड़ी बीमारी है जिसमें व्यक्ति धीरे-धीरे अपनी याददाश्त खोने लगता है। इस बीमारी के होने पर व्यक्ति के लिए छोटी से छोटी बात को याद रखना भी मुश्किल हो जाता है और जब यह बीमारी ज्यादा बढ़ जाती है तो रोगी को किसी व्यक्ति के चेहरे तक याद नहीं रहते।
अल्जाइमर के लक्षण
- डिप्रेशन में रहना रात में नींद न आना छोटी सी बात पर भी डर जाना आंखों की रोशनी कम हो जाना लेने की क्षमता पर प्रभाव पड़ना छोटे-छोटे कामों में भी परेशान होना
- एक ही सवाल को बार-बार दोहराना किसी भी काम में फोकस ना कर पाना कोई भी चीज रखकर जल्दी ही भूल जाना
- कुछ भी याद करने सोचने या किसी बात का निर्णय
- अपने परिवार के सदस्यो को ना पहचान पाना
- उल्टे सीधे कपड़े पहन लेना इत्यादि अल्जाइमर बीमारी के लक्षण होते हैं।
अभी तक कोई इस बीमारी के उपाय की बात करें तो अभी तक तो इस बीमारी का कोई सटीक इलाज नहीं मिल पाया है। लेकिन अपनी जीवनशैली में बदलाव करके कुछ हद तक इस बीमारी से बचा जा सकता है। अगर इस बीमारी के शुरुआती लक्षणों पर ध्यान नहीं दिया जाता है तो यह बीमारी बढ़ जाती है लेकिन अगर किसी व्यक्ति में अल्जाइमर के लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर से दिखाना चाहिए।
हालांकि इस बीमारी का अभी तो कोई इलाज नहीं मिल पाया है लेकिन इस बीमारी से बचने के लिए नियमित रूप से कुछ बचाव को करके इस बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है। जैसे कि इस बीमारी के लक्षण दिखने पर नियमित रूप से व्यायाम करने के साथ पोषक तत्वों से भरपूर डाइट लेनी चाहिए। लोगो से मिलना जुलना चाहिए जिससे कि डिप्रेशन की समस्या ना हो। हमेशा घर के लोगों के बीच रहना चाहिए बातचीत और संपर्क रखना चाहिए।
- पर्याप्त नींद लें।
- नशे से दूर रहें।
- सकारात्मक सोच बनाए रखें।
- पोषक तत्वों से भरपूर डाइट लें।
- नियमित रूप से व्यायाम करें।
- शुगर की मात्रा कम रखनी चाहिए।
- वजन को संतुलित रखना चाहिए।
- ब्लड प्रेशर व शुगर को नियंत्रित रखें।
- बहुत ज्यादा नमक नहीं खाना चाहिए।
- काफी ज्यादा मात्रा में पानी पीना चाहिए।
- डाइट में तरह-तरह के फल और सब्जियो को शामिल करना चाहिए जैसे साबुत अनाज, लीन प्रोटीन आदि।
अगर किसी घर में पहले से ही किसी को यह बीमारी रही है तो फिर घर परिवार वालों को पहले से ही इस बात पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। लर्निंग पावर को भी मजबूत करना चाहिए जैसे किताबें पढ़ना, दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताना, डिप्रेशन से दूर रहने के लिए अपने मनपसंद कामों को करना चाहिए।शारीरिक और मानसिक रूप से अपने आपको स्वस्थ रखना चाहिए इसके अलावा मन में नकारात्मक विचारों के बजाए हमेशा सकारात्मक विचार से भरे रहना चाहिए।
अमेरिका के दक्षिण कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में हुए एक अध्ययन के मुताबिक 70, 80 के दशक में अधिक वायु प्रदूषण के संपर्क में आने वाली महिलाओ के याददाश में ज्यादा गिरावट पाई गई और इसके विपरीत जिन्होंने स्वच्छ हवा में सांस ली उनमें कम संख्या में अल्जाइमर के लक्षण नजर आए।इसलिए जरूरी है कि अपने आस-पास के वातावरण को साफ रखे साथ ही प्रदूषण के स्तर की जांच करना बहुत महत्वपूर्ण है।
डॉक्टरों के अनुसार पुरुषो की तुलना में महिलाओ में अल्जाइमर की बीमारी का खतरा ज्यादा होता है।डॉक्टरो के पास अल्जाइमर बीमारी के इलाज के लिए आने वाले हर 10 मरीज में से 6 महिलाएं पाई जाती है। देश के अलग-अलग क्षेत्र में किए स्टडी के मुताबिक कुल जनसंख्या के 1 से 2 लोग इस बीमारी के शिकार होते हैं। तो वहीं अल्जाइमर रोग के मामले में भारत दुनिया भर में तीसरे नंबर पर आता है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIMS), नई दिल्ली के तरफ से जारी किए गए एक रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, देश के लगभग 16 करोड़ बुजुर्ग 60 साल से ऊपर के हैं, जीसमें 60 से 69 साल के करीब 8.8 करोड़, 70 से 79 साल के करीब 6.4 करोड़ दूसरे पर निर्भर 80 साल के करीब 2.8 करोड़ और 18 लाख बुजुर्ग ऐसे है जिनका तो ना ही अपना घर है और ना ही कोई देखभाल करने वाला।
इसमें डोनैप्सिल, रीवास्टिग्माइ और गैलेंटामाइन शामिल है। लेकिन ये तीनों ही बीमारी के असर को धीमा कर देती हैं। उन्होंने यह कहा था कि एक दवा पर काम किया जा रहा है जो अल्जाइमर को ठीक कर सकती है। और इसका ट्रायल तीन फेज में होगा पहले फेज में एनिमल यानि जानवरो पर और दूसरे फेज में स्वस्थ मरीजो पर उसका असर चेक किया जाएगा। अगर दोनो में यह सफल रहता है तो फिर मरीजो पर ट्रायल होगा और यह सफल होने पर जल्द ही अल्जाइमर को ठीक करने वाली दवा मरीजो तक पहुंचाया जाएगा।