21 सितंबर का दिन विश्व में खास होता है यह दिन पूरी दुनिया में चारो ओर शांति स्थापित करने के लिए किए जाने वाले प्रयास के क्षेत्र में मनाया जाता है। यानी कि हर साल 21 सितंबर को विश्व शांति दिवस के तौर पर मनाया जाता है इस दिन दुनिया भर के कई देशो में सफेद कबूतर उड़ाकर दुनिया भर में शांति स्थापित करने का संदेश दिया जाता है।
क्यों उड़ाया जाता है सफेद कबूतर
21 सितंबर के दिन हर साल सफेद कबूतरो को इसीलिए उड़ाया जाता है क्योंकि इन सफेद कबूतरो को शांति दूत माना जाता है। इसीलिए इस दिन सफेद कबूतरो को उड़ाने की परंपरा है। विश्व शांति दिवस के इस अवसर पर सफेद कबूतर उड़ाने की परंपरा बहुत पुरानी है। लेकिन इन कबूतरो को उड़ाने के बीच एक शायर का शेर बहुत विचारणीय है और वह शेर है “लेकर चले हम पैगाम भाईचारे का ताकि व्यर्थ खून ना वहे किसी वतन के रखवाले का”।
विश्व शांति दिवस का उद्देश्य
इस दिवस को मनाने का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दुनिया भर में हर जगह शांति कायम करना है ताकि अंतरराष्ट्रीय जगहों पर भी विराम लगे। और अपनी इस बात को दुनिया भर के कोने कोने में पहुंचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने हर क्षेत्र में जैसे कि सिनेमा, कला, साहित्य, संगीत और खेल जगत की विश्व विख्यात प्रसिद्ध हस्तियों को शांति दूत भी नियुक्त किया है।
विश्व शांति दिवस की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में संयुक्त राष्ट्र शांति की घंटी बजा पर होती है जिसमें एक तरफ लिखा होता है विश्व में शांति हमेशा बनी रहे। यह घंटी अफ़्रीका को छोड़कर सभी बाकी महाद्वीपो के बच्चो के दान किए गए सिक्को से बनाई गई है, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र का मुख्य उद्देश्य है दुनियाभर में शांति कायम करना।

संयुक्त राष्ट्र चार्टर में भी स्पष्ट तौर पर इस बात का उल्लेख किया गया है कि अंतरराष्ट्रीय संघर्ष को रोकने के लिए और शांति की संस्कृति विकसित करने के लिए ही इनका जन्म हुआ है। अशांति, आतंक और संघर्ष के इस दौर में अमन की अहमियत का प्रचार प्रसार करना और शांति के अहमियत का प्रचार करना बेहद आवश्यक है।
इसीलिए संयुक्त राष्ट्र संघ उसकी तमाम संस्थाएं सिविल सोसायटी, गैर सरकारी संगठन और राष्ट्रीय सरकार मिलकर हर साल 21 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति दिवस का आयोजन करती है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आज से तीन दशक पहले सभी देशो में यह दिन और उनके निवासियो में शांतिपूर्ण विचारो को सुदृढ़ बनाने के लिए समर्पित किया था।
साल 1981 से ही विश्व शांति दिवस को मनाया जा रहा है संयुक्त राष्ट्र ने दुनियाभर में इस दिन को मनाने की घोषणा की थी ताकि तमाम देशो और उनके लोगो के बीच शांति कायम हो सके। साल 1982 से लेकर साल 2001 तक यह दिवस सितंबर महीने के तीसरे मंगलवार को मनाया जाता था लेकिन साल 2002 से इसके लिए 21 सितंबर का दिन घोषित किया गया।
विश्व शांति के क्षेत्र में क्या है पंचशील सिद्धांत
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने विश्व शांति बनी रहे इसके क्षेत्र में पांच मूल मंत्र दिए थे, जिन्हें पंचशील का सिद्धांत भी कहा जाता है। कहा जाता है कि मानव कल्याण और विश्व शांति के आदर्शो की स्थापना के लिए विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था वाले देशो में पारस्परिक सहयोग के अंतर्गत यह पांच आधारभूत सिद्धांत है।
एक दूसरे के विरुद्ध आक्रामक कार्रवाई ना करना,
सभी के प्रति समानता और परस्पर लाभ की नीति का पालन करना।
एक दूसरे के प्रति अखंडता और प्रभुसत्ता का सम्मान करना।
एक दूसरे के आता आंतरिक विषयों में हस्तक्षेप ना करना।
शांति के साथ अस्तित्व की नीति में विश्वास रखना।
कहा जाता है कि अगर विश्व इन पांच बिंदुओ पर अमल करके चले तो चारो ओर शांति और चैन का वास होगा। विश्व शांति दिवस के उपलक्ष पर देश भर में जगह-जगह पर सफेद कबूतर उड़ाए जाते हैं। जो कहीं ना कहीं पंचशील के सिद्धांत को दुनिया तक फैलाते हैं। इस सदी में विश्व में फैली हिंसा और अशांति को देखते हुए पिछले कुछ सालों से शांति कायम करना थोड़ा कठिन लगता है। लेकिन कहा जाता है ना की उम्मीद पर तो दुनिया कायम है और हम भी यही उम्मीद करते हैं कि हमारे चारो ओर शांति ही शांति हो।
शांति केवल हिंसा या संघर्ष के अभाव का नाम नहीं है, यह एक सकारात्मक आंतरिक घटना है। जब विश्व शांति की बात होती है तब हम एक जरूरी सत्य को भूल जाते हैं विश्वशांति या बाहरी शांति व्यक्ति में खुद के साथ शांति के बिना कभी संभव नहीं है। आंतरिक शांति, तीव्र बुद्धि, शांत मान, भावनाओ में सकारात्मकता, स्वस्थ शरीर और दयालुता को इंगित करती है। इसीलिए एक शांतिपूर्ण दुनिया बनाने के लिए नैतिक मूल्यो के ओर कदम बढ़ाना जरूरी है जो किसी भी मानव समाज का आधार बनता है।
देश और दुनिया में शांति फैलाने के लिए रह रहे माहौल को शांत बनाना जरूरी है और ऐसा तब संभव है जब व्यक्ति दूसरो के साथ वह न करें जो वह नहीं चाहता कि उसके साथ हो। अगर आप नहीं चाहते कि कोई आपके अभ्यास में बाधा डाले तो आपको भी दूसरो के अभ्यास में बाधा नहीं डालना चाहिए। अगर आप किसी द्वारा नुकसान नहीं पहुंचाए जाना चाहते तो आपको भी किसी और को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।
हमें अपनी पहचान बनाए रखनी होगी साथ ही दूसरो के पहचान का भी सम्मान करना होगा।क्योंकि आंतरिक शांति विश्व शांति की पूंजी है अगर लोग अपने अंदर ही शांति तक पहुंच पाते हैं तो ही बाहरी शांति को सच बनाया जा सकता है। शांतिपूर्ण लोग एक शांतिपूर्ण और सुंदर दुनिया का निर्माण करेंगे जहां दया की भावना, सेवा की भावना, सम्मान की भावना और विविधता का सम्मान किया जाता है।