दिन प्रतिदिन बढ़ते हुए औद्योगिक गतिविधियों के कारण आज हमारे जीवन को बचाने वाले ओजोन परत को भी खतरा पैदा हो चुका है। कहा जाता है कि प्राकृतिक वातावरण में व्यक्ति को अपना दखल नहीं देना चाहिए जो कि सच भी है। हमारे सुरक्षा के लिए पृथ्वी पर सभी व्यक्ति को एक सुरक्षा कवच के अंदर रखा गया है जिसे आज व्यक्ति दूषित कर रहा है। ओजोन परत के बारे में आमतौर पर तो लोग ज्यादा नहीं जानते हैं जो कि पृथ्वी और पर्यावरण के क्षेत्र में एक सुरक्षा कवच का काम करती है।
ओजोन परत के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाने के साथ ही इस कवच को संरक्षित करने के क्षेत्र में किए जाने वाले संभावित प्रयास और समाधानो की खोज करने के लिए हर साल 16 सितंबर के दिन विश्व स्तर पर ओजोन परत मनाया जाता है। लेकिन अभी भी कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें ओजोन परत क्या है इसके बारे में जानकारी भी नहीं है तो चलिए सबसे पहले जानते हैं ओजोन परत क्या है इसके बारे में यह कैसे बनती है और किस प्रकार यह पृथ्वी की रक्षा करती है।
ओजोन हल्के नीले रंग की गैस होती है जो कि ऑक्सीजन के 3 परमाणुओ का योगिक होती है। ओजोन परत सामान्यत धरातल से 10 किलोमीटर से 540 किलोमीटर की ऊंचाई के बीच वायुमंडल के समताप मंडल परत में पाई जाती है। यह सूर्य से निकलने वाले पराबैंगनी किरणों के लिए एक अच्छे फिल्टर की तरह काम करती है। ओजोन परत उस वातावरण में बनती है जब सूरज से पराबैंगनी किरणों ऑक्सीजन परमाणु को तोड़ती है। तब ऑक्सीजन परमाणु ऑक्सीजन के साथ मिल जाते हैं और इस प्रकार ओजोन अणु बनाते है।
ओजोन ऑक्सीजन के 3 परमाणु से मिलकर बना हुआ एक ऐसा गैस है जो कि वायुमंडल में बेहद कम मात्रा में पाई जाती है। इन ओजोन परत के बिना धरती पर जीवन संभव नहीं है ओजोन परत सूर्य से निकलने वाले हानिकारक अल्ट्रा वायलट किरणो से पृथ्वी को बचाने का काम करती है। सूर्य से निकलने वाली यह किरणे कई प्रकार त्वचा रोगो का कारण बन सकती है। पृथ्वी को बचाने वाले इस परत को बचाए रखने के लिए यह जरूरी है कि फॉम के गद्दो का उपयोग ना किए जाए, प्लास्टिक का उपयोग कम से कम किए जाए। रूम फ्रेशनर, केमिकल परफ्यूम्स का उपयोग ना हो और ओजोन फ्रेंडली रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशन का ही उपयोग किए जाए।
इसके अलावा अपने घर की बनावट भी ओजोन फ्रेंडली तरीके से ही करनी चाहिए जिसमें रोशनी, हवा, और ऊर्जा का उपयोग हो। क्योंकि हमेंमें यह प्रकृति, धरती विरासत के तौर पर मिली है जिसे हमें आने वाली पीढ़ी को भी देना है। हमें ऐसे रास्ते अपनाने चाहिए जिससे ना केवल हमारा फायदा हो बल्कि उससे हमारी आने वाली पीढ़ी भी बेहद खूबसूरत हो और धरती का आनंद ले सके। ओजोन परत के बिना हम धरती पर जिंदा नहीं रह सकते क्योंकि सूर्य के पराबैंगनी किरणों के गिरने के कारण कैंसर, फसलो का नुकसान, समुद्री जीवो को खतरा पैदा होती है और ओजोन परत सूरज के इन पराबैंगनी किरणो से हमारी रक्षा करता है।
अगर ओजोन परत सूर्य के पराबैंगनी किरणों से पृथ्वी की रक्षा नहीं करता तो इसके परिणाम स्वरूप ध्रुवो के पिघलने का भी खतरा हो सकता है। अंटार्कटिका में वह जो में एक बड़ा छेद हो गया है अंटार्कटिक का क्षेत्र में बड़े हिमखंड है अगर यह हिमखंड पिघलता हैं तो तटीय क्षेत्रो में बाढ़ के साथ ही कई और खतरे पैदा हो सकते हैं इसके अलावा गर्मी भी बढ़ेगी जो कि काफी नुकसानदायक होगी। ओजोन परत को नुकसान पहुंचने से जैविक विविधता पर भी असर पड़ता है फसल नष्ट होने के साथ ही सूक्ष्म जीवाणुओं पर भी इनका असर पड़ता है। इसके अलावा यह समुद्र में छोटे-छोटे पौधों को भी प्रभावित करती है जिससे की मछलियां वन्य प्राणियों की मात्रा कम हो जाती है।
ओजोन परत इस महत्व को देखते हुए पिछले दो दशक से इसे बचाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन 23 जनवरी साल 1995 को यूनाइटेड नेशन की आम सभा में संपूर्ण विश्व के लोगो में इसके प्रति जागरूकता फैलाने के लिए 16 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय ओजोन दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव पारित किया गया। उस समय इसका लक्ष्य रखा गया था कि संपूर्ण विश्व में साल 2010 तक ओजोन फ्रेंडली वातावरण बनाया जाए। हालांकि अभी भी यह लक्ष्य दूर ही है लेकिन ओजोन परत बचाने की दिशा में विश्व भर में उल्लेखनीय कार्य किए गए हैं। ओजोन परत को बचाने के प्रयास का ही परिणाम है कि आज बाजार में ओजोन फ्रेंडली फ्रिज, कूलर आदि सामान मिलते हैं।
ओजोन दिवस का इतिहास
इस दिवस के इतिहास की बात करें तो यह साल 1994 के 19 दिसंबर के दिन सयुक्त राष्ट्र महासभा ने ओजोन परत को संरक्षषणकरने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिवस मनाने की घोषणा की थी। जिसे 16 सितंबर साल 1987 को संयुक्त राष्ट्र और 45 अन्य देशों में ओजोन परत को खत्म करने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए थे। मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल का उद्देश्य यही है कि ओजोन परत की कमी के क्षेत्र में जिम्मेदार पदार्थों के उत्पादन को कम करके ओजोन परत की रक्षा करनी चाहिए। 16 सितंबर साल 1995 को पहली बार विश्व ओजोन दिवस मनाया गया था।
साल 1994 से 16 सितंबर को सालाना ओजोन परत के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय ओजोन दिवस के रूप में मनाया गया तभी से सभी देशों में बेहद उत्साह के साथ यह दिवस मनाया जाता है। इस दिन को एक घोषणा के रूप में नामित किया गया था जो कि 19 दिसंबर साल 2000 को ओजोन परत की कमी के कारण मॉन्ट्रियल कन्वेंशन पर हस्ताक्षर करने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित किया गया था। मोंट्रियल कन्वेंशन दुनिया भर के हानिकारक पदार्थ और गैसो को समाप्त करके ओजोन परत की रक्षा करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संधि है। ओजोन परत की रक्षा के लिए साल 1995 में जो कि पहला वर्ष था जब पुरी दुनिया में यह दिवस मनाया गया था जीसके बाद से अंतरराष्ट्रीय दिवस को मनाने की भागीदारी में वृद्धि देखी गई।
ओजोन दिवस पर क्या होता है
ओजोन दिवस पर पृथ्वी के हानिकारक गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए किए जानेेे वाले प्रयासों को साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इस ओजोन परत के क्षेत्र में जागरूकता बढ़ाने वाले विभिन्न कार्यक्रम और इसके लिए आयोजित विभिन्न अभियानो में लोगो को शामिल होने के लिए प्रेरित किया जाता है। और इस अंतरराष्ट्रीय अवसर का जश्न मनाने के लिए आयोजित की जाने वाली गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला का विस्तार किया जाता है।
विभिन्न गैर सरकारी संगठनों के कार्यकर्ता इस दिवस के फायदों को सभी जगह फैलाने के लिए जागरूकता की रेलिया निकालते हुए नारे लगाते हैं। इस मुद्दे पर मीडिया ने कई स्वयंसेवक कार्यक्रमो को ऑनलाइन आयोजित करने के लिए विभिन्न गैर सरकारी संगठनों में योगदान करके महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ताकि लोगो को शिक्षित करने के लिए इस मुद्दे के बारे में महत्वपूर्ण सामग्री वितरित कर सकें। 1ओजोन परत संरक्षण के अंतरराष्ट्रीय दिवस के थीम को बढ़ावा देने के लिए आजकल यूवा इंस्टाग्राम, फेसबुक और कई अन्य सोशल मीडिया साइटो का उपयोग करना भी शुरू किया है।
अपने अपने क्षेत्रो में प्रसिद्ध पर्यावरण घटना और तथ्यो को साझा करते हुए युवा वर्ग विशेष थीम के आधार पर चित्रकारी करते हैं और भोजन की कमी और उसके नतीजे से संबंधित महत्वपूर्ण विषयो पर ऑनलाइन भाषण देते हैं। अंतरराष्ट्रीय दिवस का जश्न अलग-अलग देशो में अलग-अलग प्रकार से मनाया जाता है। ओजोन परत के संरक्षण के लिए भारत में अंतर्राष्ट्रीय ओजोन दिवस को बेहद उत्साह से मनाया जाता है। शहर के सड़को पर विशाल रैलियां गठित होने के साथ ही छात्रो को वार्षिक ओजोन दिवस पर भाषण देने का मौका दिया जाता है।
इस दिवस के अवसर पर महाविद्यालयो के छात्र अधिवेशन के लिए राज्य स्तर के अभियानो को आयोजित करते हैं। ओजोन परत के स्तर को कम करने के लिए विभिन्न उपायो को उपयोग में लाते हैं। भारत सरकार उन बुद्धिमान लोगो को मान्यता और छात्रवृत्ति प्रदान करती है जो हानिकारक गैसो और पदार्थो के उत्सर्जन को कम करने के लिए रचनात्मक तरीको का आविष्कार करते हैं जो न केवल सुविधाजनक होता है बल्कि स्थाई भी है।
पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्रालय ने कुछ कार्यक्रमों को लॉन्च किया है जो मानव जाति के लिए वातावरण में मौजूद हानिकारक गैसों के आक्रोश को इकट्ठा कर सके और धरती पर जिनका बुरा प्रभाव पड़ रहा है उन्हें कम कर सके। अगर ओजोन परत सूर्य की पराबैंगनी किरणो से पृथ्वी की रक्षा नहीं करता तो धरती पर मनुष्य को भी त्वचा से संबंधित कई बीमारियां हो सकती है। प्रौद्योगिकी के इस समय में व्यक्ति हर उस चीज का हरण कर रहा है जो प्रगति की राह में रोड़ा बनती है। इस प्रकार इंसान अपने आराम और सहूलियत के लिए उस ओजोन परत को भी नष्ट करने में जुट जाता है जो उसे सूर्य से निकलने वाले खतरनाक किरणों से बचाता है।
वैज्ञानिको के अनुसार ओजोन परत के बिना पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। ओजोन परत के सुरक्षित ना होने से पेड़ पौधे और प्राणियों के जीवन पर बेहद बुरा प्रभाव पड़ेगा यहां तक कि पानी के नीचे का जीवन भी ओजोन परत के कमी के कारण नष्ट हो जाएगी। ओजोन परत की कमी से प्राकृतिक संतुलन बिगड़ता है, सर्दियों की तुलना में अधिक गर्मी होती है और हिमखंड गलना शुरू हो जाते हैं। इसके अलावा ओजोन परत की कमी होने से प्राणियों के स्वास्थ्य और प्रकृति के लिए भी खतरा बढ़ जाता है।