जब भी कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा बुरी तरह से किसी मानसिक चिंता में ह जाता है तो वह एकदम से अवसाद में चला जाता है इसी लिए लोग ज्यादातर युवा आलो इमरान हत्या की स्थिति पर पहुंच जाते हैं जिससे उनके परिवार पर बेहद नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और यह आत्महत्या की दर आए दिन दुनिया में बढ़ते ही जा रही है जिसे देखते हुए हर साल 10 दिशाओं सितंबर को वर्ल्ड सुसाइड प्रीवेंशन डे यानि विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के तौर पर मनाया जाता है। और 5 सितंबर से 11 सितंबर तक विश्व आत्महत्या रोकथाम सप्ताह (Suicide Prevention Week) मनाया जाता है।
आज हम पुरी दुनिया में मनाए जाने वाले इस दिवस के बारे में जानेंगे जैसे कि इस दिन को मनाने का क्या उद्देश्य है इस दिवस को मनाने की शुरुआत कब हुई साथ ही इस दिन से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में।
क्यों मनाया जाता है विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस
लोगो में मानसिक स्वास्थ के प्रति जागरुकता फैलाने और आत्महत्या के बढ़ते मामलो को रोकने के लिए हर साल इस दिवस को मनाया जाता है। इसके तहत विश्व में लगातार बढ़ रही आत्महत्या की प्रवृत्ति पर रोक लगाने का उद्देश्य रखा गया है। दुनिया में आए दिन लगातार बढ़ रहे आत्महत्या के मामलो को कम करने के लिए और आत्महत्या रोकने के लिए यह दिवस मनाया जाता है।
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस की शुरूआत
आत्महत्या के बढ़ते मामलो को रोकने के लिए साल 2003 में इस दिवस को मनाने की शुरुआत हुई थी। इसकी शुरुआत (IASP) इंटरनेशनल असोसिएशन ऑफ सुसाइड प्रिवेंशन द्वारा की गई थी। और इसके साथ वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन भी भागीदार (WHO) है। इस दिवस को स्वास्थ्य संगठन और मानसिक स्वास्थ्य फेडरेशन द्वारा को-स्पॉन्सर किया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ो के अनुसार हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है।
व्यक्ति के मानसिक तनाव और आत्महत्या करने का कारण
आज कल की दुनिया में हर कोई अपनी छोटी बड़ी इच्छा लेकर जीता हैं। कोई काल्पनिक दुनिया में जीता है तो कोई अपनी इच्छा कोई पूर्ति करने में जी-जान से लगा रहता है और जब व्यक्ति अपनी किसी इच्छा को पूरा नहीं कर पाता या उसे किसी बात का बेहद दुख पहुंचता है तो वह धीरे धीरे मानसिक तनाव का शिकार होने लगता है। वह उस बात को लेकर हद से ज्यादा सोचने लगता है धीरे धीरे वह वक्ति अपने आप को कमजोर समझने लगता है। कई बाते उसके दिमाग में आकर घूमने लगती है दिन-रात एक ही बात को सोचकर वह परेशान होने लगते हैं।
इसके अलावा दोस्त रिश्तेदार या अपनी परिजन द्वारा कही गई कुछ बातें भी व्यक्ति के मन पर हावी हो जाती है और व्यक्ति अपने आपको दूसरो से छोटा सोचने लगता है वह दिन रात गिल्ट में जीता है। इसके अलावा भी मानसिक तनाव के कई अलग-अलग कारण हो सकते हैं किसी के जीवन में किसी प्रकार अप्रिय घटना के होने से भी व्यक्ति मानसिक तनाव का शिकार हो जाता है और जब व्यक्ति मानसिक तनाव का शिकार होने के बाद एक सिमित पड़ाव से आगे बढ़ जाता है, तो वह व्यक्ति आत्महत्या जैसा भयानक कदम उठाता है। और इसी मानसिक तनाव के कारण लोग अपनी जिंदगी के सफर को एक ही पल में खत्म कर दते है। ऐसे में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस लोगो को इस बारे में जागरूक करता है और आत्महत्या को रोकने के लिए लोगो तक नई पहलुओ को लाने का काम किया जाता है।
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस का महत्त्व
दुनिया में हर साल लगभग 8 लाख से भी ज्यादा लोग आत्महत्या कर लेते हैं। जबकि इससे भी अधिक संख्या में लोग आत्महत्या का प्रयास करते हैं यह स्थिति बहुत डराने वाली है। इससे यह पता चलता है कि आज के समय में लोगो के अंदर किस प्रकार से मानसिक तनाव भर चूका है। इस डेटा के अनुसार पुरी दुनिया में 79 फीसदी आत्महत्या निम्न और मध्यवर्ग वाले देशो के लोग करते हैं।

आत्महत्या जैसे घातक कदम युवा वर्ग के लोग ज्यादा उठाते हैं। और इसकी कई वजह होती है जैसे पढ़ाई का प्रेशर, करियर प्रॉब्लम्स और आपसी रिश्ते का खराब होना भी इसकी एक मुख्य वजह है। समाज में महिलाओ द्वारा आत्महत्या का प्रयास ज्यादा किया जाता है, जिसमें दहेज जैसी कुप्रथा भी एक बड़ी वजह होती है।
सुसाइड कमिट करने के मामले में पुरुषो की दर ज्यादा होती है और अब तो बच्चे भी इसकी चपेट में आने लगे हैं जिसे रोकने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। मानसिक स्वास्थ के प्रति ज्यादा से ज्यादा लोगो में जागरुकता फैलाकर आत्महत्या जैसे मामलो को काफी हद तक रोका जा सकता है। ऐसे में अपने रिश्तेदारो, दोस्तो किसी में भी मानसिक अवसाद के लक्षण नजर आने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
मानसिक अवसाद के लक्षण
- ये बात तो हम सभी जानते हैं कि डिप्रेशन में लोग हमेशा चिंताग्रस्त रहते हैं, इसके अलावा और कई लक्षण होते हैं जिससे हम ये जान सकते हैं कि सामने वाला व्यक्ति मानसिक अवसाद का शिकार हो चुका है।
- जैसे अवसाद से ग्रस्त व्यक्ति हमेशा उदास रहता है।
- ऐसे लोग हमेशा खुद को उलझन में और हारा हुआ महसूस करते हैं।
- अवसाद से ग्रस्त लोगो को किसी भी कार्य में ध्यान केन्द्रित करने में परेशानी होती है।
- ऐसे लोगो में आत्मविश्वास की भी कमी हो जाती है।
- अवसाद से ग्रस्त लोग खुद को परिवार और भीड़ भाड़ वाली जगहो से अलग रखने की कोशिश करते हैं।
- ऐसे लोग ज्यादातर अकेले रहना ही पसन्द करते हैं।
- खुशी के वातावरण में भी या खुशी देने वाले चीजो के होने पर भी ऐसे लोग उदास ही रहते हैं।
- अवसाद से ग्रस्त लोग हमेशा चिढ़े रहते हैं और बहुत कम बोलते हैं।
- अवसाद से ग्रस्त लोग भीतर से हमेशा बेचैन रहते हैं और हमेशा चिन्ता में डूबे दिखाई देते हैं।
- ऐसे लोग कोई भी निर्णय लेने में खुद को असमर्थ सोचते हैं और हमेशा किसी भ्रम में रहते हैं।
- अवसाद से ग्रस्त लोग अस्वस्थ भोजन के प्रति ज्यादा आसक्त रहते हैं।
- ऐसे लोग कोई भी छोटी समस्या आने पर बहुत जल्दी हताश हो जाते हैं।
- अवसाद से ग्रस्त कुछ लोगो में ज्यादा गुस्सा होने की भी समस्या देखी जाती है।
- ऐसे लोग हर समय कुछ बुरा होने की आशंका में घिरे रहते हैं।
खुद की जान ले सकते हैं ऐसे लोग
अब आप लोगो के दिमाग में यह सवाल आया होगा कि भला कोई व्यक्ति यह कैसे जान सकता है कि किसके मन में क्या चल रहा है और कैसे लोग अपनी ही जान लेना चाहता है तो चलिए जानते हैं ऐसे लोगो के बारे में जो आत्महत्या करने का प्रयास कर सकते है।
ऐसे व्यक्ति जो आत्महत्या से संबंधित लेख पढ़ते हों, लिखते हों या ऐसे वीडियो देखते हो वैसे लोग आत्महत्या करने का प्रयास कर सकते हैं। साथ ही ऐसे लोग जो आत्महत्या से संबंधित सामिग्री ब्लेड, चाकू आदि अपने पास रखते हों, वह आत्महत्या कर सकते हैं।
इसके आलावा अकेलापन महसूस करना, अकेले में समय बिताना, दिनचर्या एवं खान-पान में परिवर्तन होना, सही गलत की पहचान न होना, अधिक मात्रा में शराब पीना अपने आप को निम्न कोटि के समझने वाले लोगो में भी आत्महत्या के विचार आ सकते हैं। इसलिए ऐसे व्यक्तियो की पहचान करके उन्हें विशेषज्ञो के परामर्श दिलाने की अत्यधिक आवश्यकता होती है।