भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज के रूप में मनाया जाता है। श्रावण मास के बाद भाद्रपद मास आरंभ होने वाली है कजरी तीज भाद्रपद का एक प्रमुख पर्व होता है। आज हम आपको कजरी तीज के तिथि, शुभ मुहूर्त इस पर्व के महत्व से जुड़ी सभी जानकारी देने वाले हैं।
कजरी तीज को बूढ़ी तीज, कजली तीज, सातुड़ी तीज भी कहा जाता है। इस दिन सुहागिन औरते अपने पति की लंबी उम्र की कामना से और जीवन में सुख शांति के लिए व्रत रखती है। इस साल भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की तीज 25 अगस्त को पड़ रही है धार्मिक मान्यता के अनुसार महिलाओ के व्रत से प्रसन्न होकर भगवान शिव और माता पार्वती उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
भगवान शिव और पार्वती से अपने सुखी वैवाहिक जीवन के सुखी होने की कामना करते हैं। यह भी माना जाता है कि अगर किसी लड़की की शादी में किसी प्रकार बाधा आ रही है तो इस व्रत को वह जरूर रखें। भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित इस व्रत को काफी फलदाई माना जाता है।
कजरी तीज शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार साल 2021 कजरी तीज का पर्व 25 अगस्त को मनाया जाएगाा। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर कजरी तीज का पर्व मनाया जाता हैै। इस तृतीया तिथि को ही कजरी तीज के नाम से जानते हैं कजरी तीज का पर्व राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार के साथ कई अन्य राज्यो में बेहद श्रद्धा और आस्था के साथ सुहागिन औरते मनाई जाती है।
कजरी तीज का महत्व
कजरी तीज का पर्व वैवाहिक दांपत्य जीवन से जुड़ा एक महत्वपूर्ण और पावन पर्व है। यह एक पावन पर्व है जिस दिन सुहागिन औरते व्रत रखके अपने पति की सफलता और आजीवन सौभाग्यवती होने की प्रार्थना करती है। सुहागिन स्त्रीया इस व्रत का पूरा साल इंतजार करती है इसेे सम्पूर्ण विधि विधान से करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

कजरी तीज पर विशेष योग
पंचांग के अनुसार इस साल 2021 में कजरी तीज पर विशेष संयोग बन रहें हैं। इस साल भाद्रपद मास की तृतीया तिथि पर प्रातः काल सुबह 5 बजकर 57 मिनट तक धृति योग का निर्माण हो रहा है। इस योग को शुभ कार्य करने के लिए अच्छा माना जाता है।
कजरी तीज का शुभ मुहूर्त
कजरी तीज की तृतीया तिथि प्रारंभ होगी 24 अगस्त शाम 4 बजे से और यह तृतीया तिथि समाप्त होगी 25 अगस्त शाम 4 बजकर 18 मिनट पर।
कजरी तीज की पूजा विधि
कजरी तीज के दिन सुबह प्रातः काल उठकर स्नान आदि कार्य से निवृत्त होने के बाद पूजा आरंभ करें। सबसे पहले व्रत का संकल्प लें। भगवान शिव और माता पार्वती की मिट्टी से मूर्ति बनाकर पूजन आरंभ करें आप चाहे तो आप बाजार से भी मूर्ति लाकर पूजा में उपयोग कर सकते हैं। सबसे पहले पूजा घर को या घर के किसी कोने को साफ सुथरा कर ले और एक चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर माता पार्वती और भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करें।
इसके बाद शिव और माता गौरी की विधि विधान से धूप, अगरबत्ती, फूल, जल, प्रसाद, चढ़ाकर पूजन करें। जिसमें माता गौरी को और भगवान शिव को उनके प्रिय वस्तु का जैसे दूध, घी, गंगाजल बेलपत्र भांग आदि चढ़ाएं। इस दिन माता गौरी को सुहाग से जुड़ी सुहागिन के 16 सामग्री जरूर से जरूर अर्पित करें। और फिर शिव और माता पार्वती की कथा सुनने या पाठ करने के बाद अंत में आरती जरूर करेंं। इस कजरी तीज के अवसर पर गाय की भी पूजा करना बेहद शुभ होता है इसीलिए गाय की पूजा भी अवश्य करें। साथ ही पूजा करके गाय को रोटी गुड़ और चना खिला कर अपने व्रत को खोलें। इस दिन महिलायो को व्रत खोलने से पहले गाय को रोटी व गुड़ और चना अवश्य खिलाना चाहिए।
चंद्रोदय के बाद खोले व्रत
कजरी तीज को करवा चौथ से काफी मिलाजुला व्रत कहा जाता है। सुहागिन महिलाएं पूरा दिन निर्जला व्रत रखने के बाद शाम को चंद्रोदय के बाद अपना व्रत खोलती है। कजरी तीज के दिन जौ, गेहूं, चने और चावल के सत्तू में घी और मेवा मिलाकर विभिन्न प्रकार के पकवान भी बनाए जाने का विधान है और फिर चंद्रोदय के बाद भोजन करके व्रत को खोला जाता है।