महिला समानाता दिवस यानी की वुमन इक्वीलिटी डे। जो हर साल 26 अगस्त के दिन मनाया जाता है। पहली बार महिला समानता दिवस को साल 1972 में चिह्नित किया गया था जो संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा हर साल घोषित किया जाता है। और प्रथम बार राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने इस दिवस का पहला आधिकारिक उद्घोषणा जारी किया था। इस साल महिला समानता दिवस की 101वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी।
वुमन इक्वीलिटी डे को मनाने का सबसे पहला फैसला अमेरिका का ही था। अमेरिका में मुख्य रूप से इस दिन को 26 अगस्त के दिन मनाया जाता है। इसी दिन संयुक्त राज्य अमेरिका में 19वें संविधान संशोधन के द्वारा महिलाओ को समानता का अधिकार दिया गया और साल 1920 में अमेरिकी संविधान में 19वें संशोधन को अपनाया गया था।
दरअसल पहले अमेरिका के महिलाओं को वोट देने का भी अधिकार नहीं था। 50 सालो तक चली लड़ाई के बाद अमेरिका में महिलाओ को 26 अगस्त साल 1920 के दिन वोटिंग का अधिकार प्राप्त हुआ। और इसी दिन को याद करने के लिए हर साल महिला समानता दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
महिला समानता दिवस मनाने का उद्देश्य
इस दिवस को मनाने के पीछे का उद्देश्य यही है कि महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया जाए। इसके अलावा आए दिन महिलाओं के साथ होने वाले विभिन्न क्षेत्रों में भेदभाव, दुष्कर्म, एसिड अटैक्स, भूर्ण हत्या जैसे कई मुद्दो पर जागरूकता फैलाना है। वैसे आज के समय में महिलाएं हर एक क्षेत्र में अपना और अपने साथ-साथ देश का नाम भी रौशन कर रही हैं। और इसके अलावा भी महिलाएं अपने हर एक रिश्ते को संपूर्ण निष्ठा और प्रेम के साथ निभाना जानती है।
महिला समानता दिवस का इतिहास
पहली बार महिला समानता दिवस को साल 1972 में चिह्नित किया गया था। और तभी से हर साल अमेरिकी राष्ट्रपति ने 26 अगस्त को महिला समानता दिवस के तौर पर मनाने का घोषणा किया।
महिला अधिकारो की लड़ाई साल 1853 से ही शुरू हुई थी। जिसमें सबसे पहले विवाहित महिलाओ ने संपत्ति पर अपना अधिकार मांगना शुरू किया। उस समय अमेरिका जैसे देश में भी महिलाओ की स्थिति आज जैसी नहीं थी। वोटिंग के अधिकार के लिए हुई लड़ाई में महिलाओ को साल 1920 में जीत मिली।वहीं भारत में भी महिलाओ को वोट करने का अधिकार ब्रिटिश शासनकाल में ही मिल गया था। अमेरिका में भी 26 अगस्त को वुमन इक्वलिटी डे के रूप में मनाया जाता था जिसके बाद अब इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाने लगा है।

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की उद्घोषणा में उन्होंने लिखा था कि “लगभग एक शताब्दी पहले, असीम साहस और अथक प्रतिबद्धता के साथ, महिलाओ ने मतदान करने के अधिकार के लिए वकालत की थी और अंखीरी में 26 अगस्त साल 1920 को 19 वें संशोधन को प्रमाणित किया गया और मतदान का अधिकार सुरक्षित कीया गया। इसके बाद के दशकों में, उस बहुमूल्य अधिकार ने महिलाओ की पीढ़ी को मजबूत किया और उन्हें सशक्त बनाने, बोलने और इस देश को चलाने के लिए सशक्त बनाया जिसे वे अधिक समान दिशा में प्यार करते हैं।
कानून की नजर में आज भले ही महिला और पुरुष को बराबर का अधिकार मिला हुआ है। लेकिन समाज में आज भी महिलाओ को लेकर लोगो के मन में दोहरी मानसिकता विराजमान है और आज भी उन्हें पुरूष के बराबर का अधिकार नहीं मिला है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि महिला समानता के अधिकार की बात सबसे पहले किस देश में हुई थी।
लिंग समानता का मुद्दा अकेले अमेरिका की समस्या नही है। बहुत सारे देश इस असमानता से जूझ रहे हैं। जहां पर इस बारे में लोगों को बदलने की जरूरत है। अमेरिका के साथ ही महिलाओं की समानता का मुद्दा अब अन्तरराष्ट्रीय बन गया है। इस दिन को भारत में भी मनाया जाता है। अब महिला समानता दिवस अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाने लगा है।
लिंग असमानता का मुद्दा केवल अमेरिका का ही समस्या ही नहीं है बल्कि संपूर्ण देश इस असमानता से जूझ रहे हैं। इसीलिए इस बारे में लोगो की मानसिकता को बदलने की बेहद आवश्यकता है। अमेरिका के साथ ही महिलाओ की असमानता का मुद्दा अब अंतरराष्ट्रीय बन चुका है। और इसीलिए अब महिला समानता दिवस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाने लगा है।
महिला समाज का एक ऐसा स्तम्भ होती है जिसके बिना शायद इस समाज की कल्पना करना भी बेकार है। महिलाएं अपने जीवन में एक साथ कई भूमिकाएं निभाती है जैसे एक महिला एक मां होती है, पत्नी होती है, बहन होती है, बेटी होती है, शिक्षक और दोस्त यह सभी रिश्ते बेहद प्यार, सम्मान और जिम्मेदारी के साथ निभाती है।
इसीलिए हमें हर दिन महिलाओ का सम्मान करना चाहिए तभी हम एक अच्छे नागरिक कहलाएंगे।दुनिया में छोटी बड़ी हर एक महिला मां समान होती है और माता दुर्गा का रूप होती है। उन्हें कभी भी नीचा नहीं दिखाना चाहिए क्योंकि अगर भगवान ने इस दुनिया में महिलाओ का सृजन नहीं किया होता तो यह सृष्टि कभी आगे नहीं बढ़ पाती।