हर साल वैश्विक स्तर पर 13 अगस्त को अंगदान दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगो को अंगदान के महत्व को बताना होता है। किसी को अंग देने का आपका फैसला दूसरे को नई जिंदगी दे सकती है।
अंगदान से संबंधित मिथको को हल करने और अंगदान के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए हर साल 13 अगस्त को विश्व अंगदान दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन लोगो को मौत के बाद किसी दूसरे की जिंदगी बचाने के लिए अपने स्वस्थ अंगो को दान करने के लिए प्रोत्साहित करने का दिन होता है। व्यक्ति के शरीरके अंग जैसे कि किडनी, दिल, आंख, लंग्स को दान करने से लंबे समय की बीमारियो से जूझ रहे लोगो की जिंदगी बचाने में मदद मिल सकती है।
शरीर में किसी अंग के अभाव में कई लोगों की जिंदगी जान चली जाती है जिसे बचाया जा सकता है इस दिन कान का मकसद लोगो अपनी मर्जी से अपने अंगो को दान करने का एहसास कराना होता है जो बहुत लोगो की जिंदगी बदल सकती है।
भारत का अपना अंगदान दिवस है जिसे हर साल 27 नवंबर को मनाया जाता है। इस अवसर पर सरकार नागरिको को स्वेच्छा से अपनी मृत्यु के बाद अपने अंगो को दान करने और लोगो की जिंदगी बचाने का आह्वान करती है।
अंग डोनेशन की शुरुआत कब हुई
आज के समय में चिकित्सा ने एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अंगों को प्रत्यारोपित करना संभव कर दिया है। अमेरिका में साल 1954 में पहली बार सफल अंग प्रत्यारोपण किया गया था। डॉ डॉक्टर जोसेफ मरे को फिजियोलॉजी और मेडिसिन में जुड़वा भाइयों रोनाल्डो और रिसर्च हेरिक के बीच सफलतापूर्वक किडनी प्रत्यारोपण करने पर साल 1990 में नोबेल पुरस्कार मिला था।
अपने अंग कौन दान कर सकता है
अपनी इच्छा से करें अंगों का का दान अपने अंगों को दान करके हम किसी दूसरे को नई जिंदगी दे सकते हैं अपनी मर्जी अनुसार जाति उम्र धर्म इत्यादि के बावजूद अपने मर्जी से कोई भी अपने अंगों को दान कर सकता है लेकिन लेकिन इसके लिए जरूरी है कि अंगदाता का प्रकार पुरानी बीमारि जैसे कि कैंसर, एचआईवी, दिल और लंग की बीमारी से पीड़ित ना हो। स्वस्थ डोनर का बहुत ज्यादा महत्व होता है और इसके लिए 18 साल की उम्र होने पर डोनर बनने के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।
अंगदान कितने प्रकार के होते हैं
अपने शरीर का अंग दान करना एक महान काम होता है अपने शरीर के अंगों को दान करके किसी दूसरे की जान बचा लेना किसी त्याग से कम नहीं है और यह सब कोई कर सकता है यार लेकिन इसके लिए जरूरी है कि वह व्यक्ति स्वस्थ हो अंगदान के दो प्रकार होते हैं जीवित अंगदान और मृतक अंगदान।
जीवित व्यक्ति का अंगदान
जीवित व्यक्ति अपने एक किडनी को या लीवर के किस से कोडिनेट कर सकते हैं क्योंकि व्यक्ति एक किडनी के साथ भी जीवित रह सकता है और लीवर भी रिवर ही शरीर का वह हिस्सा होता है जो खुद को फिर से पैदा करने के लिए जाना जाता है। इसीलिए जीवित व्यक्ति चाहे तो अपने इन अंगों को दान कर सकता है और खुद भी स्वस्थ रह सकता है।
मृत व्यक्ति का अंगदान
अंगदान के दूसरे प्रकार को शक्ल अंगदान भी कहा जाता है। इस प्रक्रिया में अंग दाता की मौत के बाद उसके स्वस्थ अंगो को किसी जीवित व्यक्ति में प्रत्यारोपित किए जाते हैं।