टोक्यो ओलंपिक में भारत को पहली बार गोल्ड मेडल जीतने वाले नीरज चोपड़ा ने 121 साल के भारत के सपने को पूरा करके इतिहास रच दिया है। नीरज चोपड़ा ने अपने जैवलिन में भले के दम पर इस देश के सपने को साकार किया है। इस देश को ओलंपिक में जाने से पहले ही देश को अपने खिलाड़ी से मेटल की बहुत उम्मीदें होती है जो कि नीरज चोपड़ा ने सरकार करके दिखाया है। उन्होंने इस देश को निराश नहीं किया उन्होंने ओलंपिक समापन के एक दिन पहले देश को गोल्ड मेडल दिलाया।
नीरज चोपड़ा का जन्म
राष्ट्रीय नायक नीरज चोपड़ा का जन्म 24 दिसंबर साल 1997 को हरियाणा राज्य के पानीपत जिले के खंडरा गांव में हुआ था। वह एक हरियाणवी किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं।
नीरज की शिक्षा
नीरज चोपड़ा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पानीपत से पूरी की अपनी प्रारंभिक पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने चंडीगढ़ में एक बीबीए कॉलेज ज्वाइन किया और वहीं से उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की।
भाला फेंकने के करियर की शुरुआत
भाला फेंक में आज अपने आप को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शित करने वाले नीरज चोपड़ा को बचपन में मोटापे का सामना करना पड़ रहा था। नीरज अपने बचपन में काफी मोटे थे, जिस कारण गांव के दूसरे बच्चे उनका मजाक भी बनाते थे। उनके मोटापे से उनके परिवार वाले भी परेशान थे, इसलिए उनके चाचा उन्हें 13 साल की उम्र से दौड़ लगाने के लिए स्टेडियम ले जाने लगे। लेकिन इसके बाद भी उनका मन दौड़ में नहीं लगता था। स्टेडियम जाने के दौरान उन्होंने वहां पर दूसरे खिलाड़ियो को भाला फेंकते देखा, तब उन्होंने स्टेडियम में कोच जयवीर चौधरी के बिना किसी प्रशिक्षण के 40 मीटर भाला फेंकने की अपनी क्षमता का अवलोकन किया। तभी से उन्होंने अपने भाला फेंकने की प्रैक्टिस की शुरुआत की।
साल 2012 में, उन्होंने लखनऊ में जूनियर नेशनल जीता इसके बाद, उन्होंने यूक्रेन में पहली अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता, विश्व युवा चैंपियनशिप में भाग लिया और साल 2014 में 70 मीटर के साथ पहला अंतर्राष्ट्रीय रजत पदक जीता। उन्होंने साल 2015 में अखिल भारतीय अंतर – विश्वविद्यालय एथलेटिक्स मीट में अपना 81.04 का थ्रो कीया।
साल 2016 में चोपड़ा ने पोलैंड के ब्यडगोस्ज़कज़ में IAAF वर्ल्ड U20 चैंपियनशिप जीती। हालांकि, वह 2016 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने में विफल रहे। नीरज चोपड़ा के इस प्रदर्शन के लिए, भारतीय सेना ने उन्हें नायब सूबेदार के पद के साथ राजपूताना राइफल्स में एक जूनियर कमीशंड अधिकारी के रूप में सीधी नियुक्ति प्रदान की।
भारतीय सेना में सूबेदार के पद पर मिली नियुक्ति
आर्मी में जॉब मिलने के बाद नीरज चोपड़ा बहुत खुश हुए उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि मेरे परिवार में आज तक किसी को सरकारी नौकरी नहीं मिली है मैं अपने संयुक्त परिवार का ऐसा पहला सदस्य हूं जो सरकारी नौकरी करने जा रहा हूं, यह हमारे परिवार के लिए बहुत खुशी की बात है। इससे मैं अपनी ट्रेनिंग जारी रखने के साथ-साथ अपने परिवार की आर्थिक मदद भी कर सकता हूं।
सितंबर साल 2016 में उन्होंने NIS पटियाला छोड़ दिया क्योंकि यह उनके प्रशिक्षण के खिलाफ समस्या पैदा कर रहा था और बेंगलुरु में स्थानांतरित हो गए। नीरज ने एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप साल 2017 में 85.23 मीटर के थ्रो के साथ जीत हासिल की। साल 2018 में, उन्होंने 86.47 मीटर के साथ सीजन का सर्वश्रेष्ठ थ्रो रिकॉर्ड बनाया।
भारत के 121 साल के इंतजार को किया साकार
नीरज चोपड़ा ने एक एथलेटिक्स स्पर्धा में पदक के लिए भारत के 121 साल के इंतजार को खत्म करके इतिहास बनया है। ओलंपिक खेलो में उनका भाला फेंक 87.58 मीटर था। फाइनल थ्रो के साथ उन्होंने इतिहास रच दिया और युवाओ के लिए एक मिसाल कायम की है। नीरज चोपड़ा के भारत लौटने पर नई दिल्ली में उनका भव्य स्वागत किया गया नीरज चोपड़ा को तमाम देशो से आशीर्वाद मिल। भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के लिए उनके द्वारा किए गए उनके महान कार्यो के लिए उन्हें बधाई दी।

नीरज चोपड़ा अपने लंबे बाल के रहने से किसी हीरो से कम नहीं दिखते हालांकि ओलंपिक से पहले नीरज चोपड़ा ने अपने बाल कटवा लिए क्योंकि उनके लंबे बाल उनके प्रैक्टिस में दिखा दे रही थी। नीरज चोपड़ा को उनके इस वैश्विक जीत से पहले गिने-चुने लोग ही जानते थे लेकिन अब पूरे दुनिया में लोग उनको जान गए हैं और उन्हें राष्ट्रीय नायक के रूप में जानते हैं जिन्होंने भारत के 121 साल के इंतजार को खत्म किया है।
प्रधानमंत्री से वीडियो कांफ्रेंस
नीरज चोपड़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक वीडियो कांफ्रेंस के दौरान कहा कि जब साल 2013 से वह अभ्यास कर रहे थे तो टोक्यो ओलंपिक साल 2020-21 की बात आती थी तो वो भी 19 के कारण खेल स्थगित हो जाती थी उन्होंने कहा कि साल 2019 में उन्हें गंभीर रूप से चोट लगी थी वह जल्दी से ठीक होने का प्रयास कर रहे थे ताकि वह ओलंपिक की तैयारी कर सके और को भी 19 के कारण हुए देवी ने उन्हें बहुत मदद की और उन्होंने अपने प्रेक्टिस को पूरा समय दिया खेलों के स्थगित होने के बाद उन्हें अभ्यास के लिए अधिक समय मिला और उन्होंनेेे पूर्ण आत्मा विश्वास के साथ अपना प्रदर्शन करक भारत को स्वर्ण पदक जीता या आज उन पर पूरे देश को गर्व है सब उन्हेंं अगले ओलंपिक के लिए आशीर्वाद दे रहे हैं।
cनीरज चोपड़ा ने साबित कर दिया है कि जब चाह होती है तो राह भी होती है। उन्होंने टोक्यो 2020 में इतिहास रचने वाले कई अन्य ओलंपियनों की तरह सशस्त्र बलों और राष्ट्र को गौरवान्वित किया है। हमें विश्वास है कि आप आने वाले वर्षों में और अधिक ऊंचाइयों तक पहुंचेंगे। आपकी उपलब्धि अन्य खिलाड़ियों को हमारे राष्ट्र के लिए बड़ा सम्मान और एक बड़ा सम्मान लाने की आकांक्षा और सफल होने के लिए प्रेरित और प्रेरित करेगी।