15 अगस्त का दिन भारत देश के गर्व और सौभाग्य का दिन होता है। यह पर्व हमारे हृदय में नवीन स्फूर्ति, नवीन आशा, उत्साह तथा देश-भक्ति का संचार है। स्वतंत्रता दिवस हमे इस बात की याद दिलाता है कि हमने कितनी कुर्बानिया देकर यह आजादी प्राप्त की है, जिसकी हमे हर कीमत पर रक्षा करनी है। चाहे हमे इसके लिए अपने प्राणो का त्याग ही क्यों न करना पड़े। इस प्रकार हम स्वतंत्रता दिवस के पर्व को पूर्ण उत्साह, उमंग और जोश के साथ मनाते है और राष्ट्र की स्वतंत्रता और सार्वभौमिकता की रक्षा का प्रण लेते है। इस साल 2021 में भारत का गौरवमयी दिवस 15 अगस्त को देश का 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा है। तो इस अवसर पर आज हम आपको स्वतंत्रता दिवस से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी देने वाले है।
हर एक देशवासी के लिए 15 अगस्त का दिन गौरवमयी होता है। इस दिन हर किसी को अपने स्वतंत्रता का एहसास होता है अपने देश पर गर्व होता है उन्हें गर्व होता है कि वह भारत देश के नागरिक हैं। हर साल इस अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होते हैं पूरे देश में इस दिन तिरंगा फहराया जाता है। राष्ट्र गीत गाया जाता है तो चलिए जानते हैं इस साल स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर क्या-क्या कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
लाल किले पर होगी फूलो की बारिश
इस बार आजादी का त्योहार स्वाधीनता दिवस यानी 15 अगस्त के दिन लाल किले के ऊपर हेलिकॉप्टर से फूलो की बारिश होगी। हेलिकॉप्टर देश के प्रधानमंत्री, देश-विदेश से आने वाले विशिष्ट अतिथियो, इस पर्व का साक्षी बनने वाले जवानो, कोरोना वॉरियर्स और उपस्थित अन्य लोगो पर फूलो की वर्षा करेंगे। ऐसा पहली बार होगा जब स्वतंत्रता दिवस वाले दिन लाल किले पर भी 26 जनवरी की तरह फ्लाइपास्ट करते हुए हेलिकॉप्टर से फूलो की बारिश कराई जाएगी।
फूलो की वर्षा को लेकर अधिकारियो की विजिट
पुष्पवर्षा के कार्यक्रम के लिए लाल किले पर एयरफोर्स के साथ अन्य एजेंसियो के अधिकारियो की विटिज भी हुई है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हेलिकॉप्टर के फ्लाइपास्ट से प्रधानमंत्री और तमाम अन्य लोगो की सुरक्षा को इससे कोई खतरा न हो। खासतौर से ड्रोन अटैक के खतरे की आशंका को देखते हुए इस पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है।
फूलो की शानदार सजावट
इसके अलावा लाल किले की प्राचीर से, जहां से प्रधानमंत्री देश को संबोधित करते हैं, उससे नीचे की किले की दीवार पर इस बार फूलो की शानदार सजावट की जाएगी। जीसमें देश को संदेश देने वाले भी कुछ सिंबल दिखाया जा सकता है। इसके अलावा प्राचीर के सामने जहां स्कूली बच्चे बैठा करते थे, वहां NCC कैडेट्स या फिर कोरोना वॉरियर्स को बैठाया जा सकता है।
इस बार होंगे बेहद कम अतिथि
पिछले साल की तरह इस साल भी लाल किले के प्राचीर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ राइट लेफ्ट में बैठने वाले लगभग 800 VIP के जगह बेहद कम VIP उपस्थित होंगे।इस बार इनकी संख्या करीब 120 ही होगी जिसमें 60 लेफ्ट में और 7 राइट में बैठेंगे। लाल किले के अंदर केवल इन्ही VIP की गाड़ी पार्क होगी और बाकी तमाम अधिकारियो और अन्य मेहमानो की गाड़ी बाहर पार्क कराई जाएगी। सुरक्षा की दृष्टि से जो भी इंतजाम किए जा रहे हैं, उनमें इस बार ड्रोन अटैक की आशंका को खत्म करने वाले इंतजाम ज्यादा होंगे। इसके लिए DRDO और अन्य एजेंसियो की मदद से यह सिस्टम लगाया जाएगा।
स्वतंत्रता दिवस पर नरेंद्र मोदी अपना का 8वा भाषण
15 अगस्त के दिन लाल किले में संपूर्ण भारतीय ओलंपिक दल को विशेष अतिथियो के रूप में आमंत्रित करेंगे। इस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना आठवा स्वतंत्रता दिवस का भाषण देंगे। पीएम नरेंद्र मोदी लाल किले पर कार्यक्रम के अलावा सभी ओलंपिक प्रतिभागियों से बातचीत के लिए अपने आवास पर आमंत्रित करेंगे। सभी प्रकार कार्यक्रमो को इस प्रकार आयोजित किया जाएगा कि बड़ी संख्या से बचा जा सके और प्रौद्योगिकी का सर्वोत्तम संभव तरीके से उपयोग किया जाए।
सशस्त्र सैनिक बल व दिल्ली पुलिस की प्रस्तुति
दिल्ली लाल किले के आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सशस्त्र बलो और दिल्ली पुलिस द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर की प्रस्तुति शामिल होगी। राष्ट्रगान बजाने के साथ ही राष्ट्रीय ध्वज फहराना, साथ ही 21 तोपो की सलामी देना, वायुसेना के हेलीकॉप्टरो के द्वारा वर्षा करना, प्रधानमंत्री का भाषण, राष्ट्रगान गायन और आखिरी में तिरंगे गुब्बारे को छोड़ते हुए स्वाधीनता दिवस को मनाया जाएगा।साथ ही राष्ट्रपति भवन में “एट होम” रिसेप्शन आयोजित किया जाएगा।
Covid-19 योद्धा भी आमंत्रित
राज्यो और केंद्र शासित प्रदेशो में विभिन्न स्तर पर समारोह के लिए कुछ दिशा-निर्देश भी निर्धारित किए गए हैं। य भी कोविड-19 योद्धा जैसे कि डॉक्टरो, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, स्वच्छता कार्यकर्ताओ को समारोह में कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई लड़ने में उनके दिए गए सेवा को मान्यता देने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। वहीं संक्रमण से ठीक हुए कुछ व्यक्तियो को भी इसमें आमंत्रित किया जा सकता है।

स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े सभी ऐतिहासिक महत्व के स्थानो पर पुलिस सैन्य बैंड के प्रदर्शन को रिकॉर्ड किया जाएगा और उसके रिकॉर्ड किए गए संस्करण को बड़ी स्क्रीन या डिजिटल मीडिया के द्वारा सार्वजनिक समारोहो के दौरान सोशल मीडिया पर प्रदर्शित किए जा सकते हैं।
भारतीय स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाया जाता है
देश का बच्चा-बच्चा यह बात अच्छे से जानता है कि हर साल 15 अगस्त के दिन धूम धाम से स्वाधीनता दिवस मनाया जाता है। इस दिन चारो ओर देशभक्ति के नारे गूंजते हैं देशभक्ति की भावना बिखर कर पूरे देश में देशभक्ति छाई रहती है। लोगो में जोश, जुनून, उमंग के रूप में देशभक्ति का भाव चरम सीमा पर रहता है।
क्योंकि 15 अगस्त साल 1947 के दिन भारत को 200 साल तक किए गए ब्रिटिश राज की गुलामी से आजादी मिली थी। इसलिए हर साल भारत इस दिन को पूरे हर्षोल्लास के साथ स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाता है। इस दिवस को ‘आई-डे’ के रूप में भी जाना जाता है, यह सार्वजनिक अवकाश 1947 की तारीख को चिह्नित करता है, जब भारत एक स्वतंत्र देश बन गया था।
स्वतंत्रता दिवस का प्रतीक
पतंगबाजी का खेल स्वतंत्रता दिवस का प्रतीक होता है। आसमान को भारत की स्वतंत्र आत्मा का प्रतीक बनाने के लिए छतो और खेतो से उड़ाई गई अनगिनत पतंगो के साथ बिताया गया है। बाजार में तिरंगे के साथ विभिन्न शैलियो, आकारो और रंगो की पतंगे उपलब्ध हैं। दिल्ली में उपस्थित लाल किला भारत में एक महत्वपूर्ण स्वतंत्रता दिवस का प्रतीक है क्योंकि भारतीय को आजादी मिलने के बाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने दिल्ली स्थित लाल किले से ही 15 अगस्त साल 1947 को ध्वजारोहण किया था
भारत का राष्ट्रीय ध्वज शीर्ष पर गहरे केसरिया (केसरिया) का एक क्षैतिज तिरंगा है, मध्य में सफेद और बराबर अनुपात में गहरे हरे रंग में है। भारतीय ध्वज की चौड़ाई की लंबाई का अनुपात दो से तीन होती है। सफेद बैंड के केंद्र में एक नौसेना-नीला पहिया चक्र का प्रतिनिधित्व करता है। इसका डिज़ाइन उस पहिए का है जो अशोक के सारनाथ शेर राजधानी के एबेकस पर दिखाई देता है। इसका व्यास सफेद बैंड की चौड़ाई के बराबर है और इसमें 24 प्रवक्ता हैं।
स्वतंत्रता संग्राम का आरम्भ
स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत तब से हुई जब भारत के क्रांतिकारी मंगल पांडे को ब्रिटिश शासन के अंग्रेज अधिकारियो ने गोली मार दिया था। तभी से भारत के देश वाशियो ने एकजुट होकर अंग्रेजो के खिलाफ आवाज उठाई। हमे और हमारे देश को ब्रिटिशो से मिली आजादी इतनी सस्ती और हल्की नहीं है देश को आजादी दिलाने के लिए हमारे महान देश के महान वीर क्रांतिकारियो ने देश को आजाद कराने के लिए हमारे देश के बहुत से स्वतंत्रता सेनानियो ने जैसे – बाल गंगाधर तिलक, लोक मान्य तिलक, पंडित जवाहरलाल नेहरू, माहत्मा गांधी, लाला लाजपत राय, खुदीराम बोस, सुभाष चंद्र बोस और मंगल पांडे जैसे क्रांतिकारियो ने बलिदान दिए और अत्याचार सहते हुए भी वे देश को आजादी दिलाने के लिए सदैव तत्पर रहे। साल 1857 से1947 तक स्वतंत्रता संग्राम लड़ने के बाद और काफी अत्याचार सहने के बाद 15 अगस्त साल 1947 को हमारा देश भारत ब्रिटिश शासन की बेड़ियो से मुक्त हुआ और सभी भारतवासियो ने आजादी की सांस ली।
देश की आजादी पाने के लिए बहुत से क्रांतिकारी सेनानियो ने बलिदान दिया जैसे कि- महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, मंगल पांडे, बाल गंगाधर तिलक, पंडित जवाहरलाल नेहरू, लोक मान्य तिलक, लाला लाजपत राय और खुदीराम बोस आदि। आजादी की लड़ाई लड़ने के लिए महात्मा गांधी ने सत्याग्रह आंदोलन चलाया और कई बार तो उन्हें जेल भी जाना पड़ा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी क्योकि उनका एकमात्र लक्ष्य था भारत को ब्रिटिश शासन से आजादी दिलाना और काफी अत्याचार सहने और संघर्ष करने के फलस्वरूप वे सफल भी हुए।
15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस से जुड़ी रोचक बाते
- 15 अगस्त तक भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा का निर्धारण नहीं हुआ था। इसका फैसला 17 अगस्त को रेडक्लिफ लाइन की घोषणा से हुआ, जो कि भारत और पाकिस्तान की सीमाओं को निर्धारित करती थी।
- 15 अगस्त 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन ने अपने कार्यालय में काम किया। दोपहर में नेहरू ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल की सूची सौंपी और बाद में इंडिया गेट के पास प्रिंसेज गार्डन में एक सभा को संबोधित किया।
- भारत 15 अगस्त को आजाद जरूर हो गया लेकिन उस समय उसका अपना कोई राष्ट्रगान नहीं था, हालांकि रवीन्द्रनाथ टैगोर ‘जन-गण-मन’ 1911 में ही लिख चुके थे, लेकिन यह राष्ट्रगान 1950 में ही बन पाया।
- हर स्वतंत्रता दिवस पर भारतीय प्रधानमंत्री लाल किले से झंडा फहराते हैं, लेकिन 15 अगस्त 1947 को ऐसा नहीं हुआ था। लोकसभा सचिवालय के एक शोध पत्र के मुताबिक नेहरू ने 16 अगस्त 1947 को लाल किले से झंडा फहराया था।
- 15 अगस्त 1772 को ईस्ट इंडिया कंपनी ने विभिन्न जिलों में अलग सिविल और आपराधिक अदालतों के गठन का फैसला लिया था।
- 15 अगस्त 1950 के दिन असम में भीषण भूकंप आया था जिसके कारण यहां करीब 1,500 से 3,000 लोगों की मौत भूकंप के कारण हो गई थी।
- 15 अगस्त 1854 को ईस्ट इंडिया रेलवे ने कलकत्ता (वर्तमान में कोलकाता) से हुगली तक पहली यात्री ट्रेन चलाई थी हालांकि आधिकारिक तौर पर इसका संचालन 1855 में शुरू हो सका था।
- 15 अगस्त भारत के अलावा 3 अन्य देशों का भी स्वतंत्रता दिवस है- दक्षिण कोरिया जापान से 15 अगस्त 1945 को आजाद हुआ। ब्रिटेन से बहरीन को 15 अगस्त 1971 को आजादी मिली थी और फ्रांस ने कांगो को 15 अगस्त 1960 को स्वतंत्र घोषित किया था।
- जवाहरलाल नेहरू ने ऐतिहासिक भाषण ‘ट्रिस्ट विद डेस्टनी’ 14 अगस्त की मध्यरात्रि को वायसराय लॉज (मौजूदा राष्ट्रपति भवन) से दिया गया था।
115 अगस्त 1519 को पनामा शहर बनाया गया।
जब तय हो गया कि भारत 15 अगस्त को आजाद होगा, तो जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने महात्मा गांधी को एक पत्र भेजा। इस पत्र में लिखा था, ’15 अगस्त हमारा पहला स्वाधीनता दिवस होगा। आप राष्ट्रपिता हैं, इसमें शामिल हों आप अपना आशीर्वाद दें।’
गांधीजी ने इस पत्र का जवाब भिजवाया, ‘जब कलकत्ता में हिन्दू-मुस्लिम एक-दूसरे की जान ले रहे हैं, ऐसे में मैं जश्न मनाने के लिए कैसे आ सकता हूं? मैं दंगा रोकने के लिए अपनी जान दे दूंगा।’
महात्मा गांधी उस दिन दिल्ली से हजारों किलोमीटर दूर बंगाल के नोआखली में थे, जहां वे हिन्दुओं और मुस्लिमों के बीच हो रही सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए वे अनशन कर रहे थे।
भारत के स्वाधीनता आंदोलन का नेतृत्व महात्मा गांधी ने किया था। लेकिन जब देश को 15 अगस्त 1947 में आजादी मिली तो वे इसके जश्न में शामिल नहीं हुए थे।
भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन के प्रेस सचिव कैंपबेल जॉनसन के अनुसार मित्र देशों की सेनाओं के सामने जापान के आत्मसमर्पण की दूसरी वर्षगांठ 15 अगस्त को पड़ रही थी, इस कारण इसी दिन भारत को आजाद करने का फैसला किया गया था।