सावन का मास आरंभ हो चुका है। इस महिने मे पड़ने वाले सभी पर्व और त्योहार का बहुत महत्व होता है। सावन माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाले एकादशी को कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार सावन के कृष्ण पक्ष में कामिका एकादशी 4 अगस्त दिन बुधवार को पड़ रहा है। इस एकादशी में भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस एकादशी में तुलसी के पत्तो के उपयोग का विषेश महत्त्व होता है। कामिका एकादशी से व्यक्ति के सारे पाप धूल जाते हैं और जीवन में खुशियो का आगमन होता है। तो आइए जानते है कामिका एकादशी व्रतसेजुड़ीसभी महत्त्वपूर्ण जानकारीकेबारे में जैसे कि इस एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और पूजा सामग्री इन सभी के बारे में।
कामिका एकादशी पूजन सामग्री
कामिका एकादशी पूजा के समय इन सभी चीजो का होना जरूरी होता है जैसे की गंगाजल, नारियल, पान, सुपारी, फल, फुल, लौंग, धूप, दीप, घी, पंचामृत, अक्षत, तुलसी, चंदन और मिष्ठान आदि।

कामिका एकादशी का महत्त्व
श्रावण मास की पहली एकादशी कामिका एकादशी होती है। जो श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को है। इस साल कामिका एकादशी 4 अगस्त बुधवार के दिन है यह एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इसलिए इस दिन सम्पूर्ण विधि-विधान से भगवान श्री विष्णु की पूजा की जाती है। मान्यता है कि भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और सभी मनोकामनाओ की पूर्ति होती है। कामिका एकादशी सभी मनोकामनाओ की पूर्ति करने वाला तो होता ही है साथ ही इस एकादशी को पापो से मुक्ति दिलाने वाली एकादशी कहते है। इस व्रत का महत्व खुद भगवान कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था।
कामिका एकादशी की शुभ मुहूर्त
कामिका एकादशी तिथि 3 अगस्त मंगलवार के दिन दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से शुरू होगी और 4 अगस्त बुधवार के दिन दोपहर 3 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी। सर्वार्थ सिद्धि योग 4 अगस्त को सुबह 5 बजकर 44 मिनट से 5 अगस्त सुबह 4 बजकर 25 मिनट तक रहेगी।
कामिका एकादशी व्रत का पारण तिथि
कामिका एकादशी व्रत का पारण 5 अगस्त सुबह 5 बजकर 45 मिनट से सुबह 8 बजकर 26 मिनट के बीच रहेगी।
कामिका एकादशी पर भगवान विष्णु को करें प्रसन्न
कामिका एकादशी के दिन पूजा के आखिरी में भगवान विष्णु की आरती करनी चाहिए। कहा जाता है कि पूजा के बाद आरती करने से विधि-विधान में जो कमी होती है, वह पूरी हो जाती है और व्रती को व्रत का पूरा फल प्राप्त होता है।
एकादशी व्रत पूजा- विधि
कामिका एकादशी के दिन सुबह सवेरे जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो लें और फिर घर के मंदिर में जाकर एक दीप प्रज्वलित करें। एकादशी पर भगवान विष्णु के मूर्ति को गंगाजल से अभिषेक कराए भगवान विष्णु को पुष्प, तुलसी, जल अर्पित करें। अगर संभव हो तो इस दिन व्रत रखे और भगवान की आरती करे। इस बात का विशेष तौर पर ध्यान रखें कि भगवान को केवल सात्विक चीजो का ही भोग लगाया जाता है। साथ ही भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर से शामिल करें कहा जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते। और इस पावन दिन पर भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की भी पूजा होती है। तो आप भी अवश्य माता लक्ष्मी की पूजा करें और पूरा दिन ज्यादा से ज्यादा भगवान का ध्यान करें।