Wednesday, November 29, 2023
Homeहिन्दीजानकारीबौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी और...

बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी और अनमोल उपदेश।

हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख महीने के पंचांग पूर्णिमा तिथि पर बौद्ध धर्म के संस्थापक और हिंदू धर्म के भगवान गौतम बुद्ध की जयंती होती है। इस साल 2021 में बुद्ध पूर्णिमा यानि गौतम बुद्ध की जयंती 26 मई को मनाई गई। बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर चलिए जानते हैं भगवान बुद्ध के जन्म, देह त्याग, उनसे जुड़े प्रमुख स्थल के साथ ही उनके द्वारा दिए गए कुछ महान उपदेशो के बारे में।  

गौतम बुद्ध का जन्म और देह त्याग

बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध का जन्म नेपाल के लुम्बिनी नामक स्थान पर कपिलवस्तु के राजा शुद्धोदन के यहां ईसा पूर्व 563 में वैशाख पूर्णिमा को हुआ था, इसी पूर्णिमा का बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है। 528 ईसा पूर्व वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि को ही बोधगया में एक वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। और माना जाता है कि कुशीनगर नामक स्थान पर 80 साल की उम्र में उन्होंने अपना देह त्याग भी वैशाख पूर्णिमा को ही  किया था। लगभग 2500 साल पहले बुद्ध के देह त्यागने पर उनके शरीर के अवशेष यानि अस्थिया आठ भागो में विभाजित हुए जिन पर आठ जगह आठ स्तूप बनाए गए। अपनी मृत्यु से पहले गौतम बुद्ध ने कहा था कि ‘मेरा जन्म दो शाल वृक्षो के मध्य हुआ था, अत: मेरा अन्त भी दो शाल वृक्षो के बीच ही होगा अब मेरा अंतिम समय आ गया है।’ गौतम बुद्ध के निर्वाण के बाद 6 दिनो तक लोग उनके दर्शन के लिए आते रहे और सातवे दिन उनके मृत देह को जलाया गया। 

गौतम बुद्ध के माता-पिता 

गौतम बुद्ध के पिता कपिलवस्तु के राजा शुद्धोदन थे और उनके माता का नाम महामाया देवी था। इस बार अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार उनका जन्मोत्सव 26 मई 2021 बुधवार को मनाया गया।  भगवान गौतम बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था सिद्धार्थ की मौसी गौतमी ने ही उनका लालन-पालन किया क्योंकि सिद्धार्थ के जन्म के सात दिन बाद ही उनकी मांता महामाया का देहांत हो गया था। गौतम बुद्ध शाक्यवंशी छत्रिय थे इसीलिए उन्हें शाक्यमुनि भी कहा जाता था। शोध के अनुसार दुनिया में सर्वाधिक प्रवचन गौतम बुद्ध के ही रहे हैं। यशोधरा नामक कन्या के साथ गौतम बुद्ध का विवाह हुआ और राहुल नाम का उनका एक पुत्र हुआ यशोधरा और राहुल दोनो बुद्ध के भिक्षु हो गए थे।

गौतम बुद्ध के दैविक चमत्कार

इस धरती पर अभी तक गौतम बुद्ध केे जैसा कोई नहीं हुआ जो बुद्ध के बराबर हो सैकड़ो ग्रंथ है जो जो बुद्ध प्रवचनों से भरे पड़े हैं। बुद्ध ने अपने जीवन में सर्वाधिक उपदेश कौशल देश की राजधानी श्रावस्ती में ही दिए मगध को भी उन्होंने अपना प्रचार केंद्र बनाया था। महात्मा बुद्ध ने अपने उपदेश पाली भाषा में दिए थे। कहा जाता है कि एक बार बुद्ध को मारने के लिए एक पागल हाथी को छोड़ा गया था लेकिन वह हाथी जाकर बुद्ध के पास उनके चरणो में बैठ गया। यह भी कहा जाता है कि एक बार बुद्ध ने एक नदी पर पैदल चलकर नदी को पार किया था इस प्रकार बुद्ध के कई चमत्कारो के बारे में बताया जाता है। गौतम बुद्ध को अपने कई जन्मो की स्मृतिया थी वे अपने भिक्षुओ के भी कई जन्मो को जानते थे। यही नहीं वे अपने आसपास के पशु, पक्षी और पेड़-पौधे आदि के पूर्वजन्मो के बारे में भी भिक्षुओ को बता देते थे।

एक बार कि बात है नगर भ्रमण के दौरान बुद्ध ने पहली बार रास्ते में एक वृद्ध, एक रोगी, एक अर्थी और एक संन्यासी को देखा। इन सबके बारे में उन्होंने अपने सारथी से पूछा तब सारथी ने बुद्ध से कहा कि हर एक व्यक्ति के जीवन में बुढ़ापा आने पर वह रोगी हो जाता है और रोगी होने के बाद वह मृत्यु को प्राप्त करता है। संन्यासी के बारे में पूछने पर सारथी ने बताया कि संन्यासी ही है जो मृत्यु के पार जीवन की खोज में निकलता है। और तब क्या सिद्धार्थ ने सभी प्रकार के भोग-विलास के जीवन को त्याग कर वैराग्य का रास्ता अपनाने का निर्णय लिया और 27 वर्ष की आयु में उन्होंने संन्यासी जीवन ग्रहण कर लिया।

बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी और अनमोल उपदेश।

गौतम बुद्ध के जीवन में भारत के कुछ जगह प्रधान हुए जो आज भी लोगो के बीच प्रसिद्ध पवित्र माना जाता है उन जगहो में बोधगया, सारनाथ, कुशीनगर, लुम्बिनी ये सब गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़े प्रचलित स्थान हैं। 

* लुंबिनी  

गौतम बुद्ध का जन्म स्थल लुंबिनी नामक स्थान भी उत्तर प्रदेश मैं स्थित है। उत्तर प्रदेश के ककराहा गांव से 14 मील और नेपाल भारत की सीमा से कुछ दूरी पर बना रुमिनोदेई नामक गांव ही लुंबिनी है, जहां गौतम भगवान गौतम बुद्ध ने जन्म लिया था।

* बोधगया  

बोधगया नामक स्थान बिहार के प्रमुख हिंदू पितृ तीर्थ गया में स्थित है गया एक जिला है। इसी स्थान पर बुद्ध ने कठोर साधना के पश्चात एक बोधि वृक्ष के नीचे उन्होंने ज्ञान प्राप्त किया और वे सिद्धार्थ गौतम से भगवान बुद्ध बन गए।

* सारनाथ  

उत्तर प्रदेश के वाराणसी के पास स्थित सारनाथ नामक स्थान में गौतम बुद्ध ने अपने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपना पहला उपदेश दिया था यहीं से उन्होंने धम्मचक्र प्रवर्तन का प्रारंभ किया था।

* कुशीनगर  

उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में स्थित कुशीनगर नामक स्थान में गौतम बुद्ध का महापरिनिर्वाण हुआ था यानी कि उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।गोरखपुर जिले में कसिया नामक जगह ही प्राचीन कुशीनगर है जो अब कसिया नाम से प्रचलित है। यहां पर भगवान गौतम बुद्ध के आठ स्तूपो में से एक स्तूप बनाया गया है जहां बुद्ध की अस्थियां रखी गई है।

भगवान विष्णु के अवतार   

महात्मा बुद्ध को भगवान विष्णु के नौवा अवतार के रूप में माना जाता है। वैशाख का महीना भगवान विष्णु को बेहद प्रिय होता है प्रत्येक महीने की पूर्णिमा भी इस जगत के पालनहार श्री विष्णु रूपी सत्यनारायण को समर्पित होता है। वैशाख महीने में शुक्ल पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा है इसे पीपल पूर्णिमा भी कहते हैं जो इस बार 26 मई को मनाई गई। इस दिन भगवान बुद्ध की जयंती तो होती ही है साथ ही उनके निर्वाण दिवस के रूप में भी जाना जाता है जो बेहद ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह पूर्णिमा ना केवल भारत में बल्कि दुनिया के कई अन्य देशो में भी बेहद हर्ष उल्लास से मनाया जाता है।

गौतम बुद्ध की जयंती पर क्या होता है  बुद्ध पूर्णिमा ना केवल भारत में ही बल्कि पूरी दुनिया के कई अन्य देशो में बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। जैसे कि मलेशिया, थाईलैंड, कंबोडिया, श्रीलंका, वियतनाम, चीन, नेपाल, थाईलैंड, म्यानमार, इंडोनेशिया जैसे देशो में भी भगवान गौतम बुद्ध की जयंती पर बहुत हर्षोल्लास होता है श्रीलंका में इस दिवस को वेसाक के नाम से जानते हैं जोकि वैशाख महीने का ही अपभ्रंश है। बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर कुशीनगर के महापरिनिर्वाण मंदिर में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है एक महीने तक चलने वाले इस मेले में विदेश के लाखो बुद्ध अनुनाई पहुंचते हैं। साथ ही इस दिन बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी इस वृक्ष की जड़ो में दूध और सुगंधित पानी का सिंचन करके इस दिन पूजा की जाती है।

इस दिन बौद्ध मतावलंबी के लोग भगवान गौतम बुद्ध के विहार और मठो में एक साथ  इकट्ठा होकर गौतम बुद्ध की उपासना करते हैं। दीप प्रज्वलित करके उनके द्वारा दिए गए शिक्षाओ का मिलकर अनुसरण करने का संकल्प लेते हैं। पुराणो के अनुसार महात्मा बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवा अवतार माना गया है। भगवान गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़े ऐसे कई प्रसंग है जिसमे व्यक्ति के सुखी जीवन सफलता की राह चुनने व सफलता प्राप्त करने के सूत्र छिपे हुए हैं। अगर जीवन में व्यक्ति इन सूत्रो को अपनाकर चले तो वह सच्चे जीवन को पहचान सकता है। वह कई प्रकार की परेशानियो से बच सकता है और सरलता व सफलतापूर्वक जीवन में अपने लक्ष्य को पा सकता है।

भगवान बुद्ध के आर्य सत्य  

वैशाख पूर्णिमा भगवान बुद्ध की जीवन की तीन अहम बाते बुद्ध का जन्म, बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति एवं बुद्धि का निर्वाण के कारण भी विशेष तिथि के रूप में मनाई जाती है। गौतम बुद्ध ने चार सूत्र दिए जीन्हें चार आर्य सत्य के नाम से भी जाना जाता है पहला है दुख, दूसरा है दुख का कारण, तीसरा है दुख का निदान और चौथा मार्ग जो है वह दुख का निवारण होता है या ही उनका अष्टांगिक मार्ग भी है।

महात्मा बुद्ध ने बताया कि तृष्णा ही सभी दुखो का मूल कारण होता है। तृष्णा के कारण संसार के विभिन्न वस्तु की और मनुष्य प्रवृत्त होता है और जब मनुष्य उन्हें प्राप्त नहीं कर सकते यानी जब वे प्राप्त होकर भी नष्ट हो जाते हैं तब उसे बहुत दुख होता है। तृष्णा के साथ मृत्यु प्राप्त करने वाला प्राणी उसकी प्रेरणा से फिर भी जन्म ग्रहण करता है और संसार के दुःख चक्र में पिसता रहता है यानी की तृष्णा को त्याग देने का मार्ग ही मुक्ति का मार्ग होता है।  भगवान बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग वह जरिया है जो दुख के निदान का मार्ग बनाता है उनका यह अष्टांगिक मार्ग संकल्प, ज्ञान, वचन, कर्म, आजीव, व्यायाम, स्मृति और समाधि के संदर्भ में सम्यकता से साक्षात्कार कराता है। गौतम बुद्ध ने मनुष्य के बहुत से दुखो का कारण उसके खुद के अज्ञान और मिथ्या दृष्टि को बताया है।

बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी और अनमोल उपदेश।

महात्मा बुद्ध ने पहली बार सारनाथ में प्रवचन दिया था उनका प्रथम उपदेश “धर्मचक्र प्रवर्तन” के नाम से जाना जाता है। जो उन्होंने आषाढ़ पूर्णिमा के दिन 5 भिक्षुओ को दिया था। किसी प्रकार भेदभाव किए बिना हर श्रेणी के लोगो ने महात्मा बुद्ध की शरण ली थी और उनके उपदेशो का अनुसरण भी किया था। कुछ दिनो में संपूर्ण भारत वर्ष में “बुद्ध शरण गच्छामि, धम्म शरण गच्छामि, संघ शरणम गच्छामि” का जयघोष गूंजने लगा। उन्होंने कहा कि सिर्फ मांस खाने वाला ही अपवित्र नहीं होता बल्कि व्याभिचार, क्रोध, छल, कपट, इर्षा और दूसरो की निंदा भी व्यक्ति को अपवित्र बनाती है। 

मन की शुद्धता के लिए पवित्र जीवन बिताना बहुत जरूरी है भगवान बुद्ध का धर्म प्रचार 40 सालो तक चलता रहा आखिरी में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में पावापुरी नामक स्थान पर 80 साल की आयु में ई.पु. 483 में वेसाख पूर्णिमा के दिन उन्हें महानिर्वाण प्राप्त हुआ। आइए अब जानते हैं भगवान बुद्ध के द्वारा दिए गए कुछ महान उपदेशो के बारे में जो आज भी लोगो को प्रोत्साहित करती है। भगवान गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़े इन उपदेशो प्रसंगो से सुखी जीवन में सफलता पाने के सूत्र मिलते हैं अगर जीवन में इन सूत्रो को अपना कर देखा जाए तो हम कई प्रकार की परेशानियो से बच सकते हैं और जीवन में सफलता से अपने लक्ष्यो की ओर आगे बढ़ सकते हैं। 

जीवन से जुड़े गौतम बुद्ध के कुछ महान उपदेश-

  • तीन चीजे ज्यादा देर तक नहीं छुप सकती सूर्य, चंद्रमा और सत्य। 
  • जो बुरा समय बीत गया हो उसको याद नहीं करना चाहिए भविष्य के लिए सपने नहीं देखना चाहिए बल्कि वर्तमान में ही ध्यान केंद्रित करना चाहिए। 
  • शक से हमेशा बचना चाहिए बिना वजह किसी पर कभी भी शक नहीं करना चाहिए शक लोगो को अलग कर देता है। 
  • ना ही सुख स्थाई है ना ही दुख स्थाई है बुरा समय आने पर उसका डटकर सामना करना चाहिए और हमेशा रोशनी की तलाश करनी चाहिए। 
  • अज्ञानी व्यक्ति से कभी भी उलझना और बहस करना नहीं चाहिए अज्ञानी व्यक्ति वैल के समान होता है वह ज्ञान में नहीं केवल आकार में बड़ा होता है। 
  • किसी के प्रति नफरत ईर्ष्या रखने से कोई खुशी प्राप्त नहीं की जा सकती ईर्ष्या व्यक्ति के मन की शांति को खत्म कर देता है। 
  • क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन होता है हमेशा क्रोध में रहना गर्म कोयले को किसी दूसरे पर फेकने के लिए पकड़े रहने के समान होता है इसमें हमारा हाथ भी जलता है। 
  • व्यक्ति अपने अच्छे और बुरे स्वास्थ्य का जिम्मेदार स्वयं होता है इसीलिए खान-पान और दिनचर्या का ध्यान रखना चाहिए। 
  • जीवन भर बिना ध्यान के साधना करने की अपेक्षा जीवन में एक दिन समझदारी से जीना कहीं अच्छा है। 
  • एक जलते हुए दीपक से हजारो दीपक रौशन किए जा सकते हैं फिर भी उस दीपक की रोशनी कम नहीं होती उसी प्रकार खुशिया बांटने से बढ़ती है कम नहीं होती। 
  • बुराई होनी चाहिए ताकि अच्छाई उसके ऊपर अपनी पवित्रता को साबित कर सके।

Jhuma Ray
Jhuma Ray
नमस्कार! मेरा नाम Jhuma Ray है। Writting मेरी Hobby या शौक नही, बल्कि मेरा जुनून है । नए नए विषयों पर Research करना और बेहतर से बेहतर जानकारियां निकालकर, उन्हों शब्दों से सजाना मुझे पसंद है। कृपया, आप लोग मेरे Articles को पढ़े और कोई भी सवाल या सुझाव हो तो निसंकोच मुझसे संपर्क करें। मैं अपने Readers के साथ एक खास रिश्ता बनाना चाहती हूँ। आशा है, आप लोग इसमें मेरा पूरा साथ देंगे।
RELATED ARTICLES

Leave a Reply

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments

error: Content is protected !!
%d bloggers like this: