World AIDS vaccine day विचार अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के तरफ से आया था। पूरी दुनिया में हर साल 18 मई के दिन विश्व एड्स वैक्सीन दिवस के रूप में मनाया जाता है इस दिन को HIV वैक्सीन जागरूकता दिवस के तौर पर भी संबोधित किया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य HIV संक्रमण के रोकथाम के लिए HIV वैक्सीन की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
विश्व एड्स वैक्सीन दिवस का इतिहास
विश्व एड्स दिवस की परिकल्पना सबसे पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने मार्गन स्टेट यूनिवर्सिटी में साल 1997 के 18 मई के दिन दिए गए एक भाषण से आई थी। अमेरिकी राष्ट्रपति के उस भाषण के आधार पर वैश्विक स्तर पर एड्स वैक्सीन दिवस को मनाने का निर्णय लिया गया था इस भाषण में उन्होंने आने वाले समय में एड्स को टीके के माध्यम से खत्म करने की बात कही थी।
उन्होंने अपने उस भाषण में कहा था कि वास्तव में मात्र एक प्रभावी निवारक HIV वैक्सीन ही एड्स के खतरे को कम करने और आखिरी में मिटा सकती है। क्लिंटन ने इस दुनिया को नए लक्ष्य निर्धारित करने के लिए और अगले दशक के भीतर ही एड्स के वैक्सीन को विकसित करने की चुनौती दी थी। जिसके बाद उनके भाषण का वर्षगांठ मनाने के लिए विश्व एड्स वैक्सीन दिवस मनाया जाता है। साल 1998 में 18 मई के दिन पहली बार एड्स वैक्सीन दिवस मनाया गया और तब से लेकर आज तक हर साल 18 मई के दिन विश्व एड्स वैक्सीन दिवस मनाया जाता रहा है।
विश्व एड्स वैक्सीन दिवस पर क्या होता है
विश्व एड्स दिवस के अवसर पर दुनिया भर में कई प्रकार के कार्यक्रम व गतिविधियो का आयोजन किया जाता है। कई देशो में शैक्षणिक सेमिनार, कॉन्फ्रेंस, वर्कशॉप जैसे अभियान आयोजित किए जाते हैं। लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से विश्व एड्स वैक्सीन दिवस के अवसर पर किसी भी प्रकार कार्यक्रम बंद रखा गया है एक मंच पर लोगो के मौजूद होने के बजाय स्वास्थ्य पेशेवरो और देश के वैज्ञानिको के लिए संचार माध्यम के तौर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का उपयोग किया जा रहा है।
इस अवसर पर एड्स के प्रभावी और सुरक्षित वैक्सीन की तलाश के लिए एक साथ मिलकर काम कर रहे स्वास्थ्य पेशेवर, वैज्ञानिक और वॉलिंटियर का शुक्रिया अदा किया जाता है उन्हें स्वीकृति दी जाती है। दुनिया भर के चिकित्सक और वैज्ञानिको के बीच इसके टीके को लेकर चर्चाएं होती है, मेडिकल कॉलेज के छात्रो को भी एड्स के टीके के इतिहास और इस बीमारी से जुड़े महत्वपूर्ण बातो के बारे में जानकारी दी जाती है। आने वाले समय में इसके वैक्सीन को लेकर क्या संभावनाएं बन सकती है और कैसे इसे और बेहतर बनाया जा सकता है इस पर भी विचार विमर्श होता है। लोगो के बीच इस बीमारी को लेकर जागरूकता फैलाई जाती है और इसके वैक्सीन के महत्व के बारे में समझाया जाता है।
विश्व एड्स वैक्सीन दिवस का थीम
विश्व एड्स वैक्सीन दिवस पर हर साल एड्स वैक्सीन दिवस के जागरूकता अभियान के हिस्से के तौर पर अलग अलग नए विषय चुनाव किया जाता है। इस साल 2021 में इस दिवस का विषय रखा गया था “वैश्विक एकजुटता, साझा जिम्मेदारी” . इस दिवस के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एक नई तकनीकी में निवेश के महत्व को मान्यता देने पर भी जोर दिया जाता है। इस अद्भुत पहल के द्वारा लोगो को यह जानकारी दी जाती है कि HIV को रोका जा सकता है। यह एक वैश्विक जिम्मेदारी है जिसे हर किसी को विश्वभर में साझा करना चाहिए और हर एक व्यक्ति को इसके रोकथाम की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाना है।

इस दिवस के अवसर पर दुनिया भर के चिकित्सक और वैज्ञानिको के बीच इसके टीके को लेकर चर्चाएं होती है। मेडिकल कॉलेज के छात्रो को भी एड्स के टीके के इतिहास और इस बीमारी से जुड़े महत्वपूर्ण बातो के बारे में जानकारी दी जाती है। आने वाले समय में इसके वैक्सीन को लेकर क्या संभावनाएं बन सकती है और कैसे इसे और बेहतर बनाया जा सकता है इस पर भी विचार विमर्श होता है। लोगो के बीच इस बीमारी को लेकर जागरूकता फैलाई जाती है और इसके वैक्सीन के महत्व के बारे में समझाया जाता है।
विश्व एड्स वैक्सीन दिवस का महत्व
इस दिवस का आयोजन लोगो में एड्स के टीकाकरण के लिए जागरूकता पैदा करता है। यह दिन इसलिए भी बेहद महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इस दिवस को मनाने के द्वारा एड्स जैसी बीमारी के लिए टीके की खोज करने वाले वैज्ञानिको को धन्यवाद दिया जा जाता है। लोगो को इस बात का भरोसा दिलाना बेहद आवश्यक है कि एड्स जैसी बीमारी का इलाज संभव है और इस दिन विभिन्न चिकित्सक और संस्थाएं मिलकर काम करते हैं।
80 के दशक की बात करें तो तब अगर किसी को पता चलता था कि कोई व्यक्ति एड्स से पीड़ित है तो आने वाले 2 साल के अंदर ही उस पीड़ित की मौत हो जाती थी। क्योंकि यह वायरस सबसे पहले व्यक्ति के लिंफेटिक सिस्टम को पर हमला करके उसे खराब कर देता है। HIV के वायरस पूर्ण रूप से व्यक्ति के रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देता है। हालांकि आज तक HIV की कोई दवा नहीं बनी है लेकिन टीके के द्वारा इस बीमारी से बचा जा सकता है कोई व्यक्ति इसका टिका लेकर खुद का बचाव जरूर कर सकता है।
एड्स क्या है
आज इतने समय के बाद भी लोगो के मन में एड्स को लेकर कम जागरूकता है इसके लक्षणो को भी लोग नजरअंदाज करते हैं। एड्स HIV वायरस संक्रमण के कारण होने वाली बीमारी है दुनिया में हर साल मिलियन लोग इस बीमारी से मर रहे हैं और लेकिन इसके बावजूद भी अभी तक इसके लिए कोई वैक्सीन नहीं बन पाई।
इस एड्स नामक बीमारी को आज भी लोग बड़े हीन दृष्टि से देखते हैं यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें मनुष्य को संक्रमण से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। इसे एड्स संक्रमण की लास्ट स्टेज माना जाता है यानि की जिस व्यक्ति को पिछले कुछ सालो से HIV है उसे इस एड्स बीमारी के होने की संभावना ज्यादा होती है। और ऐसा तब होता है जब एक सामान्य व्यक्ति HIV संक्रमण व्यक्ति के वीर्य या खून के संपर्क में आता है।
HIV यानि एड्स के आंकड़े
विश्व स्वास्थ संगठन WHO के मुताबिक साल 2018 के आखिरी तक दुनिया में करिब 37. 9 मिलियन लोग HIV यानि एड्स के साथ जीवन बिताते हैं। उसी साल दुनिया में HIV से जुडी बीमारियो से 7 लाख 70 हजार लोगो ने अपनी जान गवां दी। WHO आंकड़ो के मुताबिक महामारी की शुरुवात से अब तक 75 मिलियन लोग HIV एड्स से संक्रमित हुए हैं और 3.2 मिलियन लोग HIV से मर भी चुके हैं।
उन लोगो को वैक्सीन की ज्यादा जरूरत है जो कि HIV संक्रमण से संक्रमित हैं। एड्स के आगे बढ़ने से पहले उन्हें HIV रहने के कारण वायरस डीएनए में छिप जाता है जिसका मतलब यह है कि वायरस की छिपी हुई कॉपी को नष्ट किया नहीं किया जा सकता है। इसीलिए एक वैक्सीन जो ज्यादा समय लेती है वह HIV जैसे संक्रमण को दूर करने के लिए प्रभावी नहीं हो सकती।
वैक्सीन को किसी भी व्यक्ति पर परीक्षण करने से पहले उसकी सुरक्षा और प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए उस वैक्सीन को पहले किसी जानवर पर उपयोग किया जाता है। हालांकि शोधकर्ताओ को ऐसा करने के लिए कोई अच्छा एनिमल मॉडल मिलना पड़ता है। इन सभी चुनौतियो का सामना करने के बावजूद वैज्ञानिक एक सुरक्षित और प्रभावी टीका खोजने के लिए लगातार जुटे हुए हैं उम्मीद है कि उनको उनका यह प्रयास महामारी को नियंत्रण करने में मदत करेगा।
एड्स (AIDS) का कारण
HIV का मतलब होता है ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस (Human Immunodeficiency Virus) यह वायरस ही एड्स (AIDS) का कारण होता है I मानव शरीर कि रक्षा प्रणाली को प्रतिरक्षा प्रणाली यानि इम्यून सिस्टम कहा जाता है I यह प्रतिरक्षा प्रणाली मानव शरीर को किसी भी वायरस या बैक्टीरिया से लड़ने कि क्षमता प्रदान करती है I इसी प्रतिरक्षा प्रणाली के कोशिकाओ पर HIV हामला करके उसे कमजोर बनाता है I यह कोशिकाए एक प्रकार के श्वेत रक्त कोशिकाए है जिन्हे (CD4) सेल्स भी कहा जाता है।
अगर वायरस को नियंत्रित करने के लिए दवा का उपयोग न किया जाए तो HIV के जीवाणु CD4 कोशिकाओ पर कब्ज़ा करके उन्हें लाखो वायरस कि प्रतिया बनाने वाली फैक्ट्री में परिवर्तित कर देते है I ऐसा होने पर CD4 कोशिकाएं नष्ट हो जाती है जिसके बाद प्रतिरक्षा प्रणाली धीरे धीरे कमजोर हो जाती है और आखिरी में यह एड्स का रूप ले लेती है।
- HIV के अलग अलग कई प्रकार होते हैं और इन्हे मुख्य तौर पर दो प्रकारो में वर्गीकृत किया जाता है।
- HIV-1- यह प्रकार पुरी दुनिया में पाया जाता है जो सबसे आम है।
- HIV-2- यह प्रकार अधिकतर पश्चिम अफ्रीका, एशिया और यूरोप में पाया जाता है।
एड्स (AIDS) के लक्षण
HIV संपर्क में आने के दो से चार सप्ताह के अंदर ही दिखाई दे सकते हैं इसके लक्षण इस प्रकार हैं बुखार, सर दर्द, थकान, गले में खराश, रात में पसीना आना, ग्रंथियों में सूजन होना, मांसपेशी में दर्द होना, चकत्ते होना ये सब लक्षण नजर आते हैं।