हर साल 17 मई को मनाए जाने वाले विश्व उच्च रक्तचाप दिवस पर आइए जानते हैं विश्व उच्च रक्तचाप दिवस क्यो मनाया जाता है, इस दिवस का इतिहास, महत्व के अलावा उच्च रक्तचाप के लक्षण, कारण और कुछ बचाव के बारे में। उच्च रक्तचाप में व्यक्ति को कई प्रकार के स्वास्थ्य जटिलताओ का सामना करना पड़ता है। जैसे कि डिमेंशिया, क्रोनिक, हार्टअटैक, प्रेशर स्टॉक, किडनी से संबंधित कई प्रकार के रोगो का सामना करना पड़ सकता है।
रक्तचाप क्या है
ब्लड प्रेशर स्फिग्मोमैनोमीटर या ब्लड प्रेशर मॉनिटर द्वारा मापा जाता है इसे दो श्रेणियो में सिस्टोलिक डायस्टोलिक (mmHg) में मापा जाता है। 120 mmHg का सिस्टोलिक रीडिंग दबाव को संदर्भित करता है क्योंकि शरीर के चारो ओर रक्त पंप करता है। 80 mmHg का डायस्टोलिक रीडिंग दबाव को संदर्भित करता है क्योंकि ह्रदय आराम करता है और रक्त से भर जाता है।
रक्तचाप वह बल है जो रक्त द्वारा रक्त वाहिकाओ के दीवारो पर लगाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक प्रसंस्कृत खाद्य उद्योग के विकास ने पूरी दुनिया में आहार में नमक की मात्रा को प्रभावित किया है जो उच्च रक्तचाप में भूमिका निभाती भूमिका निभाता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (AHA) के द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशो के मुताबिक सामान्य रक्तचाप 120 से अधिक 80 मिमी पारा है लेकिन उच्च रक्तचाप 130 से अधिक 80 मिमी HG से अधिक है। रक्तचाप को उच्च रक्तचाप के स्तर तक पहुंचने से पहले इसे नियमित आहार, अच्छी जीवन शैली के द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।
इसके लिए व्यक्ति को नियमित तौर पर खानपान के साथ शारीरिक व्यायाम और अच्छी लाइफ स्टाइल रखनी होगी। डॉक्टरो के द्वारा बताए गए दिशा-निर्देशों के मुताबिक उच्च रक्तचाप की बीमारी से पीड़ित लोगो को कम से कम 150 मिनट मध्यम एरोबिक व्यायाम या 75 मिनट जोरदार तीव्रता वाले व्यायाम करना चाहिए। लोगो को सप्ताह में कम से कम 5 दिन व्यायाम जरूर करना चाहिए जैसे कि साइकिल चलाना, टहलना, तैराकी करना इत्यादि। दवा उच्च रक्तचाप को कम करने, अपरिहार्य तनाव को प्रबंधित करने के साथ रणनीति विकसित करने आदि में भी बेहद मदद करती है।
World Hypertension Day का थीम
पहली बार 14 मई साल 2005 को यह दिवस मनाया गया था। लेकिन साल 2006 से ही इस दिवस को 17 मई के दिन मनाया जाने लगा और तब से आज तक हर साल 17 मई के दिन यह दिवस पूरी दुनिया भर में मनाया जाता है। साल 2013 से लेकर साल 2018 तक वर्ल्ड हाइपरटेंशन दिवस का थीम रखा गया था “अपनी संख्या को जाने” और साल 2021 का थीम रखा गया था “अपने ब्लड प्रेशर को नापे, उसे काबू में करें दीर्घायु बने”।
इस दिवस को मनाने का उद्देश्य
इसका उद्देश्य खासतौर पर निम्न से मध्यम आमदनी वाले इलाको में इस बीमारी से संबंधित जागरुकता बढ़ाना और वास्तविक ब्लड प्रेशर के तरीको में बढ़ावा देना है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य ना केवल साइलेंट किलर के बारे में लोगो में जागरूकता बढ़ाना है बल्कि लोगो को इस जोखिम भरे रोग के रोकथाम के तरीको से भी अवगत कराना है। यह हाइपरटेंशन की समस्या दुनिया के 30% आबादी को प्रभावित करती है।
आज कोरोना महामारी के दौर को देखते हुए हाई ब्लड प्रेशर नामक यह बीमारी और भी गंभीर होती दिखाई दे रही है और यह व्यक्ति के लिए ज्यादा खतरनाक हो सकती है। जिन लोगो को उच्च रक्तचाप मधुमेह और हृदय रोग हैं वह अगर कोरोना से संक्रमित होते हैं तो उनके लिए यह सब और ज्यादा जटिलताएं विकसित कर सकते हैं। जिन लोगो को आगे चलकर उच्च रक्तचाप होने की संभावना है वह इस महामारी के दौर में और तेजी से उच्च रक्तचाप के ओर अग्रसर हो रहे हैं।
क्योंकि इन दिनो तनाव के बढ़ते स्तर, व्यायाम की कमी, बार-बार लॉकडाउन अस्वास्थ्यकर आहार, अनियमित जीवनशैली व्यक्ति के रक्तचाप बढ़ाने में बहुत मुख्य भूमिका निभा रहा है। जिन लोगो को उच्च रक्तचाप है उन्हें नियमित समय के अंतराल में रक्तचाप की जांच करानी बेहद जरूरी है। यदि उनका रक्तचाप ज्यादा पाया जाता है तो इसका जल्दी से जल्दी इलाज किया जाना और सामान्य सीमा के भीतर लाना बहुत जरूरी है।
उच्च रक्तचाप के कारण
हाइपरटेंशन से जूझ रहे व्यक्ति आमतौर पर इस बात से अवगत नहीं होते कि इस बीमारी के शुरुआती चरणो का जिस कारण इस बीमारी के शुरुआती चरणो पर पता लगाने के कोई विशेष लक्षण नहीं है। इसीलिए हर साल लोगो के बीच जाकर इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए वर्ल्ड हाइपरटेंशन दिवस मनाया जाता है। इस दिन कई प्रकार के कार्यक्रमो का आयोजित करके साइलेंट किलर नामक इस रोग से लोगो को अवगत कराया जाता है। यह बताया जाता है कि इस बिमारी को काबू में करने और इसका रोकथाम करना मुश्किल नहीं है।
अनियमित खानपान जरूरत से ज्यादा मोटापा, निष्क्रिय जीवनशैली, तनाव युक्त जीवन शैली युवाओ में हाइपरटेंशन होने का प्रमुख कारण है। हाई ब्लड प्रेशर को ही हाइपरटेंशन कहते हैं हाइपरटेंशन होने पर कई प्रकार के स्वास्थ्य जटिलताओ का सामना करना पड़ सकता है। हर साल वैश्विक स्तर पर पूरी दुनिया में 17 मई के दिन वर्ल्ड हाइपरटेंशन दिवस मनाया जाता हैै इस दिवस को मनाने की शुरुआत वर्ल्ड हाइपरटेंशन लीग द्वारा की गई थी।
उच्च रक्तचाप होने पर होने वाली अन्य बीमारी
अगर लंबे समय तक व्यक्ति उच्च रक्तचाप से ग्रसित रहे तो एथेरोसिलेरोसिस का कारण भी बन सकता है। उच्च रक्तचाप की बीमारी से ग्रसित व्यक्ति अपने स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है, ऐसे व्यक्ति अपने काम पर ठीक से ध्यान नहीं दे पाता। जहां प्लाक बनने से रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती है इससे दिल की विफलता, दिल का दौरा और धमनीविस्फार हो सकते हैं यह धमनी के दीवार में एक असामान्य उभार है जो फट सकता है इसके अलावा गंभीर रक्तस्राव, गुर्दे की विफलता, स्टॉक आदि का कारण बन सकता है।
किसी भी प्रकार ह्रदय रोग को बढ़ावा देने के लिए मुख्य जोखिम कारक उच्च रक्तचाप ही होता है। लंबे समय तक उच्च रक्तचाप होने से व्यक्ति को दिल की विफलता, नींद की कमी, दृष्टि हानि, क्रोनिक, किडनी रोग जैसी गंभीर बीमारियो का जोखिम रहता है। नियमित आहार, सचेत जीवनशैली में बदलाव और दवाई रक्तचाप को कम कर सकती है खास तौर पर यह बीमारी महिलाओ से ज्यादा पुरुषो में होता है और आमतौर पर तो इसके कोई संकेत या लक्षण भी नहीं दिखाई देते हैं। उच्च रक्तचाप नामक इस बीमारी को एक मूल हत्यारा आधुनिक महामारी के रूप में भी जाना जाता है।

वैसे तो हम सबको यह पता ही है कि हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी को “साइलेंट किलर” के नाम से जाना जाता है। क्योंकि इसके होने पर व्यक्ति को जल्दी पता नहीं चलता कोई खास लक्षण नजर नहीं आते जिस कारण अंदर ही अंदर पीड़ित की कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम और किडनी जैसे आंतरिक अंग नुकसान हो जाते हैं। साथ ही हाई ब्लड प्रेशर के कारण व्यक्ति को पसीना आना, घबराहट होना, नींद ना आना, सिर दर्द, ब्लशिंग जैसी कई समस्याएं हो जाती है साथ ही व्यक्ति को और नाक से खून आने का भी अनुभव हो सकता है।
उच्च रक्तचाप के प्रकार
उच्च रक्तचाप को दो भागो में वर्गीकृत किया जाता है एक प्राथमिक उच्च रक्तचाप, और एक माध्यमिक उच्च रक्तचाप।
प्राथमिक उच्च रक्तचाप
प्राथमिक उच्च रक्तचाप में कई अन्य स्थिति या बीमारी के कारण होते है जो कि प्राथमिक उच्च रक्तचाप कहलाता है। यह रक्त प्लाज्मा की मात्रा और दबाव को नियंत्रित करने वाले हार्मोन की गतिविधि के साथ कई कारको के परिणाम स्वरूप होता है। यह तनाव और व्यायाम की कमी जैसे पर्यावरणीय अन्य कारको से भी प्रभावित होता है।
माध्यमिक उच्च रक्तचाप
तो वही माध्यमिक उच्च रक्तचाप की बात करें तो अगर उच्च रक्तचाप किसी अन्य स्थिति के कारण होता है इसका कुछ विशिष्ट कारण है और यह किसी अन्य समस्या की जटिलता है। यह गुर्दे की बीमारी, फियोक्रोमोसाइटोमा, मधुमेह से हो सकता है जो एक अधिवृक्क ग्रंथि का दुर्लभ कैंसर है। हाइपर थायराडिज्म, कुशिंग सिंड्रोम, मोटापा, गर्भावस्था आदि।
मई मापन माह (MMM)
दरअसल यह एक वैश्विक जागरूकता अभियान है और इस अभियान की शुरुआत इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ हाइपरटेंशन (ISH) के द्वारा शुरू किया गया है। इसमें दुनिया के अग्रणी वैज्ञानिक, चिकित्सक, स्वास्थ्य कार्यकर्ता और संबद्धित स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ता शामिल हैं ये सभी उच्च रक्तचाप अनुसंधान में समान रुचि रखते हैं।
लोगो को रक्तचाप के बारे में जानकारी देने और साथ ही स्वास्थ्य पर उच्च रक्तचाप के प्रतिकूल प्रभावो को कम करने के लिए MMM को साल 2017 में लॉन्च किया गया था। वैश्विक स्तर पर मौत का कारण बनने वाले स्ट्रोक, दिल का दौरा और अन्य कार्डियोवैस्कुलर जटिलताओ के लिए जोखिम कारको में रक्तचाप प्रथमिक योगदान देता है। उच्च रक्तचाप को कम करने के लिए कुछ कामो को रोजाना करते रहना चाहिए। तो आइए जानते हैं कुछ ऐसे बचाव जिन्हें अपनाकर उच्च रक्तचाप को कम किया जा सकता है।
रक्तचाप को नियंत्रण करने के लिए करें कुछ बचाव
एक रिसर्च से यह भी पता चला है कि एक सक्रिय जीवन शैली आपके सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर को औसतन 4 से 9 mm Hg तक कम करने में आपकी मदद करती है। जैसे कि व्यायाम स्वास्थ्य वजन को संतुलित रखने में मदद करता है जिसके परिणाम में ब्लड प्रेशर काबू करने में भी मदद मिलती है हालांकि यह जरूरी नहीं है कि नियमित तौर पर व्यायाम किया जाए। हाई ब्लड प्रेशर से बचने के लिए इस महामारी के दौर में घर पर रहने के दौरान योग, डांस, टहलना, व्यायाम इत्यादि करते रहना चाहिए।
व्यायाम करे
शोध के अनुसार सक्रिय जीवन शैली आपके सिस्टोलिक रक्तचाप को औसतन 4 से 9 मिमी एचडी तक कम करने में मदद करती है। व्यायाम करने से व्यक्ति स्वस्थ वजन बनाए रखने में मदद मिलती है साथ ही उच्च रक्तचाप को भी नियंत्रण किया जा सकता है इसके लिए रोजाना व्यक्ति को नियमित रूप से एक्सरसाइज करना जरूरी है।
खान-पान
उच्च रक्तचाप को प्रबंधित करने के लिए भोजन का पैटर्न अच्छे से तैयार करना होता है। उच्च रक्तचाप को नियंत्रण करने के लिए खान पान में कुछ प्रकार बदलाव करने की आवश्यकता होती है। जैसे कि साबुत अनाज, फल, सब्जीया, नोट्स, कम वसा वाले उत्पाद, मांस और मछली, कम नमक, सब्जी इत्यादि को अपने डायट में जरूर शामिल करें। और प्रतिदिन का नमक का सेवन 2300 मिलीग्राम सोडियम से कम ही होना चाहिए जो एक चम्मच नमक यानि 5 ग्राम नमक के बराबर है। संतृप्त और ट्रांस वसा से बच कर रहे साथ ही अपने खानपान में चीनी को शामिल करें।
दवाई बंद ना करें
कोई व्यक्ति जब उच्च रक्तचाप से पीड़ित होता है तो उनको आहार और व्यायाम के अलावा दवाई का भी सेवन करते रहना चाहिए। रक्तचाप की सीमा को एक सीमा के भीतर बनाए रखने के लिए समय अनुसार दवाइयो को लेना बहुत जरूरी होता है।
Smoking ना करें
वैसे तो हम सब को यह पता है की धूम्रपान करने से बहुत ही घातक बीमारियो का सामना करना पड़ सकता हैै। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब आप स्मोकिंग करते हैं तो उसे खत्म करने के बाद और स्थाई रूप से आपका आपका ब्लड प्रेशर कई मिनटो तक बड़ा रहता है। इसीलिए अन्य बीमारियो से स्वस्थ रहने के साथ ही हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारी से भी बचने के लिए हार्ड अटैक और स्ट्रोक के खतरे को कम करने में स्मोकिंग को छोड़ना बेहद जरूरी है।
अल्कोहल का सेवन ना करें
ब्लड प्रेशर को सीमा में रखने के लिए अल्कोहल का उपयोग भी बंद करना पड़ेगा ब्लड प्रेशर लेवल को बढ़ाने में अल्कोहल भी पूरी तरह से अपनी भूमिका निभाता है। एक बैठक में अगर आप 3 दिन से ज्यादा पेक पीते हैं तो यह स्थाई रूप से आपके ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकता है। अगर आपको पहले से ही हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी है तो अल्कोहल के उपयोग से बचें और अगर आप पीते भी हैं तो उसे काफी संतुलित मात्रा में ही पिए।