Wednesday, November 29, 2023
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World Asthma Day 2021 अस्थमा दिवस के अवसर पर आइए जानते हैं इस बीमारी से जुड़ी जानकारी।

हर साल मई महीने के प्रथम मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस साल 2021 में यह दिवस 4 मई को मनाया गया। दरअसल यह दिवस लोगो तक अस्थमा से जुड़ी जानकारी पहुंचाने और इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए वैश्विक स्तर पर इस दिन का आयोजन किया जाता है। अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जो शरीर पर आक्रमण करके श्वसन प्रणाली को प्रभावित करती है। ऐसे में अस्थमा के मरीजों की सहायता करने के लिए भी इस दिन को मनाया जाता हैै।

विश्व अस्थमा दिवस की शुरुआत 

इस दिवस की शुरुआत विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से साल 1993 में ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा के जरिए किया गया था। साल 1998 में 35 से अधिक देशो में इस दिन का आयोजन किया गया था। डब्ल्यूएचओ( WHO) के मुताबिक यह अंदाजा लगाया गया है कि वैश्विक स्तर पर 339 मिलियन से भी ज्यादा लोग आस्थमा से ग्रसित थे और साल 2016 में वैश्विक स्तर पर आस्थमा के कारण 417,918 लोगो की मौत हुई। 

विश्व अस्थमा दिवस के लिए हर साल अलग अलग विषय रखा जाता है। इस साल 2021 में इस दिवस का थीम यानी विषय रखा गया था- “Uncovering Asthma Misconceptions”यानि “अस्थमा की भ्रांतियो को उजागर करना”। लोगो के बीच आस्थमा से जुड़े कई गलत बाते प्रचलित है। उन लोगो तक सच को पहुंचाने के लिए हर साल अलग अलग विषय के साथ इस दिवस को मनाया जाता है। पिछले साल यानी साल 2020 में विश्व अस्थमा दिवस का थीम रखा गया था  अस्थमा से होने वाले पर्याप्त मृत्युए” . इसी तरह हर साल एक एक नए थीम के साथ विश्व आस्थमा दिवस को मनाया जाता है। ताकि लोगो में इस बीमारी से जुड़े गलत विचारों को उजागर किया जा सके और आस्थमा से पीड़ित लोगों की सहायता के साथ ही उनका मनोबल बढ़ाया जा सके।

अस्थमा के लक्षण 

आस्थमा के लक्षणो की बात करें तो मुख्य तौर पर आस्थमा में व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई होती है। अस्थमा के रोगियो को सांस लेने में कठिनाई होना एक मुख्य लक्षण है। क्योंकि अस्थमा होने पर रोगियो के स्वास नली में सूजन आ जाती है जीस कारण उनका स्वसन मार्ग सिकुड़ जाता है। इसके अलावा उन्हें जोरदार खांसी, घबराहट और सीने में जकड़न के साथ भारीपन होना आम बात है। फेफड़ो में लंबे समय तक कफ जमा रहना, नारी की गति बढ़ जाना, सांस लेते समय अजीब एक भारी आवाज आना आदि जैसे लक्षण दिखाई देते हैं यही सब लक्षण एक अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति में होते हैं। 

अस्थमा के रोगियो को करने चाहिए कुछ बचाव  

अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति को भारी भोजन, तले हुए खाद्य पदार्थ, ज्यादा मीठा, ज्यादा ठंडा पानी, ठंडे खाद्य सामग्री जैसे कि दही इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए। आस्थमा के रोगियो को प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट वाली चिज़ो का सेवन कम से कम करना चाहिए। ऐसे व्यक्ति को कोल्ड ड्रिंक जैसे ठंडे पेय पदर्थों से बचके रहना चाहिए। 

अस्थमा के मरीजो की समस्या ठंड के मौसम में और ज्यादा बढ़ जाती है। अस्थमा पीड़ित व्यक्ति को इस दौरान सुबह और शाम के समय अपने आप का काफी ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है। क्योंकि सर्दी के मौसम में इन्हे ठंड लगने पर अस्थमा की समस्या और ज्यादा बढ़ने लगती है। इसीलिए ठंड के मौसम में अस्थमा के रोगियो को अच्छे से बचाव करके चलना चाहिए। जैसे कि इस मौसम में इन्हें सुबह-शाम छाती पर गर्म तेल से मालिश करना चाहिए। ठंड के मौसम में अस्थमा मरीजो को कभी ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए। हमेशा गर्म पानी का सेवन करना ही अस्थमा को नियंत्रण में रखता है।

अस्थमा के रोगियो के लिए कोरोना है खतरनाक 

इसके अलावा अगर आज के समय की बात करें तो अस्थमा से ग्रसित लोगो के लिए कोरोना का यह दौर बहुत घातक सिद्ध हो सकती है इसलिए अस्थमा के मरीजों को बेहद ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत होती है। मौसम में बदलाव और वातावरणीय प्रदूषण से अस्थमा के मरीजों की दिक्कत बढ़ने लगती है। कोरोना में फेफड़ों में खून सप्लाई करने वाली नलियों में खून जमने लगता है जिससे निमोनिया और सेप्टीसीमिया होने का डर रहता है। इससे शरीर में ऑक्सीजन का स्तर लगातार घट जाता है। इस स्थिति में अस्थमा के मरीजों में ज्यादा परेशानी होने लगती है। 

World Asthma Day 2021 अस्थमा दिवस के अवसर पर आइए जानते हैं इस बीमारी से जुड़ी जानकारी।

कोरोना और अस्थमा दोनो ही फेफड़ो से संबंधित बीमारी है। इसीलिए कोरोना वायरस के वजह से ऑक्सीजन की आवश्यकता भी बढ़ रही है। क्योंकि कोरोना वायरस के मरीज को सांस लेने में दिक्कत आने लगती है और अस्थमा में भी व्यक्ति अच्छे से सांस नहीं ले पाता है। अस्थमा मरीज को कोरोना होने पर उन्हें ठीक होने में ज्यादा से ज्यादा समय लग सकता है।

अस्थमा के कारण 

अस्थमा फेफड़ों से सम्बंधित ऐसा रोग है जिसमें सांस लेने में भी आफत आ जाती है। दुनियाभर में अस्थमा से करीब 1.5 करोड़ लोग प्रभावित हैं। डब्लूएचओ(WHO) के अनुसार कम आय वाले देशो में अस्थमा से 80 फीसदी मौते होती है। भारत की बात करें तो भारत में करीब 10 में से एक व्यक्ति अस्थमा से प्रभावित है। यह अनुवांशिक बीमारी है इसमें कुछ प्रकार के बचाव कारगर है अवेयरनेस और सही समय पर इलाज के जरिए अस्थमा से काफी हद तक बचा जा सकता है।

अगर अस्थमा को समय रहते ही पहचान और नियंत्रित करने के लिए बचाव नहीं किए जाते तो व्यक्ति को सांस लेने में समस्या आ सकती है। वैसे तो अस्थमा की बीमारी को ठीक नहीं किया जा सकता लेकिन अगर इसके लिए जरूरी बचाव और जरूरी दवाइयो के साथ संभावित इलाज किए जाए तो अस्थमा मरीज साधारण जीवन जी सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि अस्थमा की बीमारी को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है। हालांकि अस्थमा का अटैक ना हो यानी अस्थमा को रोगी पर हावी होने से रोकने के लिए कुछ बचाव और आवश्यक ट्रीटमेंट लिए जा सकते हैं।

आजकल की लाइफस्टाइल और प्रदूषण भी ही है ज़ीम्मेदार 

दरअसल दुनिया में बढ़ते प्रदूषण और लोगों की बिगड़ी लाइफ़स्टाइल के कारण दुनिया भर में अस्थमा के मरीजो की संख्या में काफी वृद्धि हो जाती है। और जब तक लोग इस बीमारी को समझ पाते हैं तब तक यह एक बड़ा रूप धारण कर लेता है। और इस बात को मद्देनजर रखते हुए विश्व अस्थमा दिवस को मनाने की शुरुआत हुई थी। ताकि लोगो को इस रोग के प्रति जागरूक किया जाए उनका ध्यान आकर्षित किया जाए। और वे समय रहते इस बीमारी के रोकथाम के लिए कुछ जरूरी उपायो को करके रोगी के जीवन को सहज बना सके।

विशेषज्ञो के अनुसार जब तक हम देश के युवाओ के लिए संतुलित जीवन शैली का चुनाव नहीं करते हैं, तब तक यह समस्या बढ़ती ही जाएगी। यही नहीं घर घर के चारदीवारी में बंद रहने वाले युवा जब पढ़ाई लिखाई के लिए घर से बाहर निकलते हैं तो वातावरण के धूल मिट्टी प्रदूषण के कारण भी उन्हें एलर्जी होने की संभावना बढ़ जाती है। बदलती जीवन शैली हमारे युवाओ के लिए खतरा बनके बीमारी का कारण बन रहा है।

इन्फेक्शन और एलर्जी बी भी है ज़िम्मेदार 

वायरल इन्फेक्शन से भी अस्थमा की शुरुआत होती है। किसी को अगर बार बार सर्दी, बुखार, खांसी जैसे समस्याओं का सामना करना पर रहा है तो यह एलर्जी का संकेत होता है। और इन्हें समय पर इलाज कराकर ठीक करना बहुत जरूरी है क्योंकि अगर इन्हें समय पर इलाज नहीं मिलता तो यह एलर्जी धीरे-धीरे अस्थमा का रूप ले लेता है। आइए जानते हैं कुछ घरेलू उपायो के बारे में जिन्हें अपनाकर अस्थमा को कुछ हद तक कंट्रोल किया जा सकता है।
अस्थमा के मरीजो की समस्या ठंड के मौसम में और ज्यादा बढ़ जाती है। अस्थमा पीड़ित व्यक्ति को इस दौरान सुबह और शाम के समय अपने आप का काफी ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है। क्योंकि सर्दी के मौसम में इन्हे ठंड लगने पर अस्थमा की समस्या और ज्यादा बढ़ने लगती है। इसीलिए ठंड के मौसम में अस्थमा के रोगियो को अच्छे से बचाव करके चलना चाहिए। जैसे कि इस मौसम में इन्हें सुबह-शाम छाती पर गर्म तेल से मालिश करना चाहिए। ठंड के मौसम में अस्थमा मरीजो को कभी ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए। हमेशा गर्म पानी का सेवन करना ही अस्थमा को नियंत्रण में रखता है।

Jhuma Ray
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नमस्कार! मेरा नाम Jhuma Ray है। Writting मेरी Hobby या शौक नही, बल्कि मेरा जुनून है । नए नए विषयों पर Research करना और बेहतर से बेहतर जानकारियां निकालकर, उन्हों शब्दों से सजाना मुझे पसंद है। कृपया, आप लोग मेरे Articles को पढ़े और कोई भी सवाल या सुझाव हो तो निसंकोच मुझसे संपर्क करें। मैं अपने Readers के साथ एक खास रिश्ता बनाना चाहती हूँ। आशा है, आप लोग इसमें मेरा पूरा साथ देंगे।
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