अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस को मई दिवस, अंतरराष्ट्रीय लैबोर दिवस, अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस, राष्ट्रीय मजदूर दिवस के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन पूरी दुनिया के श्रमिको को समर्पित होता है। भारत में इस श्रमिक दिवस की नीव साल 1923 में रखी गई थी। दरअसल लेबर किसान पार्टी ने भारत के श्रमिक मजदूर वर्ग में सुधार करने के लिए भारत चेन्नई से लेबर दिवस की शुरुआत की थी।
हर साल 1 मई के दिन वैश्विक स्तर पर पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस मनाया जाता हैै। दरअसल यह दिन मजदूर वर्गो के द्वारा किए गए संघर्ष, समर्पण और प्रतिबद्धता के लिए जश्न मनाता है। और कई देशो में इस दिन वार्षिक सार्वजनिक अवकाश भी होते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस का इतिहास
साल 1886 में 1 मई के दिन 8 घंटे के कार्य दिवस की मांग के समर्थन में शिकागो और कुछ अन्य शहर एक प्रमुख संघ प्रदर्शन के स्थल थे। साल 1889 में इंटरनेशनल सोशलिस्ट कॉन्फ्रेंस ने घोषणा किया कि हेमार्केट संबंध के याद में 1 मई को श्रम बल के लिए एक अंतरराष्ट्रीय अवकाश रहेगा जिसे अब अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के रूप में जाना जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization-ILO) संयुक्त राष्ट्र की विशिष्ट संस्था है। इसकी स्थापना साल 1919 में हुई थी और इसका मुख्यालय जिनेवा स्विट्जरलैंड में स्थित है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ, अंतरराष्ट्रीय आधार पर मजदूर श्रेणी के रक्षा के लिए नियम बनाता है।
कैसे हुई इस दिवस को मानाने की शुरुआत
औद्योगिक क्रांति के दौरान देश के मजदूरो के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता था। दिन भर मजदूरी करने वाले श्रमिको को किसी प्रकार सम्मान नहीं दिया जाता था, उन्हें हर दिन 15 घंटे से भी ज्यादा समय काम पर लगा कर रखे जाते थे। सभी मजदूर वर्ग गंभीर व कठोर से कठोर परिस्थितियो में भी काम करने के लिए मजबूर रहते थे। लेकिन ऐसा होने के बावजूद भी मजदूरो को उनकी मेहनत की संपूर्ण भुगतान नहीं मिल पाता था। उनके कड़ी मेहनत करने के बावजूद भी उनका अधिकार उन्हें पर्याप्त मात्रा में नहीं दिया जाता था।
इसीलिए औद्योगिक क्रांति की चरम सीमा के दौरान श्रमिक संघ ने मिलकर इस बात का विरोध किया। इस दौरान पुलिस ने मजदूरो पर गोली चलाई जिसमें कुछ मजदूर घायल हुए और कुछ मजदूरो की जान भी चली गई। जिसके पश्चात साल 1889 में राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की दूसरी बैठक का आयोजन हुआ, जिसमें 1 मई के दिन अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाने का फैसला रखा गया। साथ ही मजदूरो को 8 घंटे से ज्यादा काम न करवाने की मांग रखी और इस दिन अवकाश रखने का भी घोषणा किया गया।
भारत में इस दिवस की शुरुआत
भारत में इस दिवस को मनाने की शुरुआत चेन्नई में हुई थी। चेन्नई में 1 मई साल 1923 के दिन लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान(Labour Kisan Party of Hindustan) की अध्यक्षता में इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई थी। इस दिवस को मनाने के बात को कई सोशल पार्टी और कई संगठनो ने समर्थन किया, जिसका नेतृत्व वामपंथी कर रहे थे। जिसके फलस्वरूप भारत में भी 1 मई के दिन इस दिवस को मनाने की शुरुआत हुई।
अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर क्या होता है
इस दिन कई कल्याणकारी योजनाओ की घोषणा की जाती है। सरकारी और गैर सरकारी संगठनो में कई प्रकार से मजदूरो के अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए समारोह का आयोजन किया जाता है। विभिन्न कार्यक्रम प्रसारित होते हैं हालांकि पिछले साल और इस साल कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुएचारों तरफ लॉक डाउन होने के कारण इस प्रकार के गतिविधियों में बाधा आई है।
अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस मनाने का उद्देश्य
अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस ऐसे ही नहीं मनाया जाता, इस दिवस को मनाने पीछे उद्देश्य छिपा है। इस दिवस को वैश्विक स्तर पर मनाने का उद्देश्य यही है कि मजदूरो को उनकी उपलब्धियो का सम्मान मिल सके। मजदूर संगठन को मजबूत किया जाए ताकि उनके अधिकारो के लिए आवाज उठाई जा सके। देश और दुनिया के मजदूरो को मजबूत किया जाए और देश के विकास में उनके योगदान की चर्चा हो।

साथ ही कोई भी व्यक्ति या ठेकेदार मजदूरो के साथ नाइंसाफी ना कर सके इसके लिए आप और हम सभी को मिलकर आवाज उठाना चाहिए। कहीं भी ऐसी परिस्थिति देखने पर हमें मजदूरो के अधिकार के खातिर आगे बढ़ने के लिए उन्हें प्रेरित करना चाहिए ताकि उनके मेहनत का उन्हें पूरा भुगतान मिल सके।
1 मई को क्यों मनाया जाता है यह दिवस
जब मजदूरो ने अपनी मेहनत के लिए पर्याप्त और उचित काम के उचित मजदूरी की मांग की उसके पश्चात 1 मई के दिन उनकी मांगे पूरी हुई और इसीलिए उनके सफलता के परिणाम स्वरुप हर साल 1 मई के दिन विभिन्न महाद्वीपो में अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस मनाया जाता है और इस दिन को लोग कामगार दिन के नाम से भी जानते हैं।
यह दिन मजदूरो की उपलब्धियो और देश के विकास में उनके द्वारा किए गए योगदान को सलाम करने का दिन है। यह दिन मजदूरो को सम्मान देने, उनकी एकता और उनके हक के समर्थन के लिए मनाया जाता है। इस दिन दुनिया के कई देशो में छुट्टी यानी अवकाश रहता है। मजदूर संगठन से जुड़े लोग इस दिन रैली और सभाओ का भी आयोजन करते हैं और अपने अधिकारो के लिए अपनी आवाज उठाते हैं।