हर साल 25 अप्रैल के दिन विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। मलेरिया जैसी गंभीर बीमारी की ओर लोगो का ध्यान आकर्षित करने के लिए इस दिवस को विश्व स्तर पर मनाया जाता है।
इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य यही है कि मलेरिया जैसी बीमारी के प्रति लोगो के ज्ञान को बढ़ाया जाए। यह दिवस मलेरिया के निवारण और नियंत्रण के लिए सतत निवेश और राजनीति प्रतिबद्धता के जरूरत को रेखांकित करने के लिए मनाया गया।
विश्व मलेरिया दिवस को हर साल मनाने का उद्देश्य यही है कि मलेरिया को नियंत्रित करने के लिए वैश्विक स्तर पर प्रयास किया जाए। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बात करें तो कुल 106 देशो में 3.3 बिलियन लोगो को मलेरिया का खतरा है। लेकिन अमरीका और उसके परिमाण में मध्यपूर्व के साथ-साथ यूरोप के कुछ ऐसे भी जाने से जानलेवा बीमारी इस मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारी से प्रभावित है।
पहली बार साल 2008 में 25 अप्रैल के दिन विश्व मलेरिया दिवस मनाया गया था। यूनिसेफ के द्वारा इस मलेरिया दिवस को मनाने का उद्देश्य यही है मलेरिया जैसे खतरनाक बीमारी पर जनता का ध्यान केंद्रित किया जाए जिससे कि हर साल लाखो लोग मरते हैं। साल 2030 तक भारत में मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारी को खत्म करने का लक्ष्य बनाया गया है।जबकि साल 2027 तक पूरे देश को मलेरिया मुक्त बनाया जायेगा और इसके लिए शासन स्तर पर कई योजनाएं चलाई जा रही है।
अफ्रीकी देश नाइजीरिया में मलेरिया के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं विश्व के 27 प्रतिशत मलेरिया पीड़ित लोग नाइजीरिया में ही रहते हैं। इस सूची में दूसरे स्थान पर अफ्रीका का कानून गणराज्य काबिज है।
साल 2007 में विश्व मलेरिया दिवस स्वास्थ्य सभा के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सदस्य राज्य द्वारा शुरू किया गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मलेरिया से प्रभावित शीर्ष पांच देश है नाइजीरिया, कांगो लोकतांत्रिक गणतंत्र, मोजाम्बिक, बर्किना फासो और सियरा लियोन।
मलेरिया एक प्लाज्मोडियम परजीवी से उत्पन्न होने वाला रोग है। जो रक्त कोशिकाओ को संक्रमित करता है मलेरिया सबसे प्रचलित संक्रामक रोगो में से एक है और एक भयंकर जन स्वास्थ्य समस्या है। मलेरिया की बीमारी सबसे ज्यादा मच्छर काटने से फैलती है जिस व्यक्ति को मलेरिया होता है उसे काटने से मच्छर भी संक्रमित हो जाता है और जब यह मच्छर फ्यूचर में आपको काटता है तो यह आपके लिए मलेरिया परजीवी को प्रसारित करने की प्रवृत्ति रखता है। मादा एनोफ़िलेज़ (Anopheles) मच्छर ही मलेरिया के परजीवी का वाहक है। इस बीमारी का इलाज और रोकथाम किया जा सकता है मलेरिया के आम लक्षण होते हैं जैसे कि बुखार, ठंड लगना, जी मचलना, उल्टी होना, बदन दर्द, सिर दर्द करना, खांसी और दस्त होना इत्यादि।
विश्व मलेरिया दिवस मलेरिया जैसी घातक बीमारी के रोकथाम, नियंत्रण और इसके उन्मूलन के जरूरतो के बारे में लोगो में जागरूकता बढ़ाता है। यह दिन मलेरिया जैसी बीमारी के खिलाफ लगातार चल रहे लड़ाई में महान उपलब्धियो का भी प्रतीक है। इस घातक बीमारी के बारे में लोगो में बेहतर समझ और इसे किस प्रकार ठीक किया जा सकता है इसके लिए लोगो को शिक्षा देना भी बहुत जरूरी है।
विश्व मलेरिया दिवस का थीम
मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है, जो प्लाज्मोडियम परजीवी के कारण फैलती है। साल 2020 में विश्व मलेरिया दिवस का थीम रखा गया था “Zero malaria starts with me”
मलेरिया को जड़ से मिटाने के लिए और लोगो को बढ़ावा देने के लिए डब्ल्यूएचओ(WHO) ने आरबीएम(RBM) पार्टनरशिप को ज्वाइन किया है जो राजनीतिक एजेंट में मलेरिया को खत्म करने का अभियान है।
डब्ल्यूएचओ(WHO) के मुताबिक 2000 और साल 2014 के बीच पूरी दुनिया में मलेरिया से संबंधित मौतो की संख्या में 40 प्रतिशत गिरावट आई है। एक अनुमान के अनुसार अंदाजा लगाया जा सकता है कि योगी रावत कि 743000 से 446000 तक। WHO के विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2019 में कहा गया था कि साल 2014 से साल 2018 की अवधि में नए संक्रमणो को कम करने में वैश्विक स्तर पर कोई लाभ नहीं हुआ है।
विश्व मलेरिया दिवस का इतिहास
विश्व मलेरिया दिवस को अफ्रीका के मलेरिया दिवस से विकसित किया गया जो कि पहली बार साल 2008 में आयोजित किया गया था। यह मूल रूप से एक इवेंट है जो साल 2001 के बाद से अफ्रीका के सरकारो के द्वारा मनाया गया।
उन्होंने प्रगति का लक्ष्य रखते हुए इस काम की पहल की जिसका उद्देश्य मलेरिया को नियंत्रण में करना था और अफ्रीकी देशो में इसके मृत्यु के दर को कम करना था। विश्व स्वास्थ्य सभा के 60 वें सत्र में साल 2007 में विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ(WHO) के द्वारा गठित हुए एक बैठक में प्रस्ताव रखा गया कि पूरी दुनिया के देशो में मलेरिया के अस्तित्व की पहचान करने और लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए अफ्रीका मलेरिया दिवस को विश्व स्तर पर मलेरिया दिवस के रूप में बदला जाए ताकि मलेरिया जैसे रोग से वैश्विक स्तर पर लड़ने का प्रयास किया जाए।
विश्व मलेरिया दिवस नए डोनर्स को मलेरिया के खिलाफ एक वैश्विक साझेदारी में शामिल होने में सक्षम बनाता है और अनुसंधान व शैक्षणिक संस्थानो को जनता के लिए वैज्ञानिक प्रगति को भी सामने लाता है। यह दीन अंतरराष्ट्रीय साझेदारो कंपनियो और फाउंडेशनो को अपने प्रयासो को प्रदर्शित करने का भी मौका देता है। और किस प्रकार के काम किए जाते हैं इस बात को दिखाता है।

मलेरिया नामक यह बीमारी प्लाज्मोडियम परजीवी(Plasmodium parasite) के कारण होता है। यह परजीवी को संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छर (Anopheles mosquitoes) के काटने से मनुष्य में हो सकता है। जिसे “मलेरिया वैक्टर” भी कहा जाता है।
वैसे तो विभिन्न प्रकार के प्लाज्मोडियम परजीवी होते हैं। लेकिन केवल पांच प्रकार के प्लाज्मोडियम ही मनुष्यो में मलेरिया का कारण बनता है और वह प्लाज्मोडियम है –
प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम (Plasmodium falciparum), प्लास्मोडियम विवैक्स (Plasmodium vivax), पी. ओवले और प्लास्मोडियम मलेरिया (P. ovale and Plasmodium malariae) और प्लास्मोडियम नॉलेसी (Plasmodium knowlesi).
वैश्विक स्तर पर मलेरिया से होने वाले मौतो के लिए सबसे ज्यादा जो जिम्मेदार है वह है प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम(Plasmodium falciparum) और यह प्रजाति सब सहारन अफ्रीका में सबसे अधिक प्रचलित प्रजाति है।
दूसरी जो सबसे महत्वपूर्ण प्रजाति है वह प्लाज्मोडियम विवैक्स (Plasmodium vivax). यह दक्षिण पूर्व एशिया और लैटिन अमेरिका में काफी फेमस है।
प्लाज्मोडियम विवैक्स और प्लाज्मोडियम ओवले (Plasmodium vivax and P. ovale) के वजह से एक निष्क्रिय लीवर स्टेज (Dormant liver stage) की शिकायत हो सकती है और इसे ठीक भी किया जा सकता है।
मलेरिया Acute febrile बीमारी है। आमतौर पर इसके लक्षण संक्रमित मच्छर के काटने के 10 से 15 दिनो के बाद दिखाई देते हैं। लेकिन शुरुआती समय में इसके लक्षण बुखार, सर दर्द और ठंड लगना ही होते है।
इस मलेरिया जैसी घातक बीमारी के संचरण को रोकने के लिए और इसके परिमाण को कम करने का मुख्य उपाय यही है कि इसे नियंत्रण करने के लिए बेहतर उपाए किए जाए। जिनमें कीटनाशक, उपचारित मच्छरदानी और इनडोर अवशिष्ठ छिड़काव का उपयोग करना है।
क्रीम, लोशन, स्प्रे जैसे कीट प्रतिकारको का उपयोग करना है और मच्छर के काटने से बचना है इसके अलावा इस प्रकार के सुरक्षात्मक कपड़े पहनना है जो हाथ और पैरों को कवर करते हो मलेरिया को रोको और ठीक भी किया जा सकता है मलेरिया को रोका भी जा सकता है और इसे ठीक भी किया जा सकता है कर कई जगहों पर तो विभिन्न रूप से मलेरिया को कम करने के प्रयासों में भी वृद्धि हुई है
विकसित देशो में मलेरिया कई मरीजो के मौत का कारण बना है मच्छरो के कारण फैलने वाली इस बीमारी में हर साल लाखो लोग अपनी जान गवा देते हैं। यह बीमारी इसीलिए भी और खतरनाक हो जाती है क्योंकि इस बीमारी के वाहक मादा एनाफिलीज मच्छर एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे तक कीटाणु फैला देता है।
मलेरिया के लक्षण की बात करें तो यह एक निश्चित अंतराल से रोजाना एक निश्चित समय पर मरीज को बुखार लगाता है जिसमें मरीज को सिर दर्द के साथ पूरे बदन में कपकपी और ठंड लगने लगती है । इस दौरान मरीज बहुत ही कमजोर महसूस करते हैं उनके हाथ पैर में दर्द होता है और उन्हें हद से ज्यादा ठंड का अनुभव होता है।
मलेरिया बीमारी से बचाव भी संभव है
मलेरिया से बचने के लिए सबसे अच्छा उपाय यह है कि रोज रात को मच्छरदानी का उपयोग करें। घर और आसपास जमे हुए पानी से छुटकारा पांए। किसी भी चीज में जमे हुए पानी को ना रहने दें इसके अलावा रुके हुए पानी में स्थानीय नगर निगम कर्मियों या मलेरिया विभाग द्वारा दवाई का छिड़काव करें। अगर किसी व्यक्ति में यह लक्षण दिखे तो उसे जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
इस रोग में कुनैन की गोली फायदेमंद होती है बच्चो और गर्भवती महिलाओ के मामले में तो ज्यादा ही सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। क्योंकि यह ज्यादातर बच्चो और गर्भवती महिलाओ को जल्दी आक्रमण करती है। मलेरिया के मरीज को सूखे और गर्म स्थान पर आराम करने देना चाहिए। इस बीमारी के दौरान मरीज को उल्टिया भी आ सकती है जिस कारण मरीज को निर्जलीकरण की भी शिकायत हो सकती है। ध्यान रखें कि मलेरिया के मच्छर काटने के 14 दिन बाद मलेरिया के लक्षण सामने आने लगते हैं।