भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण का सबसे पहला मामला केरल में 30 जनवरी साल 2020 में देखा गया था। इसके अगले ही दिन 31 जनवरी को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस को वैश्विक चिंता की अंतरराष्ट्रीय आपदा घोषित की। कोरोना वायरस संक्रमण का मामला सबसे पहले चीन के वुहान में सामने आया था वहां 22 दिसंबर साल 2019 में ही अधिकारियो ने नए वायरस के मामले की पुष्टि की थी। और मार्च महीना आते ही दुनिया भर में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए भारत में लॉक डाउन लगा दिया गया।
और अब एक साल बाद यह मामला और ज्यादा जोर शोर से सामने आ रही है। पिछले साल लाखो की तादात में मौत होने के बाद अब इस साल फिर से लोगो की मौत हो गई है। साल 2020 में हुए भयानक संकट के बाद पता नहीं कितने ही लोगो ने अपनी जान गवाई। लेकिन अब यह संकट फिर से दिखाई दे रहा है। अब हर दिन पिछले साल से भी ज्यादा कोरोना मरीज़ देखने को मिल रहे हैं। पहले की तुलना में भी अब ज्यादा लोग इसके दायरे में आ रहे हैं।
चारो ओर होरा होरी मची है, जहां कोरोना वायरस के केस ज्यादा देखने को मिले हैं वहां पर फिर से लॉकडाउन लगा दिया गया है। जैसे कि दिल्ली, बिहार, राजस्थान, पूना जैसे जगहो में लॉकडाउन भी लग गया है। अब तो सरकार भी अंदाजा नहीं लगा पा रही है कि यह कब खत्म होगा। कोरोना काल के दौरान जो दूसरा संकट दिखाई देने लगा है वह है ऑक्सीजन की कमी। कोरोना संकट में मरीजो की संख्या में वृद्धि होने के कारण उनके लिए ऑक्सीजन की पूर्ति करने में भी संकट दिखाई दे रहा है। और ऑक्सीजन के अभाव में कितने ही लोगो की जान जा रही है। ऐसे में अगर सरकार फिर से लॉक डाउन लग जाती है तो पिछली बार की तरह फिर से भारत की अर्थव्यवस्था पूरी तरह हिल जाएगी।
भारत ने बायोटेक और आईसीएमआर के कोरोना टीके के तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल में अंतिम नतीजे घोषित किए। कोरोना के मरीजो पर टीका का 78% असर होगा और वहीं गंभीर कोरोना वायरस का प्रभाव 100 प्रतिशत है। दोहरे बदलाव वाले से बचाने में भी कोरोना वैक्सीन कारगर है। ऑक्सीजन को लेकर हरियाणा, यूपी में मारामारी मची हुई है। ऑक्सीजन संकट को लेकर नरेंद्र मोदी ने उच्चस्तरीय की बैठक आयोजित की। इस बैठक में प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी सभी मौजूद थे।
इस बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी ने कई दिशा-निर्देश जारी किए। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन की जमाखोरी करने वालो पर कार्रवाई करें। इस दौरान अधिकारियो ने ऑक्सीजन की आपूर्ति में सुधार करने के लिए उठाए गए कदमो से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अवगत कराया। उत्पादन और वितरण में तेजी लाने पर पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि राज्यो को सुचारू रूप से और अबाधित तरीके से ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। व्यवधान होने के मामले में स्थानीय प्रशासन के साथ जवाबदेही तय की जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा की ऑक्सीजन की आपूर्ति और उपलब्धता को लेकर बैठक में कहा कि राज्य सरकार को ऑक्सीजन की जमाखोरी को लेकर कार्रवाई करनी चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि राज्यो की ऑक्सीजन की मांग और आपूर्ति के लिए सभी राज्य सरकारो के साथ कार्य किया जा रहा है। प्रधानमंत्री को यह भी बताया गया कि राज्यों में ऑक्सीजन की मांग तेजी से बढ़ती जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यो को निर्बोध और बगैर किसी परेशानी के ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियो को जरूरी दिशा-निर्देश दिए। प्रधानमंत्री मोदी ने ऑक्सीजन की जमाखोरी करने के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने को भी कहा।
कोरोना से दोबारा पैदा हुए ऐसे हालात में डॉक्टर और पत्रकारो को लग रहा है कि ऐसे हालात उन्होंने पहले भी देखे थे। जब साल 2020 में यानि आज से करीब आठ दस महीने पहले कोरोना वायरस के कारन ऑक्सीजन की ऐसे ही किल्लत हुई थी लेकिन इस बार तो हालात और भी खराब दिख रहे हैं। इससे पहले देश में हुए कोरोना वायरस मन में रोजाना 90 हज़ार नए मामले सामने आ रहे थे। लेकिन इस साल अप्रैल महीने की बात करें तो कोरोना वायरस के संक्रमण की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
जैसे-जैसे संक्रमण बढ़ता जा रहा है ऑक्सीजन की मांग भी बढ़ती जा रही है। हमारे विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना वायरस से बढ़ रहे हैं मरीज़ो को इलाज के लिए काफी इंतजार करना पड़ रहा है। हालात बहुत ही गंभीर होने के वजह से लोग जल्दी-जल्दी अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं और ऑक्सीजन की मांग भी बढ़ गई है। हालांकि इनकी मांग बढ़ने के कारण पिछले साल की तुलना में ज्यादा सप्लाई की जरूरत पड़ रही है। .
किसी को भी यह पता नहीं है की यह सब कब खत्म होगा। मुंबई अस्पताल के संक्रामक रोग विशेषज्ञ के तौर पर काम करने वाली श्रीवास्तव कहते हैं कि हर मरीज को ऑक्सीजन की अलग-अलग मात्रा की आवश्यकता होती है। यह जरूरी नहीं है कि हर मरीज को एक निश्चित अवधि तक एक खास मात्रा में ही ऑक्सीजन दी जाए। अस्पताल में रहने के दौरान हर घंटे उसकी जरूरत बदलती जाती है। हम इलाज की जितनी कोशिश कर सकते हैं कर रहे हैं लेकिन मैंने ऐसी स्थिति कभी नहीं देखी थी मेरे ख्याल से किसी ने ऐसी स्थिति के बारे में कभी सोचा भी नहीं था। 1 मई से 18 साल से अधिक उम्र वाले सभी लोगो को कोरोना वेक्सीन लगेगी। कोरोना का संकट अभी थमा नहीं और लगातार बढ़ते ही जा रहा है।
हर दिन देश में नए रिकॉर्ड टूट रहे हैं ज्यादा से ज्यादा कोरोना वायरस के मरीज़ सामने आ रहें हैं, हालात अब बहुत बिगड़ चुके हैं। हालांकि सरकार दावा कर रही है कि वह हालात पर काबू पा सकते हैं। लेकिन पाने की कोशिश कर रही राजधानी दिल्ली के साथ ही अलग-अलग शहरो से ऑक्सीजन की कमी के कारण मौतों की खबरें आ रही है। दिल्ली के अस्पतालो में भी ऑक्सीजन की कमी चल रही है।
कोरोना वायरस के मरीज़ो को देखते हुए टेस्टिंग भी बढ़ा दी गई है। भारत में 45 से अधिक आयु वाले लोगो को टीकाकरण की मंजूरी दे दी थी। यानि की 45 साल से भी अधिक उम्र वाले लोग टीकाकरण के लिए योग्य थे। लेकिन अब 1 मई से 18 साल से अधिक उम्र के लोगो को टिका लगाया जाएगा। हिंदुस्तान टाइम्स रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 मामलों में आने वाले उछाल के कारण स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे प्रभावित हो सकते हैं।