Friday, December 8, 2023
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“World Heritage Day 2021” आइए इस अवसर पर अपने देश के विरासत और प्राचीन धरोहर को जाने।

अगर किसी भी देश की प्राचीन सभ्यता और और संस्कृति की बात होती है, तो लोग सबसे पहले उस देश के प्राचीन धरोहर के बारे में जानना चाहते हैं। अगर देश में विराजित यह विश्व धरोहर ही ना रहे तो लोग कभी भी उस देश के इतिहास के बारे में नही जान सकते। किसी भी देश की पहचान उसकी संस्कृति और विरासत से ही होती है।

World Heritage Day मनाने की शुरुआत कैसे हुई 

संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को की पहल पर एक अंतर्राष्ट्रीय संधि की गई, जो विश्व के सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरो के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। यह संधि साल 1972 में लागू की गई थी।

“World Heritage Day 2021” आइए इस अवसर पर अपने देश के विरासत और प्राचीन धरोहर को जाने।

प्रारंभ में मुख्यतः तीन श्रेणियो में धरोहर स्थलो को शामिल किया गया। पहले प्राकृतिक रूप से संबद्ध वाले धरोहर स्थल यानि प्राकृतिक धरोहर स्थल, दूसरे में सांस्कृतिक धरोहर स्थल और तीसरे में मिश्रित धरोहर स्थल। साल 1982 में इकोमार्क नामक संस्था ने ट्यूनिशिया में अंतर्राष्ट्रीय स्मारक और स्थल दिवस का आयोजन किया और उस सम्मेलन में यह बात हुई कि देश के विरासतो के लिए पूरी दुनिया में किसी प्रकार के दिवस का आयोजन किया जाना चाहिए। जिसके बाद 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई।  

‘World Heritage Day” की शुरुआत इंटरनेशनल काउंसिल ऑन माउंटेंस एंड हाइट के द्वारा की गई थी। फिर साल 1982 के 18 अप्रैल के दिन को विश्व धरोहर दिवस के तौर पर मनाने की मंजूरी मिली थी। उसके बाद इसे यूनेस्को के महासभा के द्वारा साल 1983 में अपनाया गया और इसके बाद से ही हर साल 8 अप्रैल के दिन वर्ल्ड हेरिटेज डे के रूप में मनाया जाता है।

 World Heritage Day का उद्देश्य

विश्व धरोहर दिवस के उद्देश्य की बात करें, तो इसका उद्देश्य सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक विरासतो के विविधता का संरक्षण करना और स्मारको के महत्व के बारे में लोगो के बीच जागरूकता को बढ़ाना है। जिससे हर कोई अपने धरोहर के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी हासिल कर सके और उसे हमेशा संरक्षित करने के लिए एक साथ मिलकर कदम उठाए। ताकि आने वाली पीढ़ी भी अपने देश की गौरवशाली धरोहरो के बारे में जान सके और उन्हें पीढ़ी दर पीढ़ी कायम रख सके।

इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य यही है कि विश्व भर में मानव सभ्यता से जुड़े ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलो के संरक्षण के प्रति जागरूकता लाई जा सके। पूरी दुनिया में विश्व धरोहर स्थल की संख्या 1052 है। जिसमें 814 संस्कृति, 203 प्राकृतिक और 35 मिश्रित स्थल है। भारत के विश्व धरोहर की बात करें तो हमारे देश भारत में विश्व धरोहर की कुल संख्या 35 है। जिसमें 27 सांस्कृतिक धरोहर हैं 7 प्राकृतिक धरोहर है और 1 मिश्रित है।

देश के प्राचीन इमारते और स्मारक ही हमारे लिए, इस देश के लिए और इस दुनिया की अनमोल संपत्ति है। विश्व धरोहर दिवस विश्व के समुदायो के लिए एक सामूहिक प्रयास है, जो जरूरतमंदो के लिए किया जाए। यह दिन सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखता है और लोगो को इसकी संवेदनशीलता के बारे में सोचने के लिए मजबूर करता है। विश्व धरोहर दिवस साल 2019 का थीम रखा गया था “ग्रामीण परिदृश्य”। विश्व विरासत दिवस साल 2020 का थीम रखा गया था “साझा संस्कृति”, “साझा विरासत” और “साझा जिम्मेदारी”। 

“World Heritage Day 2021” आइए इस अवसर पर अपने देश के विरासत और प्राचीन धरोहर को जाने।

तो चलिए एक बार हम अपने देश के विश्व धरोहरो को जान लेते हैं।

आगरा का किला साल 1983

आगरा का किला उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा शहर में स्थित है। साल 1983 में UNESCO द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था। 

अजंता की गुफाएं साल 1983

अजंता की गुफाएं महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में है। इसे UNESCO द्वारा साल 1983 में विश्व धरोहर स्थल की सूची में सम्मिलित किया था।

एलिफेंटा की गुफाएं साल 1987

एलीफेंटा की गुफाएं महाराष्ट्र के एलीफेंटा द्वीप में स्थित है। इन गुफाओं को 5 वीं और 8 वीं शताब्दी के दौरान बनाया गया है। इन गुफाओ में मुख्य गुफा भगवान शिव को समर्पित है। साल 1987 में इसे UNESCO द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था।

एलोरा की गुफाएं साल 1983

एलोरा की गुफाएँ महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है। जिसे  UNESCO द्वारा साल 1983 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था।  

लाल किला परिसर साल 2007

लाल किला भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है जीसका निर्माण मुगल शासक शाहजहाँ ने करवाया था। यूनेस्को द्वारा साल 2007 में इस किले को विश्व विरासत स्थल घोषित किया था।

खजुराहो में स्मारकों का समूह 1986

खजुराहो के स्मारकों का समूह कई मंदिरो का एक समूह है जिसे करीब 900 ई 1130 ई पूर्व के बीच चंदेल शासको ने बनवाया था। खजुराहो के स्मारको के समूह को साल 1986 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल किया था।  

“World Heritage Day 2021” आइए इस अवसर पर अपने देश के विरासत और प्राचीन धरोहर को जाने।

सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान साल 1987

सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में स्थित है। इस उद्यान का नाम सुंदरवन परने का क्र कारन है यहां पाए जाने वाले सुंदरी नाम के वृक्ष। यह नाम वृक्ष के नाम पर ही पड़ा है। यहां काफी मात्रा में मैंग्रोव वन पाए जाते हैं। यह पार्क खास तौर से बंगाल टाइगर के लिए आरक्षित है।  UNESCO द्वारा इसे साल 1987 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था।

काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान साल 1985

काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान असम राज्य में स्थित है। यह राष्ट्रीय उद्यान भारतीय एक सींग गैंडा वाले गैंडे के लिए प्रसिद्ध है। साल 2006 में इसे टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था। साल 1985 में UNESCO  ने काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान को यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल के रूप में शामिल किया गया।

नालंदा महाविहार (नालंदा विश्वविद्यालय) बिहार साल 2016

नालंदा भारत के बिहार राज्य में स्थित है। और इसका विकास गुप्त साम्राज्य के दौरान ही  हुआ था। UNESCO ने साल 2016 में इसे विश्व विरासत स्थल घोषित किया था।  

केवलादेव नेशनल पार्क साल 1985

केवलादेव घाना राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान के भरतपुर में स्थित है। इसे भरतपुर पक्षी अभयारण्य के नाम से भी जाना जाता है। UNESCO द्वारा इस राष्ट्रीय उद्यान को साल 1985 में विश्व धरोहर स्थल की सूची में जोड़ा गया था। 

सांची बौद्ध स्मारक साल 1989

सांची का स्तूप मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में सांची में स्थित है। सांची स्तूप का निर्माण महान सम्राट अशोक ने करवाया था। UNESCO द्वारा साल 1989 में सांची के स्तूप को विश्व विरासत स्थल के रूप में शामिल किया।  

बोध गया में महाबोधि मंदिर परिसर साल 2002

बिहार के बोधगया में स्थित महाबोधि मंदिर परिसर का निर्माण सम्राट अशोक ने करवाया गया था। इस मंदिर परिसर के अंदर प्रसिद्ध बोधि वृक्ष है जहाँ महान गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था। इसे साल 2002 में UNESCO द्वारा विश्व विरासत स्थल घोषित किया था। 

छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (पूर्व में विक्टोरिया टर्मिनस) साल 2004

छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस महाराष्ट्र के मुंबई में स्थित है। यह एक ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन है। इस रेलवे स्टेशन को साल 1887 में विक्टोरियन इटालियन गॉथिक रिवाइवल आर्किटेक्चर के साथ बनाया गया है। इस स्टेशन को UNESCO द्वारा साल 2004 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था।  

गोवा के चर्च और कॉन्वेंट्स साल 1986

इसका निर्माण पुर्तगाली शासनकाल के दौरान भारत के गोवा राज्य में हुआ था। इसे भी UNESCO द्वारा साल 1986 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था।

रानी-की-वाव पाटन (गुजरात) साल 2014

यह गुजरात राज्य के पाटण में सरस्वती नदी के तट पर स्थित है। इसे साल 2014 में UNESCO ने विश्व विरासत स्थल घोषित किया था।  

“World Heritage Day 2021” आइए इस अवसर पर अपने देश के विरासत और प्राचीन धरोहर को जाने।

भीमबेटका के रॉक शेल्टर साल 2003

भीमबेटका के रॉक शेल्टर एक पुरातत्व स्थल है जो मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित है। इसे UNESCO द्वारा साल  2003 में विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया था।  

सूर्य मंदिर (कोर्णाक) साल 1984

यह सूर्य मंदिर ओड़िशा राज्य के कोणार्क में स्थित है।  UNESCO द्वारा इसे साल 1984 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था  

ताज महल साल 1983

ताज महल भारत के उत्तर प्रदेश जिले में आगरा शहर में यमुना नदी के किनारे स्थित है। साल 1983 में UNESCO द्वारा इसे विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल किया था।

ला कॉर्ब्युएर का वास्तुकला कार्य साल 2016

ला कॉर्ब्युएर का वास्तुकला कार्य चंडीगढ़ में स्थित है। UNESCO ने इसे विश्व विरासत स्थल की सूची में शामिल किया है इसके अलावा UNESCO ने इसे “आधुनिक आंदोलन में उत्कृष्ट योगदान” बताया है। 

जंतर मंतर (जयपुर) साल 2010

जंतर मंतर राजस्थान के जयपुर में स्थित है इसका निर्माण 18वीं सदी के आरंभ में राजा सवाई जय सिंह-द्वितीय द्वारा करवाया गया था। यूनेस्को ने साल 2010 में इसे विश्व विरासत स्थल घोषित किया था।  

हिमालयी राष्ट्रीय उद्यान साल 2014

यह राष्ट्रीय उद्यान हिमाचल प्रदेश राज्य के कुल्लु जिले में स्थित है। जिसे साल 1999 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। इस  उद्यान को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम साल 1972 के तहत संरक्षित किया गया है। इसे भी UNESCO द्वारा साल 2014 में विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया ।

मानस वन्यजीव अभयारण्य साल 1985

भारत के असम राज्य में स्थित मानस वन्यजीव अभ्यारण्य को साल 1985 में UNESCO द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था।

पश्चिमी घाट साल 2012

पश्चिमी घाट को सह्याद्री के नाम से भी जाना जाता है। पश्चिमी घाट की सीमा गुजरात से महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गोवा, कर्नाटक और केरल तक फैली हुई है। साल 2012 में इस स्थल को UNESCO द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।  

हम्पी में स्मारको का समूह साल 1986

यह भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित है। इस जगह अंतिम महान हिन्दू साम्राज्य विजयनगर की राजधानी के अवशेष प्राप्त होते है साल 1986 में UNESCO ने इसे  विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था।

महाबलिपुरम में स्मारक समूह साल 1984

महाबलिपुरम में स्मारको का समूह तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित है जीसका निर्माण पल्लव राजाओ ने 7 वी शताब्दी के दौरान किया गया था। UNESCO द्वारा इसे साल 1984 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था।

कुतुब मीनार और इसके स्मारक (दिल्ली) साल 1993

कुतुब मीनार परिसर का निर्माण सूफी संत कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के सम्मान में किया गया था। इसकी स्थापना कुतुब-उद-दीन ऐबक ने किया था। क़ुतुब मीनार को UNESCO द्वारा साल 1993 में विश्व विरासत स्थल घोषित किया था।  

ग्रेट लिविंग चोल मंदिर साल 1987

महान चोल मन्दिर चोल शासको द्वारा दक्षिण भारत में बनवाया गया था। यह मन्दिर हैं बॄहदेश्वर मन्दिर, तंजावुर, गंगईकोंडा चोलीश्वरम का मन्दिर, ऐरावतेश्वर मन्दिर, दारासुरम में। बॄहदेश्वर मन्दिर को साल 1987 में UNESCO ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था। यह मंदिर तमिलनाडु के तंजौर में स्थित है जिसे 11वीं सदी के आरम्भ में बनाया गया था।

पट्टडकल में स्मारक समूह साल 1987

यह कर्नाटक राज्य में मलप्रभा नदी के पास स्थित है। पट्टकल के स्मारक समूह का निर्माण चालुक्य वंश ने 7वीं और 8वीं शताब्दी में कराया गया था। इस स्थान को UNESCO द्वारा साल 1987 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।

राजस्थान में पहाड़ी किला साल 2013

राजस्थान के पहाड़ी किलो में छह किले हैं – चितौड़गढ़ किला, कुंभलगढ़ किला, रण थंभौर किला, आमेर किला, जैसलमेर किला और गागरोन किला।  UNESCO द्वारा  इसे  2013 में विश्व विरासत स्थल घोषित किया था।

“World Heritage Day 2021” आइए इस अवसर पर अपने देश के विरासत और प्राचीन धरोहर को जाने।

फतेहपुर सीकरी साल 1986

उत्तर प्रदेश में आगरा के पास फतेहपुर सीकरी में 16 वीं सदी के दौरान मुगल सम्राट अकबर ने अपनी राजधानी बनवाई थी। साल 1986 में UNESCO द्वारा फतेहपुर सीकरी को विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया था।  

माउंटेन रेलवे ऑफ इंडिया साल 1999

UNESCO द्वारा भारत के प्रमुख तीन पर्वतीय रेलवे को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। ये तीन प्रमुख रेलवे है – दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, कालका – शिमला रेलवे और नीलगिरि पर्वतीय रेलवे।

हुमायूं का मकबरा (दिल्ली) साल 1993

दिल्ली में स्थित हुमायूं के मकबरे को  UNESCO द्वारा साल 1993 में विश्व विरासत स्थल के रूप में घोषित किया गया था।  

कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान साल 2016

कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान सिक्किम में स्थित है। 2016 में UNESCO द्वारा इस उद्यान को विश्व विरासत स्थल के सूची में जोड़ा गया। यह भारत का पहला मिश्रित धरोहर स्थल है।  

चंपानेर-पावागढ़ पुरातात्विक पार्क साल 2004

यह स्थल गुजरात में स्थित है जिसे UNESCO द्वारा साल 2004 में इसे विश्व विरासत स्थल घोषित किया था।

नंदा देवी फूलो की घाटी राष्ट्रीय उद्यान साल 1988

भारत के उत्तराखंड राज्य में नंदा देवी की पहाड़ी पर स्थित है।  साल 1988 में यूनेस्को ने नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान को विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया। और फूलो की घाटी को साल 2005 में विश्व विरासत स्थल की सूची में शामिल किया।  

हमारे देश की धरोहर ही हमारी खुद की पहचान है हम कहीं भी क्यों ना चले जाए हमारे देश की धरोहर हमारी पहचान देती है। इसीलिए हम सभी को हमारे देश के राष्ट्रीय स्मारको में रुचि लेना चाहिए। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो इस क्षेत्र से कोई मतलब नहीं रखते, लेकिन यह सांस्कृतिक धरोहर ही है जो हमें देश और हमारे देश के इतिहास से हमें बांधे रखती है। इस देश की तमाम कीले और ऐतिहासिक इमारते ही इस देश के इतिहास को बयान करती है और यह इतिहासिक इमारते ही इस देश की शान है। हमारे देश के इन ऐतिहासिक और शानदार विरासतो के बारे में अपने वंश को समझाना हमारा कर्तव्य बनता है। क्योंकि यह उनके भविष्य को संभालने के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

इस देश के बड़े-बड़े इमारतो और स्मारको की पहचान आने वाली पीढ़ी को होनी चाहिए। यह कर्तव्य हमारा बनता है कि हम इस दिवस के अवसर पर इस देश के स्मारको की पहचान करें और इन्हें बुरी नजरो से बचाए। लोगो का अपनी विरासत से वैसा ही रिश्ता होता है, जैसा कि एक बच्चे का अपनी मां से इस देश की तमाम दुर्ग किले और ऐतिहासिक इमारते ही इस देश की शान है। हमें इस देश की शान और अपने संस्कृति पर गर्व है। चलिए अपने देश धरोहरो को बचाए, क्युकि यही हमारे वैभवशाली इतिहास की आंखे हैं।

Jhuma Ray
Jhuma Ray
नमस्कार! मेरा नाम Jhuma Ray है। Writting मेरी Hobby या शौक नही, बल्कि मेरा जुनून है । नए नए विषयों पर Research करना और बेहतर से बेहतर जानकारियां निकालकर, उन्हों शब्दों से सजाना मुझे पसंद है। कृपया, आप लोग मेरे Articles को पढ़े और कोई भी सवाल या सुझाव हो तो निसंकोच मुझसे संपर्क करें। मैं अपने Readers के साथ एक खास रिश्ता बनाना चाहती हूँ। आशा है, आप लोग इसमें मेरा पूरा साथ देंगे।
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