आज हम आपको हीमोफीलिया दिवस और इस बीमारी के बारे में जानकारी देने वाले हैं। अगर आप हीमोफीलिया से जुड़ी जानकारी पाना चाहते हैं तो इस पोस्ट को पूरा पड़े। इस पोस्ट में हम आपको हीमोफीलिया जो एक आनुवांशिक विकार है, इसके बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।
क्यों और कब मनाया जाता है विश्व हीमोफ़ीलिया दिवस
World Hemophilia Day को हीमोफ़ीलिया या दूसरे किसी आनुवंशिक खून बहने वाले विकार के प्रति लोगो में जागरूकता फ़ैलाने के लिए हर साल 17 अप्रैल के दिन मनाया जाता है। विश्व हीमोफीलिया दिवस हीमोफीलिया या किसी और खून सम्बंधित विकार और इसके उपचार के बारे में लोगो को जागरूक करता है। जिससे लोग अपने परिवार, दोस्त, सहकर्मी जैसे किसी भी व्यक्ति को जो आनुवंशिक खून बहने वाले विकार से पीड़ित है उस व्यक्ति को सहयोग देने के लिए मिलकर कार्य कर सकते है।
विश्व हीमोफीलिया दिवस का थीम
दरअसल हीमोफ़ीलिया दिवस की यह पहल ‘विश्व फेडरेशन ऑफ हीमोफ़ीलिया’ की है। इस साल यानि 2021 में यह 31वी हीमोफ़ीलिया दिवस है। साल 2018 में 28वें विश्व हीमोफ़ीलिया दिवस का थीम रखा गया था ‘जानकारी बांटना हमें सबल बनाता है’ है। साल 2019 में 29वें विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाया गया जिसका थीम रखा गया था “Outreach and Identification” . साल 2020 में 30वें विश्व हीमोफीलिया दिवस की थीम रखा गया था “गेट इनवॉल्वड (Get nvolved)”।

हालांकि, हमारे देश में हीमोफीलिया से कम लोग ही ग्रसित है। लेकिन फिर भी इसके प्रति लोगो को जागरूक होना चाहिए। विश्व हीमोफीलिया दिवस के अवसर पर आज हम आपको हीमोफीलिया क्या है इसके लक्षण क्या क्या होते हैं इसके उपचार के लिए क्या-क्या किया जा सकते हैं इस सबके बारे में आज इस पोस्ट में हम आपको पूरी जानकारी देने वाले हैं। दरअसल यह एक प्रकार का डिसऑर्डर है जो मुख्य रूप से हमारे शरीर के खून को प्रभावित करता है। हीमोफीलिया से ग्रसित इंसान के खून में सक्रिय रूप से थक्के नहीं बन पाते हैं।
जब किसी इंसान को हीमोफीलिया होती है तो अगर उसे कभी किसी अंदरूनी या बाहरी जगह चोट लगती है और खून बहना शुरू होता है तो वह जल्दी रुकता नहीं और लगातार बहता ही रहता है, इसीको हीमोफीलिया कहते हैं। यही नहीं, अंदरूनी टिश्यू के डैमेज होने से भी काफी समय तक ब्लीडिंग होती है और उसे रोकने में ब्लड क्लॉट सही समय पर काम नहीं करता है। और इसलिए यह बीमारी कभी-कभी लोगो के लिए गंभीर स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न करता है।
यह एक अनुवांशिक ब्लीडिंग डिसऑर्डर है इसमें रक्त में थक्के (क्लॉट्स) नहीं बन पाते। नॉर्मल ब्लड में प्रोटीन होते हैं जिसे क्लोटिंग फैक्टर्स कहे जाते हैं और ये फैक्टर ही खून को बहने से रोकते हैं। लेकिन जीन लोगो को हीमोफिलिया होता है उनमें इस फैक्टर का स्तर काफी कम होता है। जिस कारण शरीर में रक्त का बहना नहीं रुकता और स्वास्थ से जुड़े कई समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। यह बीमारी एक प्रकार जीन में हुए बदलाव के कारण उत्पन्न होता है। जीस कारण उनके शरीर के किसी हिस्से में चोट लगने या दुर्घटना होने पर उनके शरीर में रक्त जम नहीं पाता और असामान्य रूप से बहने लगता है। वैसे तो हीमोफिलिया कई प्रकार के होते हैं, लेकिन इनमें से दो तरह के ये हैं-
हीमोफिलिया के प्रकार
हीमोफिलिया- A
यह हीमोफिलिया का एक साधारण प्रकार है। इस प्रकार के हीमोफिलिया में रक्त में थक्के बनने के लिए आवश्यक फैक्टर 8 की कमी हो जाती है।
हीमोफिलिया- B
यह कम सामान्य हीमोफिलिया है इस हीमोफिलिया में क्लोटिंग फैक्टर 9 की कमी हो जाती है। हीमोफिलिया से पीड़ित करीब बीस प्रतिशत लोगो में ही हीमोफिलिया B पाया जाता है। हीमोफिलिया B में क्लॉटिंग कारक (फैक्टर-9) की कमी हो जाती है।
जो व्यक्ति हीमोफीलिया A से पीड़ित होते हैं यानि की सामान्य हीमोफीलिया के मामले होते हैं तो पीड़ित को कभी-कभी ही रक्तस्राव होता है, जबकि स्थिति गंभीर होने पर अचानक व लगातार रक्तस्त्राव हो सकते हैं।

हीमोफिलिया से पीड़ित व्यक्ति के लक्षण को बड़े ही आसानी से देखा जा सकता है। हालांकि, यह लक्षण आम स्वास्थ्य समस्याओ की तरह ही होते हैं। लेकिन इसके कुछ ऐसे संकेत भी हैं, जिन्हें अगर ध्यान में रखा जाए, तो यह पता लगाना बहुत आसान होगा कि किसी व्यक्ति को हीमोफीलिया है या नहीं। तो आइए जानते हैं हीमोफीलिया के लक्षण के बारे में।
हीमोफीलिया के लक्षण
- किसी प्रकार साधारण चोट या गहरी चोट लग जाने के बाद भी लगातार
- खून का बहते रहना।
- अचानक शरीर के किसी भी हिस्से में सूजन होना।
- मल/मूत्र के साथ ब्लड आना।
- शरीर के विभिन्न जोड़ो में दर्द होना।
- त्वचा पर चोट के निशान या त्वचा का नीला पड़ना।
- लगातार बिना वजह नाक से खून आना।
- शरीर के किसी हिस्से में कटने, चोट लगने या दांत टूटने पर लगातार खून बहना।
- किसी प्रकार दुर्घटना होने पर लंबे समय तक ब्लीडिंग होना।
- मस्तिष्क में अंदरूनी रक्तस्राव के कारन सिरदर्द, गर्दन दर्द, जी-मिचलाना ईत्यादि।
क्या हीमोफीलिया खतरनाक है
हीमोफीलिया एक ऐसी कंडीशन है, जो लगता है की कोई भारी बीमारी नहीं है लेकिन अगर यह बीमारी जिस व्यक्ति में होती है उसके साथ कोई दुर्घटना होता है तो उस व्यक्ति की जान भी जा सकती है।
हीमोफीलिया का उपचार
इस पोस्ट में हमने आपको हीमोफीलिया के लक्षण के बारे में बताया है अगर किसी व्यक्ति में ऊपर बताए गए लक्षण दिखे, तो उन्हें एक बार डॉक्टर से जरूर मिलना चाहिए। उनको अपने खान-पान में भी खास ध्यान देना चाहिए। हीमोफीलिया का इलाज मिसिंग ब्लड क्लॉटिंग फैक्टर को हटाकर किया जा सकता है। इसके अलावा इसके उपचार के लिए इंजेक्शन का भी उपयोग कीया जाता है। यह एक मेडिकल प्रोसेस है जो डॉक्टरो की एक खास टीम की देखरेख में पूरी होती है।
आनुवंशिक विकार का मतलब
“आनुवंशिक” का मतलब यह होता है कि यह रोग जींस के जरिए बच्चो में उनके माता-पिता से पारित होता है। हीमोफिलिया रोग के वाहक X गुणसूत्र में पाए जाते है। करीब 10 पुरुषो में से 1 पुरुष को ही हीमोफीलिया से पीड़ित होने का ज़ोखिम होता है। ज्यादातर महिलाए इस रोग के लिए जिम्मेदार आनुवांशिक इकाइयो की वाहक होती है।
हीमोफिलिया की वाहक महिलाएं होती है, जिनमें हीमोफिलिया जीन का एक्स गुणसूत्र होता है। उनके दो एक्स गुणसूत्रो में से एक ‘फैक्टर 8’ या ‘फैक्टर 9’ जीन में परिवर्तन हो जाता है, जिस कारन ‘फैक्टर 8’ और ‘फैक्टर 9’ के स्तर में कमी हो जाती है।

ज्यादातर हीमोफिलिया के वाहक महिलाओ में हीमोफिलिया के लक्षण खून बहने वाले लक्षण दिखाई नहीं देते। लेकिन ‘फैक्टर 8’ या ‘फैक्टर 9’ के स्तर में कमी से पीड़ितो को सर्जरी के दौरान कुछ खून बहने की समस्याओ का सामना करना पड़ता है या कुछ अन्य लक्षण भी होते हैं जैसे कि मासिक धर्म के दौरान महिलाओ को काफी ज़्यादा खून बहना और शरीर पर नीले धब्बे दिखाई दे सकते है।
जन्म से पहले हीमोफिलिया की रोकथाम
जब हीमोफिलिया पारिवार के किसी व्यक्ति में पहले से होता है, तब हीमोफिलिया जीन वाहक महिलाओ की पहचान कि जा सकती है। जो महिलाएं जानती हैं कि वे वाहक हैं या वाहक हो सकती हैं, तो उनके पास बच्चे के जन्म से पहले भ्रूण के स्थिति के बारे में पता लगाने का विकल्प होता है।
National AIDS Control Programme
राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण के तहत राष्ट्रीय रक्त आधान कौंसिल (National Blood Transfusion Council) के अनुसार सभी राज्य/संघ शासित प्रदेशो के थैलेसीमिया और सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित सभी रोगियो के लिए दिशा निर्देश जारी कीए गए हैं की हीमोफिलिया से पीड़ितो को रक्त उपलब्ध कराया जाएगा।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission) के तहत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यकम (RBSK) का शुभारंभ किया गया है जो जल्द से जल्द आनुवांशिक विकारो से पीड़ित बच्चो का पता लगाने और उनको उपचार प्रदान करेगा।
हीमोफीलिया है विरासत में मिलने वाली अनुवाशिंक बीमारी
हीमोफीलिया बच्चो को उनके माता-पिता से विरासत में मिलने वाली बीमारी है। निजी अस्पतालो या डॉक्टरो के यहां इसका इलाज काफी महंगा है, लेकिन मेडिकल कॉलेज में इसका इलाज निशुल्क होता है। अगर किसी को यह बीमारी है तो वह मेडिकल की इमरजेंसी में जाकर अपना पंजीकरण करा सकता है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को इंजेक्शन, दवा के अलावा खून भी निशुल्क ही मिलता है। इस बीमारी पर लोग तब तक ध्यान नहीं देते जब तक उन्हें किसी कारण से गंभीर चोट ना लगे और उनमें रक्त का बहना बंद न हो।

हीमोफीलिया के इलाज के लिए पहले विदेश से इंजेक्शन आते थे, जो आपको बाजार में आठ से दस हजार में मिल जाती थी। और इन्हे निशुल्क लगवाने के लिए दिल्ली जाना पड़ता था। हीमोफीलिया बीमारी में पीड़ित को इंजेक्शन के जरिए फैक्टर 8 और 9 की डोज दी जाती है।
हीमोफीलिया A के कारण
हीमोफिलिया A से पीड़ित लोगो के रक्त में बहुत कम मात्रा में प्लाज्मा प्रोटीन, फैक्टर 8 होते हैं। अगर सामान्य स्तर का 5 से 40 प्रतिशत ही फैक्टर 8 होता है, तो ऐसी स्थिति में इसे माइल्ड हीमोफिलिया कहते हैं। अगर फैक्टर 8 सामान्य स्तर का 1 से 5 प्रतिशत है, तो इसे मॉडरेट हीमोफिलिया कहा जाता है। अगर फैक्टर 8 सामान्य स्तर का 1 प्रतिशत से भी कम है, तो इसे सीवियर हीमोफिलिया कहते है। अगर इसकी बहुत ज्यादा कमी हो जाए तो यह समस्या गंभीर हो जाती है। शिशुओ और छोटे बच्चो में हीमोफिलिया A की पहचान हो जाती है।
हीमोफिलिया B के कारण
हीमोफिलिया बी, एक आनुवंशिक रक्त विकार है। यह माता-पिता से बच्चो में आने वाले जीन में खराबी के कारन होता है। अक्सर महिलाओ से पैदा होने वाले बच्चो में इस बीमारी की होने की संभावना ज्यादा होती है। लेकिन कभी-कभी अगर जन्म से पहले जीन में किसी प्रकार बदलाव आ जाए तो ऐसी स्थिति में होने वाले बच्चे को हीमोफिलिया B हो सकता है।
वैज्ञानिको ने हीमोफीलिया के उपचार के लिए नई दवा विकसित करने में सफलता हांसिल की है। यह जीन थेरेपी दवा इस विकार से रोगियो को निजात दिलाने में प्रभावी पाई गई है। शोधकर्ताओं के अनुसार, हीमोफीलिया A से पीड़ित लोगो पर एक साल तक जीन थेरेपी दवा की एकल उपचार विधि आजमाई गई। यह दवा रक्त का थक्का बनने में मददगार प्रोटीन के स्तर को सामान्य करने और रोगियो को ठीक करने में प्रभावी पाई गई।