चैत्र नवरात्रि का आरम्भ 13 अप्रैल से होगी। नवरात्रि पूरे नौ दिनो तक रहेगी और 21 अप्रैल को रामनवमी मनाई जाएगी। इसी दिन राजा दशरथ के घर मर्यादा-पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। भगवान श्रीराम चन्द्र का जन्म चैत्र शुक्ल की नवमी तिथि के दिन पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में हुआ था। इस दिन भगवान राम की उपासना के लिए खास तैयारिया की जाती है। भगवान श्रीराम के भक्त इनकी पूजा करके व्रत रखते हैं। इस दिन हवन और कन्या पूजन करने का भी विधान है।
आध्यात्मिक दृष्टि से चैत्र नवरात्र का महत्व
आम दिनो के मुकाबले नवरात्रि पर देवी दुर्गा की साधना और पूजा-पाठ करने से पूजा का कई गुना फल की प्राप्ति होता है। भगवान श्री राम ने भी लंका पर चढ़ाई करने से पहले युद्ध में विजय प्राप्ति के लिए देवी साधना की थी। देवी भागवत पुराण के अनुसार साल भर में चार नवरात्र मनाए जाते हैं, जिनमें दो गुप्त नवरात्र के साथ शारदीय नवरात्र और बासंती नवरात्र जिसे चैत्र नवरात्र कहते हैं शामिल हैं। दरअसल यह चारो नवरात्र ऋतु चक्र पर आधारित हैं और सभी ऋतुओ के संधिकाल में मनाए जाते हैं। शारदीय नवरात्र वैभव और भोग देने वाले होते हैं जो गुप्तनवरात्र तंत्र सिद्धि के लिए खास है।

जबकि चैत्र नवरात्र में आत्मशुद्धि और मुक्ति की प्राप्ति होती है। वैसे सभी नवरात्र का आध्यात्मिक दृष्टि से अपना अलग अलग महत्व है। आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाए तो यह प्रकृति और पुरुष के संयोग का भी समय होता है। प्रकृति ही मातृशक्ति है इसलिए इस दौरान देवी की पूजा होती है। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि यह पूरा संसार प्रकृतिमय है और वह केवल पुरुष हैं।
चैत्र नवरात्री के नौ दिनो में भक्त अपनी भौतिक, आध्यात्मिक, यांत्रिक और तांत्रिक इच्छाओ को पूरा करने की कामना से व्रत करता है, उपवास रखता है और ईश्वरीय शक्ति इन इच्छाओ को पूरा करने में सहायक होती है।हिन्दू वर्ष की शुरुआत भी चैत्र नवरात्र से ही होती है तो वहीं शारदीय नवरात्र के दौरान दशहरा मनाया जाता है।पुरे भारतवर्ष में नवरात्रि का त्योहार बड़े चाव से मनाया जाता है।
भक्त पूरे नौ दिनो तक व्रत रखने का संकल्प लेते हैं। पहले दिन कलश स्थापना होती है और अखंड ज्योत जलाई जाती है। नौ दिनों के पूजा के बाद अष्टमी या नवमी के दिन कुंवारी कन्याओ को भोजन कराया जाता है। चैत्र नवरात्र के नौवे और आखिरी दिन नवमी को राम नवमी कहते हैं। रामनवमी के साथ मां दुर्गा के नवरात्र पर्व का समापन भी हो जाता है। रामनवमी के दिन सभी मंदिरो में बी भारी पूजा होती है, इस दिन मंदिरो में विशेष रूप से रामायण का पाठ भी किया जाता है। सभी भक्त भगवान श्री राम की पूजा अर्चना करते हैं। और भजन-कीर्तन, आरती करके भक्तो में प्रसाद बांटा जाता है।
चैत्र नवरात्र है खास
ज्योतिष की दृष्टि से चैत्र नवरात्र का खास महत्व होता है, क्योंकि इस नवरात्र के दौरान सूर्य का राशि परिवर्तन होती है। सूर्य अपनी 12 राशियो के भ्रमण को पूरा करते हैं और अगला चक्र पूरा करने के लिए फिर से प्रथम राशि मेष में प्रवेश करते हैं। सूर्य और मंगल की राशि मेष दोनों ही अग्नि तत्व वाले हैं, इसलिए इनके संयोग से गर्मी की शुरुआत होती है।
चैत्र नवरात्र से नववर्ष के पंचांग की गणना शुरू होती है। इस दिन से ही साल के राजा, मंत्री, सेनापति, वर्षा, कृषि के स्वामी ग्रह का निर्धारण होता है और साल में अन्न, धन, व्यापार और सुख शांति का आंकलन किया जाता है। नवरात्र के समय नवग्रहों की भी पूजा होती है इस पूजा का कारण यह भी है पूरा साल ग्रहो की स्थिति अनुकूल बनी रहे और जीवन में खुशहाली बनी रहे।

इस समय आदिशक्ति इस पूरे संसार पर जागृत रहती हैं, जीनकी शक्ति से सृष्टि का संचलन हो रहा है। वह पृथ्वी पर होती है और इसलिए अन्य दिनों की अपेक्षा नवरात्रि में इनकी पूजा, भक्ति, आराधना से इच्छित फल की प्राप्ति जल्दी होती है। चैत्र नवरात्र के पहले दिन आदिशक्ति माता प्रकट हुई थी और देवी के कहने पर ब्रह्मा जी ने इस संसार के निर्माण का काम शुरु किया था।
इसलिए चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिन्दू नववर्ष की शुरुआत होती है। चैत्र नवरात्र के तीसरे दिन यानि तृतीया को भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप में अपना पहला अवतार लिया और इस जगत की स्थापना की। इसके बाद भगवान विष्णु ने अपना सातवां अवतार लिया जो मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी का है यह अवतार भी भगवान विष्णु ने चैत्र नवरात्र में ही लिया। इसलिए धार्मिक दृष्टि से चैत्र नवरात्रि का बहुत महत्व होता है।
वैज्ञानिक दृष्टि से चैत्र नवरात्रि का महत्व
चैत्र नवरात्रि का महत्व केवल धर्म, अध्यात्म और ज्योतिष की दृष्टि से ही नहीं है, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी चैत्र नवरात्रि का अपना अलग ही महत्व होता है। ऋतु बदलने के लिए समय रोग जिन्हें आसुरी शक्ति कहते हैं। उनका अंत करने के लिए हवन, पूजन किया जाता है जिसमें कई प्रकार जड़ी बूटियो और वनस्पतियों का उपयोग किया जाता है।
हमारे ऋषि मुनियों ने न सिर्फ धार्मिक दृष्टि को ध्यान में रखकर नवरात्र में व्रत और हवन पूजन करने का उपदेश दिया है बल्कि इसका वैज्ञानिक आधार भी है। नवरात्र के दौरान व्रत करके हवन, पूजन करने के पीछे मनुष्य का स्वास्थ्य जुड़ा हुवा है। दरअसल चारो नवरात्र ऋतुओ के संधिकाल में होते हैं, यानी इस समय मौसम में बदलाव होता है।जिससे व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक बल में कमी आती है। नए मौसम में शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए भी यह व्रत किया जाता है।

राम नवमी का महत्व
हर साल चैत्र मास के शुक्ल नवमी तिथि को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि त्रेतायुग में चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अयोध्या नरेश राजा दशरथ और माता कौशल्या के घर पुत्र के रूप में भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। भगवान श्रीराम भगवान विष्णु के अवतार हैं। अपने जीवन के माध्यम से भगवान श्रीराम ने उच्च आदर्शो को स्थापित किया, जो आज भी सबके लिए प्रेरणा दायी हैं।
चैत्र नवरात्रि के आखिरी दिन राम नवमी होती हैं दोनों त्योहारो का महत्व भले ही अलग-अलग है। लेकिन हर त्योहार अपने-अपने अलग-अलग महत्व और पहचान से ही जाना जाता है और लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार हर एक त्यौहार को मनाते हैं। कुछ लोग चैत्र नवरात्रि को पूरे 9 दिनों तक मनाते हैं, तो कहीं कहीं पहले 8 दिनों तक रामनवमी का ही इंतजार किया जाता है। इस पोस्ट में हमने आपको चैत्र नवरात्रि और रामनवमी के महत्व के बारे में जानकारी दी है अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगी, तो इस पोस्ट को लाइक करें और ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।