किसी के भी जीवन में जो सबसे ज्यादा अहमियत रखता है वो है माँ। जिसके लिए ऐसे कई कहानियां और किसे समर्पित है जो माँ और बच्चे के बीच के रिश्ते को और ज्यादा मजबूत बनाता है, इस प्यारे रिश्ते का एहसास कराता है। लेकिन कई बार कुपोषण और लापरवाही के कारण ही माँ और बच्चा दनो के सेहत के साथ खिलवार हो जाता है और कुछ गंभीर मामलों में तो माँ और शिशु दोनों के जान पर बन आती है। इसीलिए सभी मिलकर भविष्य में ऐसी समस्याओं से माताओं को और उनके शिशुओं को छुटकारा दिलाने के लिए व इस क्षेत्र में जागरूकता पैदा करने के लिए हर साल राष्ट्रीय स्तर पर मातृत्व दिवस मनाया जाता है।
दुनिया भर में बच्चा जन्म देने के दौरान रोजाना करीब 830 महिलाओ की मौत हो जाती है। और जिस कारन उनकी मौत होती है उनसे बचा जा सकता है। हालांकि भारत में गर्भधारण के दौरान होने वाली मृत्यु दर में अभी कमी आई है। लेकिन अगर कुछ खास प्रयास किए जाए और जागरूकता बड़ाई जाए तो आने वाले समय में इस को और बेहतर किया जा सकता है।

क्योंकि शिशु की सेहत का खराब होने के पीछे सबसे बड़ा जो कारण है वह है गर्भावस्था के दौरान महिलाओ के खानपान में होने वाली कमी और गर्भावस्था के दौरान किए जाने वाले बचाव और परहेज के बारे में अच्छी जानकारी ना होना। National Safe Motherhood Day अवसर पर हम आपको इस बारे में भी जानकारी देने वाले हैं कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओ को कौन से चीजों से दुरी बनानी चाहिए और कौन से चीजों पर जोर देना चाहिए।11 अप्रैल के दिन हर साल राष्ट्रीय स्तर पर National Safe Motherhood Day यानि राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस मनाया जाता है। दरअसल यह सेफ मदरहुड दिवस को व्हाइट रिबन एलायंस इंडिया (WRAI) के द्वारा शुरू कीया गया है, जो हर साल गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की देखभाल और प्रसव संबंधी जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है ।
National Safe Motherhood Day का उद्देश्य
इस दिवस को मानाने का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को उनके स्वास्थ्य का देखभाल और मातृत्व सुविधाओं के बारे में लोगो को जागरूक करना है। साथ ही, महिलाओं में एनीमिया यानि शरीर में खून के कमी को कम करने, प्रसव संबंधी देखभाल के लिए भी ध्यान केंद्रित करना है। आजकल भागदौड़ और तनाव भरी जिंदगी में महिलाएं खुद का ध्यान नहीं रख पाति और वह ये भूल जाती हैं कि इसका असर केेेलव उनके स्वास्थ्य के साथ-साथ उनके बच्चे पर भी होता है। जो महिलाए अविवाहित होती है उन्हें भविष्य में इसका हर्जाना भुगतना पड़ता है। जल्दबाजी में आप जिन चीजो को नजरअंदाज कर रही हैं भविष्य में वो आपकी बड़ी गलती साबित हो सकती है।
इन अभियानो का अहम लक्ष्य है कि हर एक महिला को जीने का अधिकार हो और वे अपने गर्भावस्था और बच्चे के जन्म के दौरान जीवित रह सके। साथ ही, ये अभियान बाल विवाह के रोकथाम के लिए जागरूकता को भी बढ़ाता है। क्योंकि मातृ मृत्यु (Maternal Death) का एक बड़ा कारण है बाल विवाह। असल में, भारत सरकार मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए कोशिश कर रही है। लेकिन हम इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं कि, यह हमारा कर्तव्य है कि हम महिलाओ के स्वास्थ्य सेवा के लिए खुद कदम उठाएं और उन्हें शिक्षित करें।
गर्भवती महिला को रखना चाहिए अपना खास ध्यान
ज्यादातर महिलाएं अपनी सेहत को लेकर काफी लापरवाह होती है। कोई भी दुख-तकलीफ होने पर वे खुद को नजरअंदाज कर देती हैं। लेकिन प्रेग्नेंसी एक ऐसी अवस्था है, जब उन्हें काफी सावधानी बरतनी की आवश्यकता होति है। और अपनी सेहत का भी ख्याल रखना चाहिए। आखिर वे अपने साथ-साथ अपने अंदर एक और जीवन को पाल रही होती है। हालांकि कई लोगो में इस जानकारी की कमी होती है की प्रेग्नेंसी के दौरान उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं।

सबसे पहले हर गर्भवती महिला को ‘रूटीन डॉक्टर विजिट’ का खास ख्याल रखना चाहिए। दूसरा, अगर खानपान सही और लाइफस्टाइल सही होगा तभी बच्चा स्वस्थ रहेगा। तीसरा, डॉक्टर द्वारा बताई गई जरुरी जांच को बेकार न समझे, क्योंकि ये गलतिया मैटरनल डेथ का कारण बन सकती है, एक गर्भवती महिला के लिए आवश्यक टेस्ट कराना जरुरी होता है। जिससे उसके स्वास्थ्य में होने वाली कमी का पता चल सके है।
आजकल की कामकाजी महिलाओ के लिए काम और घर के बीच संतुलन बनाना जरूरी है। महिलाओ के जीवन में जिम्मेदारियां अधिक होती है, लेेेकिन इसका मतलब ये नहीं हैै की वे अपना ध्यान रखना ही भूल जाए। आज के समय में ऑफिस की नाईट शिफ्ट, देर तक काम, देर से शादी और देर से फैमिली प्लानिंग महिलाओ के लिए एक चुनौती बनति जा रहा है।
National Safe Motherhood Day का इतिहास
1800 संगठनो के गठबंधन व्हाइट रिबन एलायंस इंडिया (WRAI) के अनुरोध पर भारत सरकार ने साल 2003 में कस्तूरबा गांधी के जन्म वर्षगांठ 11 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस के रूप में मनाने का घोषणा किया था। भारत सामाजिक रूप से राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस घोषित करने वाला दुनिया का पहला देश है।
हर साल इस अवसर पर WRAI के सदस्यो द्वारा सुरक्षित मातृत्व दिवस के लिए एक राष्ट्रव्यापी विषय का चुनाव किया जाता हैं, जिसके अनुरूप WRAI के सदस्य पूरे देश में बड़े पैमाने पर गतिविधियां और अभियान चलाते हैं। राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस को मानाने का उद्देश्य और हर साल इस दिवस पर शुरू किए गए इन वार्षिक अभियानो का उद्देश्य जागरूकता को बढ़ाना है, ताकि गर्भवती महिलाओ के पोषण पर सही ध्यान दिया जा सके।
National Safe Motherhood Day के अवसर पर आइए जानते हैं कि प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को किन चीज़ो से दूर रहना चाहिए।
स्ट्रेस और टेंशन
गर्भवती महिलाओ को टेंशन और स्ट्रेस से दूर रहना चाहिए। क्योंकि चिंता में होने पर आप असहज महसूस करेंगी और इसका आपके बच्चे पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
कॉफी
गर्भवती महिलाओ को कॉफी नही पीना चाहिए। विशेषज्ञों के मुताबिक, कॉफी पीने से गर्भ में पल रहे बच्चे इसका प्रभाव पड़ता है। जीससे होने वाले बच्चे बेचैन और चिड़चिड़े होने लगते हैं।

एक्यूपंचर और मसाज
गर्भवती महिलाओ को एक्यूपंचर और मसाज भी कम ही लेनी चाहिए। प्रेग्नेंसी के शुरुआती तीन महीनों में पेट की मालिश या मसाज बिल्कुल नहीं करनी चाहिए।
हॉट बाथ से दूरी
प्रेग्नेंसी के दौरान अगर आपके पेट या कमर में दर्द हो रहा है और आप सोचते हैं कि आप हॉट बाथ से सिकाई करके आराम पा सकती हैं, तो ऐसा ना करें। क्योंकि ऐसा करने से पहली तिमाही के दौरान बर्थ डिफेक्ट की समस्या हो सकती है।
हाई हील्स
भले ही आपको हील्स काफी पसंद हो, लेकिन गर्भवती होने के दौरान आपको इनसे दूरी बनाए रखनी चाहिए। इस दौरान हिल्स पहनने से आप गिर भी सकती हैं।
खुद कोई दवाई न खाएं
प्रेग्नेंसी के दौरान कोई भी दवाई लेने से पहले डॉक्टर से संपर्क जरूर करें, और उचित सलाह लें। अगर छोटी सी परेशानी जैसे सिर दर्द भी हो तो उसकी दवाई लेने से पहले डॉक्टर से सलाह करें।
बिल्ली
प्रेग्नेंसी के दौरान आपको बिल्ली से दूर रखनी चाहिए। अगर आपने अपने घर में बिल्ली पाली है तो उससे सावधान रहें। क्योंकि बिल्ली के मल में टॉक्सोप्लाज्मा (Toxoplasma) नाम का एक पैरासाइट होता है, जिससे Toxoplasmosis नाम का एक इंफेक्शन हो सकता है। इस इंफेक्शन के कारण प्रेग्नेंसी में काफी समस्या हो सकती है।
गर्भवती होने के दौरान महिलाओ में कई बार जेस्टेशनल डायबिटीज एनीमिया यानि की खून की कमी, हाई ब्लड प्रेशर जैसे कई समस्याओ का सामना करना पड़ता है। जिनमें से जेस्टेशनल डायबिटीज होने पर मां और बच्चा दोनो के सेहत पर असर पड़ता है। दरअसल जरूरत से ज्यादा वजन वाली महिलाओ में या ऐसी महिलाओं में जिनके परिवार में पहले से किसी को डायबिटीज हो या पिछले बार गर्भावस्था के दौरान महिला को काफी परेशानी हुई है। ऐसी महिलाओं में डायबिटीज होने का खतरा दूसरी महिलाओं की तुलना में ज्यादा होता है। महिलाओ को डायबिटोलॉजिस्ट की नियमित जांच करानी चाहिए और शुगर को काबू में रख कर डॉक्टर की सलाह के अनुसार इंसुलिन या टैबलेट लेना जरूरी होता है।

गर्भवती होने के दौरान अगर किसी महिला में खून की कमी या शुगर का लेवल ज्यादा होता है। तो उनके होने वाले बच्चे में कई कमियां देखी जाती है, जैसे कि यह जन्म लेने वाले बच्चे का पैड़ सामान्य से बड़ा होना, बच्चे का वजन जरूरत से ज्यादा होना, बच्चे को दिल की बीमारी जैसी जन्मजात परेशानियां होना। अगर गर्भवती महिला डायबिटीज से प्रभावित होती है, तो आगे चलकर उनके बच्चे में डायबिटीज देखा जा सकता है। इसके अलावा जेस्टेशनल डायबिटीज होने पर महिलाओ के बच्चों में आगे चलकर बौद्धिक विकास रुकने की संभावना होती है। जन्म लेने से पहले बच्चे की अचानक मृत्यु होने का कारण भी यही सब होता है।
तो आइए अब यह जानते हैं, कि गर्भावस्था के दौरान हमें किन किन कामो को जरूर से जरूर अपनाना चाहिए।

- प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओ को ज्यादातर प्रोटीन युक्त चीजों का सेवन करना चाहिए बच्चे का बेहतर विकास होने के लिए अपने खाने में दाल, बीज, दूध वाली चीजों को ज्यादा से ज्यादा खाना चाहिए।
गर्भावस्था के दौरान महिलाओ को फल जरूर से जरूर खाना चाहिए, लेकिन खाने से पहले फल को अच्छी प्रकार धोकर खाना चाहिए। क्योंकि इस समय इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। - प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओ को अंडा, चिकन और मछली जरूर खाना चाहिए, लेकिन उन्हें अच्छी तरह से पका कर ही खाना चाहिए। इस दौरान डॉ से हमेशा ही सलाह करते रहना चाहिए, और डॉ से दी गई आयरन, फॉलिक एसिड के सभी दवाओ को सही मात्रा और सही समय पर लेना चाहिए।
- इस दौरान महिलाओ को फाइबर से भरपूर सब्जी और फल इत्यादि का सेवन करना चाहिए।
- गर्भावस्था के दौरान महिलाओ को भरपूर मात्रा में नियमित रूप से पानी पीना चाहिए।
- सुबह नाश्ते के दौरान उन्हें हल्का और सेहतमंद चीजों से नाश्ता करना चाहिए।
- इस दौरान महिलाओ को आरामदायक कपड़े पहनना चाहिए।
- इस दौरान महिलाओ को बाहर का कुछ भी नहीं खाना चाहिए।
इन बातों का ख्याल रखें
प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली परेशानि या बच्चे के जन्म लेने के बाद माँ और बच्चे की जान खतरे में होने के लिए सबसे ज्यादा जो जिम्मेदार होता है वह है गलत ढंग से महिला का खानपान और लाइफस्टाइल। इसलिए गर्भावस्था के दौरान माता को अपने खानपान में पान में सावधानी बरतनी चाहिए। यह जरूरी नहीं है की खाने की मात्रा ज्यादा हो बल्कि उसका सही होना जरूरी है।
प्रेगनेंसी के दौरान कुछ महिलाएं काम छोड़कर आराम करने बैठ जाती हैं। लेकिन यह बिल्कुल सही नहीं है, शारीरिक एक्टिविटी कभी भी जरूरी होती है। ऐसे में आप हल्का एक्सरसाइज जरूर करें, आप चाहे तो हलके हलके छोटे-मोटे कामों को भी कर सकती हैं। प्रेग्नेंट होने के बाद नियमित रूप से डॉक्टर से संपर्क में रहे व जरूरत पड़ने वाले सभी जांच को अवश्य करवाएं। बच्चे की सुरक्षा के लिहाज से किए जाने वाले सभी टेस्ट को करवाना ना भूले और उनके मेडिकल रिकॉर्ड अपने पास रखें। इसके अलावा भी आपकी जिम्मेदारी ख़तम नहीं होती डिलीवरी होने के बाद बच्चे को लगने वाले सभी टिके को अवश्य लगवाएं। डिलीवरी होने के बाद भी इस प्रकार के चीजों को खाए पिएं जिससे कि बच्चे को दूध मिल सके। बच्चे के शरीर पर मालिश करने के लिए तेल, दूध, साबुन जैसे किसी भी चीज में कमी ना करें।

महिलाओ के जीवन में प्रेगनेंसी एक मुश्किल और नाज़ुक़ दौड़ होता है जब महिलाओ को ज्यादा से ज्यादा सावधानी बरतने की और उन्हें खुश रहने की जरूरत होती है। ऐसे में परिवार के सभी सदस्यो और खासकर के पिता की यह जिम्मेदारी होती है, कि वे उनका पूरा ध्यान रखें। यह जरूरी नहीं है कि आप अपने परिवार या परिजन के महिला गर्भवती होने पर ही उसका ख्याल रखे। यह जिम्मेदारी हर एक व्यक्ति की बनती है, कि वह हर एक गर्भवती महिला और शिशु को दूध पिलाने वाली माताओ को अपनी तरफ से होने वाले हर सहायता करें। तो आइए National Safe Motherhood Day के अवसर पर हम कुछ खास आदतों को अपनाते हैं।
- गर्भवती महिलाओ के सुरक्षित सेहत के लिए उन्हें जरूरत पड़ने वाले सभी सुविधाओ को उन तक पहुंचाएं।
- गर्भवती महिला व शिशु को दूध पिलाने वाली माताओ के जरूरतो को हमेशा पूरा करने का प्रयास करें।
- घर हो, बाहर हो या ऑफिस हो गर्भवती महिलाओ को किसी भी चीज के लिए परेशान ना होने दें।
- गर्भवती महिलाओ और दूध पिलाने वाली माताओ के किसी भी जरूरत को अनदेखा ना करें।
- उन्हें सभी सरकारी और स्वास्थ्य सेवाओ की जानकारी करवाएं।
- अस्पतालों में अच्छी सुविधा देने और दिलवाने का प्रयास करें।