ऐसी कई बीमारियां हैं, जिनका अगर सही समय पर टीकाकरण नहीं किया जाता तो वो घातक बीमारी का रूप ले लेती है। भारत के ज्यादातर लोग अभी भी टीकाकरण के प्रति उतने जागरूक नहीं है लोगो के अंदर जागरूकता ना होने के कारन ही हमारे देश में कई बच्चे और गर्भवती महिलाएं समय पर टीकाकरण नहीं करवा पाते। जो आगे चलकर उनकी सेहत के लिए जानलेवा साबित होती है।
टीकाकरण क्या है
विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, टीकाकरण (Vaccination / immunization) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके जरिए किसी व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली, शरीर और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले विकार या वायरस के खिलाफ मजबूत हो जाते है।
टीका शरीर में मौजूद रक्त में घुलने के बाद स्वास्थ्य प्रतिरक्षा प्रणाली को एंटीबॉडी बनाते हुए बाहरी आक्रमण यानी वायरस के हमलो से सुरक्षित बनाने में मदद करता है। टीकाकरण के बाद एंटीबॉडी बनने से वायरस या बैक्टीरिया जैसे कीटाणु कमजोर पर जाते हैं या खत्म हो जाते हैं। जिससे व्यक्ति किसी प्रकार बीमारी का शिकार नहीं बन सकते हैं।

राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस पर क्या होता है
हर सालराष्ट्रीय टीकाकरण दिवस के मदद से टीकाकरण की आवश्यकताओ के बारे में लोगो को जानकारी दी जाती है। हर साल राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस के दिन सरकार द्वाराकई प्रकार के हेल्थ संबंधित योजनाएं चलाई जाती हैं। इसके अलावा लोगो को फ्री में वैक्सीनेशन भी दी जाती है। इस दिन अस्पतालो से लेकर स्कूलो तक कई प्रकार विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस दिन सरकारी अस्पतालो में टीकाकरण से जुड़े कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और इन कार्यक्रमों के द्वारा लोगो को टीकाकरण की विशेषताएं बताई जाती हैं। यही नहीं कई अस्पतालो में तो छोटे बच्चों को पोलियो की दवाई और कई प्रकार की वैक्सीन दी जाती है।
राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस के दिन सरकारी स्कूलो में छोटे बच्चो को जिनकी उम्र पांच साल तक की होती हैं। उन्हें पोलियो की दवाई दी जाती है, इसके अलावा बीमारियो से कैसे बचा जाए इसके बारे में भी बच्चों को जानकारी दी जाती है। भारत में ऐसे केई गांव हैैं जहां लोग वैक्सीनेशन के प्रति जागरूक नहीं हैैं, ऐसे में इस दिन राज्य सरकारे अपने राज्य के गांवों में डॉक्टरों की टीमें भेजती हैं। ताकि वो लोगो को टीकाकरण के प्रति जागरूक कर सकें, इसके अलावा गांवों के बच्चों को पोलियो की दवाई भी दी जाती है।
दरअसल टीकाकरण के द्वारा प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) को खतरनाक बीमारियो से लड़ने की मजबूती मिलती है। इसलिए डॉक्टरो के द्वारा हर एक बच्चे के माता पिता को उनके बच्चो का टीकाकरण करवाने की सलाह दी जाती है। क्योंकि छोटे बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है।
कब से मनाया जाता है National Vaccination Day
पूरी दुनिया में टीकाकरण अभियान तेजी से आगे बढ़ रहा है। लेकिन बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि देश में हर साल 16 मार्च के दिन नेशनल वैक्सीनेशन/ इम्यूनिजेशन डे यानी राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस मनाया जाता है। देश में ऐसा साल 1995 से लगातार हो रहा है। राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस (National Vaccination या Immunization Day) पहली बार साल 1995 में मनाया गया था। उसी दिन देश में राष्ट्रीय पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान की शुरूआत हुई थी। और इस अभियान के कारण ही देश में पोलियो का प्रसार थम पाया है। इस बार कोरोना महामारी के प्रसार की शृंखला तोड़ने के लिए कोविड-19 के टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। इसीलिए इस साल राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस का महत्व और अहम हो गया है।

कोविड टीकाकरण के तहत भारत में अब तक तीन करोड़ से भी ज्यादा लोगो का टीकाकरण किया जा चुका है। वर्तमान में, कोविड टीकाकरण अभियान के दूसरे चरण में 45 से 60 साल और उससे अधिक आयु के लोगो को वैक्सीन दी जा रही है। आइए जानते हैं टीकाकरण क्या है, भारत में राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस का इतिहास और टीकाकरण के महत्व के बारे में।
टीकाकरण दिवस का इतिहास
देश में पहली बार राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस 16 मार्च, साल 1995 को मनाया गया था। उस दिन देश में ओरल पोलियो वैक्सीन की पहली खुराक दी गई थी। देश में विकलांगता के जनक मानी जाने वाली पोलियो महामारी को खत्म करने के लिए भारत सरकार द्वारा पल्स पोलियो अभियान (Pulse Polio Campaign) की शुरुआत की गई थी।
पिछले कुछ दशको में टीटनस, पोलियो, टीबी(TV) जैसे घातक बीमारियो से लड़ने के लिए टीकाकरन को एक अभिन्न हथियार के तौर पर अपनाया गया हैं और इसके द्वारा लाखो लोगो की जिंदगियां बचाई गई हैं।
पल्स पोलियो अभियान
पल्स पोलियो अभियान के तहत, देश में 5 साल से कम उम्र के सभी बच्चो को ओरल पोलियो वैक्सीन के दो बूंदें दी गई थी। इसके लिए एक नारा दो बूंद जिंदगी का काफी लोकप्रिय हुआ था। हर गांव, हर शहर, स्वास्थ्य विभाग और सामाजिक संगठनो की टीम घर-घर जाकर, स्कूल, बस अड्डे, रेलवे स्टेशन आदि स्थानो पर बच्चो को पोलियो की खुराक देते थे। और इन प्रयासो के सफल परिणाम स्वरुप ही साल 2014 में भारत को पोलियो मुक्त घोषित किया गया।
टीकाकरण दिवस का महत्व
वर्तमान समय में टीकाकरण के महत्व को कम नहीं किया जा सकता है। किसी भी व्यक्ति को ज्ञात गंभीर और घातक बीमारियों या महामारियों से बचाने के लिए सबसे प्रभावी उपाय टीकाकरण ही है। भारत में पोलियो उन्मूलन इसका ज्वलंत उदाहरण है। हाल ही में वैश्विक संक्रामक महामारी कोविड-19 के खिलाफ दुनियाभर में टीकाकरण की शुरुआत हुई है। इससे पहले भी दुनियाभर में व्यापक टीकाकरण अभियानो के परिणामस्वरूप दुनिया के प्रमुख हिस्सो से चेचक, खसरा, टिटनेस जैसे बेहद संक्रामक और खतरनाक बीमारियों का खात्मा हुआ है।
टीकाकरण दिवस का उद्देश्य
टीकाकरण दिवस का उद्देश्य सभी लोगो को वैक्सीनेशन के प्रति जागरूक करना है। इस बीमारी से सभी उम्र के लोगो को बचाने के लिए टीको के उपयोग को बढ़ावा देना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, हर साल टीकाकरण के मदद से 20-30 लाख लोगो की जान बचाई जाती है। लेकिन इसके बावजूद भी आज दुनिया में लगभग 2 करोड़ बच्चे ऐसे हैं, जो टीकाकरण से वंचित हैं। आप भी अपने बच्चे को ये ज़रूरी टीके ज़रूर से जरूर लगवाएं। पोलियो के ड्रॉप्स बच्चे को ज़रूर पिलाएं। पोलियो नामक बीमारी के कारण ही बच्चे अपंग रह जाते हैं, ये टीका इसी से सुरक्षा प्रदान करता है। ये टीका भी बच्चो को ज़रूर लगवाना चाहिए।

BCG और BCG का टीका
हेपेटाटिस-B वायरस के संक्रमण से लीवर में सूजन आ जाती है, पीलिया हो जाता है और लंबे समय तक संक्रमण के बाद लीवर कैंसर का भी ख़तरा हो सकता है। इसलिए सभी के लिए यह टीका बेहद ज़रूरी होता है, जो हेपेटाइटिस-B के संक्रमण से बचाव करता है।
गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु को टेटेनस से बचाने के लिए टेटेनसटॉक्साइड 1 / बूस्टर टीका और दूसरा टीका एक-एक महिने के अंतर में लगवाना चाहिए। बच्चे को TB से बचाने के लिए अनिवार्य रूप से बी.सी.जी(BCG) का टीका लगता है। बी.सी.जी(BCG) का टीका लगने से शिशु को टी.बी(TB) की बीमारी से बचाया जा सकता है।
DPT का टीका
हिब वेक्सीन का टीका बच्चो को डिफ्थीरिया, काली खांसी, टेटेनस, हेपेटाइटिस-B और एच इन्फलांजी-B से सुरक्षा प्रदान करता है। हिब बेक्टीरिया के संक्रमण से न्यूमोनिया और मष्तिष्क ज्वर/ब्रेन फीवर (मेनिनजाइटिस) जैसे गंभीर और जानलेवा बीमारी हो सकती हैं। डीपीटी(DPT) टीको की एक सीरीज़ होती है, जो इंसानो को होने वाले संक्रामक बीमारियों डिफ्थीरिया, पर्टुसिस (काली खांसी) और टेटेनेस से बचाव के लिए दिए जाते हैं।