क्या आप डाउन सिंड्रोम के बारे में जानते हैं अगर नहीं तो आज के इस पोस्ट में आप इसके बारे में जान जाएंगे। आप सोच रहे होंगे कि Down Syndrome कैसा दिवस है ? दरअसल यह एक प्रकार का बीमारी है यह एक ऐसी बीमारी है जिसका कोई इलाज नहीं है। आप लोगों को यह जानकारी दुख होगा कि यह एक ऐसा रोग है जो जन्म से ही बच्चों में पाई जाती है। आज के इस पोस्ट में हम यह दिवस क्यों, कब मनाया जाता है। इसके बारे में जानने के साथ ही Down Syndrome कैसी बीमारी है इसके बारे में आपको जानकारी देने वाले हैं।
विश्वभर में हर साल 21 मार्च के दिन डाउन सिंड्रोम डे मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का एकमात्र उद्देश्य यही है कि डाउन सिंड्रोम के प्रति सार्वजनिक रूप से लोगो में जागरूकता फैलाई जाए। संयुक्त राष्ट्र महासभा की सिफारिश पर साल 2012 से हर साल इस (World Down Syndrome Day) दिवस को मनाया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिसंबर साल 2011 में लोगो में डाउन सिंड्रोम के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए 21 मार्च को विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस के रूप में घोषित किया था। विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस साल 2020 का का थीम रखा गया था “We Decide” है। डाउन सिंड्रोम को साल 1866 में पहली बार चिकित्सकीय पहचान मिली थी। इस सिंड्रोम की पहचान ब्रिटिश डॉक्टर, जॉन लैंगडन डाउन ने किया था। और इन्हीं के नाम पर इस सिंड्रोम (World Down Syndrome Day) का नाम रखा गया है।
क्यों मनाया जाता है यह दिवस
दरअसल दुनिया में ऐसे कौन से लोग हैं जो इस बीमारी के बारे में जानते हैं लेकिन इस दुनिया में सब को हर एक चीज की बारे में जानकारी होनी चाहिए इसीलिए 21 मार्च के दिन डाउन सिंड्रोम नामक दिवस मनाया जाता है ताकि लोग बीमारी अधिकार के बारे में जान सके और जागरूक बन सके ताकि वे कुछ प्रयासों को अपनाकर अपनी संतान को ऐसा होने से रोके।
Down Syndrome क्या है
डाउन सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है, जिसमें बच्चा मानसिक और शारिरिक विकारो से झूझता है। डाउन सिंड्रोम में बच्चा अपने 21वें गुणसूत्र की एक्स्ट्रा कॉपी के साथ पैदा होता है। और इसलिए इसे ट्राइसॉमी-2 भी कहा जाता है। यह एक जेनेटिक डिसॉर्डर (आनुवांशिक विकार) भी है जो बच्चे के शारीरिक विकास में देरी, चेहरे की विशेषताओं में फर्क और बौद्धिक विकास में देरी का कारण बनता है।

रिप्रोडक्शन यानि प्रजनन के समय माता के xx और पिता के xy दोनो के क्रोमोसोम बच्चे तक पहुंचते हैं। इसमें कुल 46 क्रोमोसोम में से 23 माता के और 23 पिता से बच्चे को मिलते हैं। जब माता-पिता दोनो के क्रोमोसोम आपस में मिलते हैं तो उनमें से 21 वे क्रोमोसोम का डिविजन नहीं हो पाता जीस कारण 21 वा क्रोमोसोम अपनी एक्ट्रा कॉपी बना देता है और इसी को ट्राइसॉमी-2 कहते हैं। यह एक्ट्रा क्रोमोसोम बच्चे में कई प्रकार के शारीरिक और मानसिक विकार पैदा करता है। नेशनल डाउन सिंड्रोम सोसायटी (NDSS) के मुताबिक अमेरिका के 700 बच्चों में से 1 बच्चा डाउन सिंड्रोम से पीड़ित पैदा होता है। अमेरिका में डाउन सिंड्रोम सबसे ज्यादा होने वाला आनुवांशिक विकार है।
ट्राईसॉमी– हर एक कोशिका में गुणसूत्र 21 की एक एक्स्ट्रा कॉपी ही ट्राइसॉमी 21 कहलाती है जो डाउन सिंड्रोम का सबसे आम रूप है।
मोजेक डाउन सिंड्रोम– मोजेक डाउन सिंड्रोम तब होता है, जब किसी व्यक्ति के शरीर में कोशिकाओं के दो या उससे भी अधिक आनुवंशिक रूप से भिन्न सेट होते हैं।
ट्रांसलोकेशन- इस तरह के डाउन सिंड्रोम में कुल 46 क्रोमोसोमो में से बच्चों के पास क्रोमोसोम 21 का सिर्फ एक अतिरिक्त हिस्सा होता है।
आमतौर पर जन्म के समय डाउन सिंड्रोम वाले शिशुओ में कुछ विशिष्ट लक्षण होते हैं। जैसे उनका चेहरा अलग फ्लैट होता है,छोटी आंखें, उभरी हुई जीब, हाथों में लकीरें, सर, कान, उंगलियां छोटी व चौड़ी होती हैं साथ ही बच्चो का कद भी छोटा होता है। उनके सिर का आकार बड़ा होता है, हथेलियों में एक ही रेखा होना आदि सिम्पटम्स शामिल हैं।
इस बीमारी से पीड़ित बच्चे सामान्य बच्चों से अलग व्यवहार करते हैं। इन बच्चो का मानसिक और सामाजिक विकास दूसरे बच्चों की तुलना में देर से होती है। ऐसे बच्चे बिना कुछ सोचे-समझे ही खराब निर्णय ले लेते हैं। एकाग्रता के कमी के कारण डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों में सीखने की क्षमता भी कम होती है। गर्भ में ही उनका शारीरिक विकास बाधित होने लगता है।
कब और क्यों मनाया जाता है Down Syndrome Day

स्पेशलिस्ट का कहना है कि इस बीमारी से पीडि़त बच्चो के शरीर के क्रोमोजोम के जोड़ो में से 21 वा क्रोमोजोम दो के जगह तीन होता है। और यही वजह है कि साल के तीसरे महिनें के 21 तारीख को पूरे विश्व में डाउन सिंड्रोम डे मनाया जाता है।
कई बीमारियों का है खतरा
डाउन सिंड्रोम (World Down Syndrome Day) वाले व्यक्ति को कई प्रकार के रोगो का खतरा हो सकता है। ऐसे लोगो को 50 प्रतिशत हृदय रोग होने की संभावना होती है। इसके साथ ही पाचन समस्याएं, और किडनी के रोग होने की भी संभावना होती है।
डाउन सिंड्रोम वाले व्यक्ति के लक्षण
- नाक चपटी और छोटी
- कान का अनियमित आकार
- चेहरा चिपटे आकार का
- छोटी सी गर्दन
- फैली हुई जीभ
- कमजोर मांसपेशियां
- आवेगपूर्ण व्यवहार
- कीसी भी चीज को जल्दी न समझ पाना
- सीखने की क्षमता काफी धीमी
डाउन सिंड्रोम तीन प्रकार के होते हैं
- ट्राइसोमी 21 (Trisomy 21)
- ट्रांसलोकेशन (Translocation)
- मोजैक (Mosaic)
कैसे होता है इलाज
डाउन सिंड्रोम से ग्रसित बच्चो का इलाज संभव नहीं होता इन बच्चो को स्पेशल ट्रिटमेंट दी जाती है। इस बीमारी से ग्रसित बच्चे सामान्य समय से देरी से चलना, बोलना, बैठना सिखते हैं। इस बीमारी से ग्रसित बच्चो के लिए एक टीम बनाई गई है, जो इस बीमारी से ग्रसित बच्चो की देखभाल करते हैं। इस टीम द्वारा बच्चों को फिजिकल थैरेपी, स्पीच थैरेपी, व्यवसायिक थैरेपी दी जाती है। साथ ही बीच-बीच में इनकी सर्जरी भी की जाती है। इसके अलावा इन्हें हमेशा किसी ना किसी की आवश्यकता होती है। अगर किसी में इस बीमारी के लक्षण दिखे, तो जल्द से जल्द डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए, ताकि समय पर उसे थैरेपी दी जा सके। विशेषज्ञों के अनुसार एक हजार में से एक बच्चा इस बीमारी का शिकार होता है। पूरे देश में डाउन सिंड्रोम से पीडि़त लाखों बच्चे जन्म लेते हैं।