पूरी दुनिया में हर साल वैश्विक स्तर पर गौरैया दिवस मनाया जाता है। अगर आप लोग नहीं जानते तो शायद आप लोगों को यह जानकर हैरानी होगी कि एक छोटी सी चिड़िया के नाम पर पूरी दुनिया में एक दिवस मनाया जाता है। आज के इस पोस्ट में हम आपको बताने वाले हैं की आखिर ऐसी कौन सी जरूरत आ पड़ी एक छोटी सी चिड़िया के नाम पर दिवस मानाने की इसके बारे में बताएंगे। तो आइए जानते हैं कि गौरैया दिवस मनाने के पीछे का कारण क्या है, कब, क्यों और कैसे इस दिवस को मनाया जाता है। साथ ही गौरैया चिड़िया के बारे में भी जानेंगे।
Sparrow संरक्षण करके के उपाए

ब्रिटेन के रॉयल सोसाइटी ऑफ बर्डस द्वारा विश्व के विभिन्न देशो में किए गए अनुसंधान के आधार पर भारत और कई बड़े देशो में गौरैया को रेड लिस्ट कर दिया गया है। जिसका मतलब है कि यह पक्षी अब पूरी तरह से विलुप्त होने के कगार पर है। गौरैया संरक्षण के लिए हम यही कर सकते हैं कि अपनी छत पर दाना-पानी रखें, अधिक से अधिक पेड़- पौधे लगाएं और उनके लिए कृत्रिम घोंसलो का निर्माण करें।
World Sparrow Day 2021 का थीम
विश्व गौरैया दिवस साल 2021 का थीम रखा गया था ‘आई लव स्पैरो’। जिसका मतलब है कि मुझे गौरैया से प्रेम है। पिछले कई सालो से इस एक ही विषय पर इस दिन को मनाया जा रहा है। इस थीम को रखने के पीछे इंसान और पक्षी के बीच के संबंध की सराहना करना है। इस दिन लोग गौरैया की तस्वीर बनाते हैं, कविताए लिखते हैं, अपने अनुभव और गौरैया से जुड़े किस्से आदि साझा करते हैं।
World Sparrow Day का इतिहास
विश्व गौरैया दिवस को मनाने की शुरुआत भारत के नासिक में रहने वाले मोहम्मद दिलावर के प्रयासो से हुई थी। दिलावर के द्वारा गौरैया संरक्षण के लिए नेचर फॉर सोसाइटी नामक एक संस्था को शुरूआत की गई थी। पहली बार विश्व गौरैया दिवस साल 2010 में मनाया गया था। पिछले दस सालो से हर साल 20 मार्च के दिन यानि गौरैया दिवस पर उन लोगो को गौरैया पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है, जो पर्यावरण और गौरैया संरक्षण के क्षेत्र में अच्छा काम कर रहे हैं।

Sparrow के बारे में जानकारी
गौरैया का वैज्ञानिक नाम पासर डोमेस्टिकस है जो पासेराडेई परिवार का हिस्सा है। यह विश्व के विभिन्न देशो में पाई जाती है। गौरैया करीब 15 सेंटीमीटर के होती है, यानी कि यह बहुत छोटी होती है। शहरो के मुकाबले गांवों में रहना इसे अधिक पसंद होता है। ज्यादातर इसका वजन 32 ग्राम तक का होता है। यह कीड़े और अनाज खाकर अपना जीवनयापन करते हैं।
पिछले ग्यारह सालो से विश्वभर में गौरैया दिवस मनाया जा रहा है। लेकिन अब आप सोंच रहे होंगे कि आखिर इस दिन को मनाने की जरूरत ही क्यों पड़ी ऐसे में आज गौरैया का न दिखना ही आप लोगो के सवालो का जवाब दे देता है। आज गौरैया केवल पुस्तको और कविताओ में ही है। मानव समाज के लिए यह बहुत शर्म की बात है, कि गौरैया अब विलुप्ति के कगार पर है और इसका संरक्षण हमारा पहला कर्तव्य बनता है। इसी बात को याद दिलाने के लिए हम हर साल विश्व गौरैया दिवस मनाते हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले 2 दशको में गौरैया में 60 प्रतिशत की कमी आई है। ब्रिटेन की ‘रॉयल सोसायटी ऑफ़ प्रोटेक्शन ऑफ़ बर्डस’ ने भारत व विश्व के विभिन्न हिस्सो में शोध के आधार पर गौरैया को ‘रेड लिस्ट’ में डाला है। भारत में आंध्र विश्वविद्यालय’ द्वारा किए गए एक शोध के अनुसार गौरैया की आबादी में लगभग 60 प्रतिशत की कमी भारत में आई है।

और यह कमी शहरी और ग्रामीण सभी क्षेत्रो में हुई है। और इसका कारण है, प्राकृतिक सम्पदा का काफी ज्यादा दोहन करना। आज हर जगह पेड़ पौधो को काटा जा रहा है, साथ ही मनुष्य लगातार प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहा हैं। जिससे पर्यावरण में भी परिवर्तन हो रहा है, प्रदुषण बढ़ रहा है।इस चिड़िया के संख्या में कमी आने के पीछे न जाने ऐसे कई कारण हैं और इन्ही बातो को ध्यान में रखकर इस दिवस को मनाया जाता है।
ऐसी स्थिति में हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम गौरैया के बचाव के लिए जो संभव हो करें। वैज्ञानिको का मानना है कि गौरैया के संख्या में कमी आने का सबसे बड़ा कारण यह है कि उन्हें घोसले बनाने की जगह नहीं मिलती हैं। जिस कारण उनके बच्चे इस दुनिया में आने से पहले ही मर जाते हैं, ऐसे में हमारी यह जिम्मेदारी बनती है कि उनके घोसले के लिए हम उपयुक्त जगह दें और उनके लिए खाना और पानी रखें।
इस पोस्ट में हमने आपको Sparrow के बारे में सभी जानकारी दी है साथ ही इसे संरक्षण करने के बारे में भी जानकारी दी है। अगर यह पोस्ट आप लोगों को अच्छा लगा तो आप हमारे बताए गए उपायो को जरूर अपनाने का प्रयास करें। ताकि विलुप्त हो रही गौरैया आने वाले समय में पूर्ण रूप से विलुप्त ना हो और फिरसे वह वापस आ सके।