Tuesday, September 26, 2023
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World Water Day 2021 विश्व जल दिवस पर जानते है पानी के महत्व के बारे में

एक समय था जब जगह-जगह नदि, तालाब, नहर, कुएं आदि दिखाई देते थे। लेकिन औद्योगीकरण की राह पर चल पड़ी नई दुनिया ने इस दृश्य को काफी हद तक बदल दिया है। अब तालाब, कुएं, नहर सब सूखते जा रहे हैं। नदि का पानी दूषित होने के साथ साथ कम होता जा रहा है। लोगो के बीच जल संकट गहरा होता जा रहा है, पूरे विश्व के लोगो को जल के महत्त को समझाने और लोगो को साफ पानी उपलब्ध कराने के लिए हर साल 22 मार्च के दिन विश्व जल दिवस (World Water Day 2021) मनाया जाता है। देखा जाए तो दुनिया में जल के किल्लत को देखते हुए लगभग 32 साल पहले ही यह भविष्यवाणी की गई थी, कि अगर समय रहते लोगो ने पानी के महत्त को नहीं समझा, तो अगला विश्वयुद्ध (World War) पानी को लेकर होगा। 

World Water Day 2021 विश्व जल दिवस पर जानते है पानी के महत्व के बारे में

बताया जाता है कि यह भविष्यवाणी संयुक्त राष्ट्र के छठे महासचिव बुतरस घाली ने की थी। इसके अलावा साल 1995 में वर्ल्ड बैंक के उपयोग सेराग्लेडिन ने भी विश्व में पानी के संकट की भयावहता को देखते हुए कहा था कि इस शताब्दी में तेल के लिए युद्ध हुआ लेकिन अगली शताब्दी की लड़ाई पानी के लिए होगी। वहीं एक बार संबोधन के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लोगो को चेताते हुए कहा था कि ध्यान रखें कि पानी में भी आग लगती है और कहीं ऐसा न हो कि अगला विश्वयुद्ध पानी के मसले पर हो।

धरती पर केवल एक प्रतिशत पानी है पीने योग्य

बता दें कि धरती का लगभग तीन चौथाई हिस्सा पानी से भरा हुआ है। लेकिन इसमें से केवल तीन प्रतिशत हिस्सा ही पीने योग्य है। तीन प्रतिशत में से दो प्रतिशत बर्फ और ग्लेशियर के रूप में है, ऐसे में केवल एक प्रतिशत ही पानी प्राणी के लिए पीने के योग्य बचता है।

जल संकट के प्रमुख कारण

तमाम पर्यावरण विशेषज्ञो का मानना है कि विकास के नाम पर अंधाधुंध निर्माण के कारण प्रकृति को बहुत नुकसान पहुंचा है। लगातार पेड़ पौधो को काटे जा रहे हैं, लेकिन उनकी तुलना में नए पौधे नहीं लगाए जाते। पेड़ पौधों की कमी से ऑक्सीजन की कमी हो रही है। जिस कारण जल स्तर नीचे जा रहा है। अगर अभी भी लोग पानी के संचय, संरक्षण और सुरक्षा के प्रति जागरुक नहीं हुवे तो आने वाले हालात बहुत भयंकर होंगे। सड़क पर दौड़ती गाड़ियो और कारखानो से निकलने वाले धुएं से लगातार प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। इन कारखानो से निकलने वाला कचरा नदियो में जाता है, जिससे की बचा हुआ पानी भी दूषित हो रहा है। 

इसलिए मनाया जाता है विश्व जल दिवस

पानी की बर्बादी को रोकने के लिए और इसकी महत्त को समझाने और लोगो को स्वच्छ जल उपलब्ध कराने के लिए हर साल 22 मार्च के दिन विश्व जल दिवस मनाया जाता है। साल 1992 में रियो डि जेनेरियो में आयोजित पर्यावरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के दौरान विश्व जल दिवस की पहल की गई थी। इसके बाद पहली बार 22 मार्च साल 1993 को विश्व जल दिवस को मनाया गया।

World Water Day 2021 विश्व जल दिवस पर जानते है पानी के महत्व के बारे में

World Water Day साल के जल दिवस की थीम

हर साल विश्व जल दिवस की एक थीम (World Water Day 2021 Theme) निर्धारित की जाती है। इस साल का थीम रखा गया है “वेल्यूइंग वाटर”। जिसका लक्ष्य रखा गया है लोगो को पानी का महत्व समझाना। बता दें कि पानी के परेशानी के कारण भारत में ग्रामीण लोग अब गांवो को छोड़कर शहरो की ओर जा रहे हैं। वहीं दुनिया में ऐसे कई देश हैं जहां लोगो को पीने योग्य पानी ही उपलब्ध नहीं होता और वहां के लोग गंदा पानी पीकर कई तरह के स्वास्थ्य संबन्धी समस्याओ का सामना करते हैं। और कई बार इसके कारण उनकी मौत तक हो जाती है।

कैसे मनाया जाता है विश्व जल दिवस

हर साल विश्व जल दिवस के अवसर पर कई प्रकार के कार्यक्रमो का आयोजन किया जाता है। विभिन्न तरह के भाषण, कविताओ और कहानियो के जरिए लोगो को जल संरक्षण और इसका महत्व समझाने की कोशिश की जाती है। हिंदू धर्म में जल को पंचमहाभूतो में से एक माना गया है। कहा जाता है कि इसी जल में आध्यात्मिक शक्तियो का वास है। हिंदू धर्म में किसी भी काम का शुभारंभ और विसर्जन उसी जल से होता है। हिंदू धर्म में गंगाजल को सबसे पवित्र जल माना गया है। तमाम परीक्षणो और अनुसंधान के बाद वैज्ञानिको ने भी इस जल को विलक्षण पाया है। 

World Water Day 2021 विश्व जल दिवस पर जानते है पानी के महत्व के बारे में

दुनिया औद्योगीकरण की राह पर चल रही है, लेकिन स्वच्छ और रोग रहित जल मिल पाना अब कठिन होता जा रहा है।विश्व भर में साफ और पीने योग्य पानी के अनुपलब्धता के कारण ही जल जनित रोग महामारी का रूप ले रही है। समय के साथ हर व्यक्ति जल के महत्त को लगातार भूलता चला आ रहा है और उसे बर्बाद करता गया है, जिसके फलस्वरूप आज जल संकट सबके सामने है। इसीलिए विश्व के हर नागरिक को पानी के महत्त से अवगत कराने के लिए ही संयुक्त राष्ट्र ने “विश्व जल दिवस” मनाने की शुरुआत की थी। 

विश्व जल दिवस का थीम

साल 2016 में विश्व जल दिवस का थीम रखा गया था “जल और नौकरियाँ”।

साल 2015 में विश्व जल दिवस का थीम रखा गया था “जल और दीर्घकालिक विकास”।

साल 2014 के विश्व जल दिवस का थीम रखा गया था “जल और ऊर्जा” था।

साल 2013 के विश्व जल दिवस का थीम रखा गया था “जल सहयोग” था।

साल 2012 के विश्व जल दिवस उत्सव का थीम रखा गया था “जल और खाद्य सुरक्षा”।

साल 2017 के विश्व जल दिवस का थीम रखा गया था “अपशिष्ट जल”।

साल 2018 के लिए विश्व जल दिवस का थीम रखा गया था “जल के लिए प्रकृति के आधार पर समाधान”।

आधुनिक मानव सभ्यता के विकास व कल्यान के साथ, जल प्रदूषण की गम्भीर समस्या उत्पन्न हो गई है। अब हर जगह रहने वाले उद्योगो और शहरीकरण की प्रवृत्ति काफी बढ़ रही है। गाँवो के आसपास तेजी से विभिन्न उद्योगो की स्थापना के साथ ही वे कस्बो और शहरो में तब्दील होते जा रहे हैं। जिससे ज्यादातर जल संसाधन प्रदूषण हो रहा है। जब विभिन्न प्रौद्योगिकियो का विकास नहीं हुआ था, तो लोग प्रकृति की गोद में रहते हुए जीवन का आनन्द लेते थे। लेकिन तेजी से हुए विकास और औद्योगीकरण के साथ जल प्रदूषण आज खतरनाक स्तर पर पहुँच चुका है। लगातार शहरो में बढ़ रही जनसंख्या के कारण बड़ी संख्या में बड़ी इमारतों का निर्माण हो रहा है, बड़े घरो में पानी की जरूरत काफी ज्यादा होती है जिस कारण भूजल स्रोतो पर दबाव बढ़ रहा है। 


औद्योगिक और शहरी कचरे का निपटारा



औद्योगिक इकाइयो की संख्या बढ़ने और काफी मात्रा में उनसे निकलने वाले दूषित जल और रासायनिक कचरा नदियो के साथ ही भूजल को भी प्रदूषित कर रहा है। और घरो में से निकलने वाले अपशिष्ट भी नदि के जल को प्रदूषित कर रही है। ऐसे में अगर जल प्रदूषण को नियंत्रित करना है तो हमें इस समस्या से निपटने के लिए प्रयास करना होगा।


नियम हो सख्ती से लागू



जल अधिनियम 1974 या प्रदूषण निवारण और नियंत्रण और पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम 1986 जैसे कानून तो हैं। लेकिन उन्हें प्रभावित रूप से लागू नहीं किया जा रहा है, इसीलिए हमें जल प्रदूषण के प्रभावी रोकथाम के लिए इन कानूनो को सख्ती से लागू कराना होगा। जल उपकर अधिनियम 1977 (Water Cess Act 1977) भी एक अन्य महत्त्वपूर्ण कानून है, जिसका उद्देश्य है प्रदूषण को कम करना और उसके रोकथाम पर  प्रभाव डालना।

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जल पुनर्चक्रण



जल प्रदूषण को रोकने के कुछ अन्य तरीकों में जल का पुनर्चक्रण एवं पुनः उपयोग भी सम्मिलित है। इससे स्वच्छ एवं मीठे जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने में मदद मिलती है। कम गुणवत्ता वाले जल जैसे कि गन्दे पानी को शोधित करने के पश्चात प्राप्त जल को हम विभिन्न उपयोग में ला सकते हैं। शोधित जल को हम वाहनों की धुलाई, औद्योगिक कार्यों आदि में इस्तेमाल कर सकते हैं। हमें स्वच्छ एवं मीठे जल का इस्तेमाल सिर्फ पीने के लिये करना चाहिए। वर्तमान में जल का पुनर्चक्रण सीमित मात्रा में किया जा रहा है इसीलिये हमें जल प्रदूषण को रोकने के लिये जल के पुनर्चक्रण की तकनीक को गम्भीरता से अपनाने की जरूरत है।



मिट्टी के कटाव की रोकथाम


जल के प्रदूषन को रोकने के लिए मिट्टी के कटाव को रोकना भी जरूरी है। अगर हम मृदा संरक्षण करके चले तो कुछ हद तक जल प्रदूषण को रोक सकते हैं। मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाने होंगे। हमें इस प्रकार के तरीको को अपनाना होगा जिनसे मिट्टी का कटाव को रोका और पर्यावरण में सुधार लाया जा सके।


स्वच्छ भारत अभियान हो सकता है एक जरिया



स्वच्छ भारत अभियान को पूरी समग्रता से लागू करने के लिए भारत को पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त बनाना जरूरी है।वर्तमान समय में सार्वजनिक स्थानो में जहाँ-तहाँ कचरा फेंकना और खुले में शौच करना भी जारी है।जब बारिश होती है तो यह सब अपशिष्ट और मलमूत्र नदियो या तालाबो में जाकर मिलते हैं और इस प्रकार जलस्रोतो को प्रदूषित कर देते हैं। 


जलस्रोतो एवं समुद्र तटों की सफाई



नदियों एवं तालाबों की नियमित रूप से सफाई जरूरी है, क्योंकि मनुष्यो ने बुरी तरह से इन्हें गन्दा कर दिया है। यही नही लोगो ने भूजल को भी प्रदूषित कर दिया है और समुद्र के पानी में भी प्रदूषण फैला रहा हैं। जहाजों से निकला तेल भी प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है और इसका जीव-जन्तुओ पर बहुत बुरा असर पड़ता है।


जैविक खेती को अपनाना है जरूरी



उत्पादकता बढ़ाने के लिए खेतो में ज्यादातर रासायनिक उर्वरको का इस्तेमाल किया जाता है। ये सभी रासायनिक पदार्थ बारिश के द्वारा तालाबो और नदियो में जाते हैं और जल निकायो को बुरी तरह प्रदूषित कर देते हैं। इसीलिए किसानो को जैविक खेती को अपनाने की जरूरत है।

धरती पर हर एक प्राणी जीवन के लिए जिम्मेदार प्रमुख तत्वों में से पानी भी एक प्रमुख तत्व है, अगर पानी नहीं होता तो पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं होता। हमें जल को प्रदूषण से बचाने के साथ पानी की बचत भी करना जरूरी है। पानी बचाने के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए “पानी बचाओ” पर कुछ दिलचस्प और प्रेरक नारे हैं, जो लोगो को पानी बचाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

पानी बचाने के कुछ नारे-

World Water Day 2021 विश्व जल दिवस पर जानते है पानी के महत्व के बारे में
  • जल इस धरती की आत्मा है, दोनो को कभी अलग ना करें।
  • पानी बचाके पृथ्वी के खून को बर्बाद होने से बचाए।
  • अगर हम अभी पानी की देखभाल करते हैं, तो यह वर्तमान और भविष्य हमेशा हमारी देखभाल करेगा।
  • पानी को संरक्षण करने की आदत सबसे अच्छी आदत है।
  • जीवन जल पर निर्भर करता है और जल संरक्षण हम पर निर्भर करता है।
  • पानी का बचाव करें इन आदतो को अपनाए –
  • सबसे पहले आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए की पानि व्यर्थ न हो और उसका सरंक्षण हो सके। 
  • अगर रोजाना थोड़ा थोड़ा पानी बचाया जाए, तो काफी पानी बच सकता है। 
  • दैनिक जीवन में पानी का जितना आवश्यक हो उतना ही उपयोग करें ताकि पानी की बचत हो सके । 
  • नहाते समय जितना हो सके पानी का बचाव करें बाल्टी भरने पर नल को बंद कर दे व जरूरत पड़ने पर ही जल का उपयोग करें।
  • नल को बंद करते समय उसे ध्यान से बंद करें।

Jhuma Ray
Jhuma Ray
नमस्कार! मेरा नाम Jhuma Ray है। Writting मेरी Hobby या शौक नही, बल्कि मेरा जुनून है । नए नए विषयों पर Research करना और बेहतर से बेहतर जानकारियां निकालकर, उन्हों शब्दों से सजाना मुझे पसंद है। कृपया, आप लोग मेरे Articles को पढ़े और कोई भी सवाल या सुझाव हो तो निसंकोच मुझसे संपर्क करें। मैं अपने Readers के साथ एक खास रिश्ता बनाना चाहती हूँ। आशा है, आप लोग इसमें मेरा पूरा साथ देंगे।
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