पाई को ग्रीक सिंबल (π) से रिप्रेजेंट किया जाता है। यह एक अपरिमेय राशि और एक गणितीय नियंताक है इसका मान 3.14159 के बराबर होता है। इसका संख्यात्मक मान किसी वृत्त की परिधि और उसके व्यास के अनुपात के बराबर होता है। अर्थात ज्यामिति में किसी वृत्त की परिधि की लम्बाई और व्यास की लम्बाई के अनुपात को पाई (π) कहा जाता है। विश्व भर में हर साल 14 मार्च को पाई दिवस मनाया जाता है पाई (π) 3/14 और इसका मान भी लगभग 3.14 होता है इसलिए 14 मार्च को पाई (π) डे मनाया जाता है और यह एक अनंत नियतांक है। आइए जानते हैं कि पाई (π) क्या है, किस दिन पाई डे मनाया जाता है, और इसकी खोज किसने और कब की थी।
अगर (एक्सपोनेंशियल) के साथ इसे सबसे महत्वपूर्ण गणितीय संख्या कहा जाए तो भी यह कुछ गलत नहीं होगा। और इसी महत्वपूर्ण गणितीय संख्या को समर्पित है 14 मार्च का दिन जो पाई दिवस (pi Day) के तौर पर मनाया जाता है। जैसे की हम सब जानते ही हैं, की पाई का मान लगभग 3.14 होता है। इसीलिए 3/14 यानी मार्च महिनें के 14 तारीख को हर साल गणित और विज्ञान प्रेमी पाई दिवस के रूप में मनाते हैं। वैसे तो गणितीय क्षेत्र में पाई दिवस के रूप में मनाया जाने वाला यह कोई अकेला दिन नहीं है। पाई दिवस के साथ ही गणित के क्षेत्र में कई और दिवस मनाए जाते हैं जैसे कि गणित दिवस, वर्गमूल दिवस इत्यादि।
पाई(Pi) क्या है
गणित के पाठ्यक्रम ज्यामिति में पाई को एक अनुपात के रूप में जाना गया है। किसी भी वृत्त में परिधि और व्यास का अनुपात, वृत्त के क्षेत्रफल और त्रिज्या के वर्ग का अनुपात सामान होता है और इस अनुपात को ही पाई कहते हैं। इस गणितीय स्थिरांक की कई विशेषताएं हैं जैसे की यह एक अवास्तविक संख्या (Irrational Number) है। यानि कि इसे क/ख (भिन्न) के रूप में लिखा नही जा सकता। साथ ही यह बीजातीत (Transcendental Number) है, यानि कि यह किसी भी वास्तविक संख्या के गुणांक वाले बहुपदीय समीकरण (Polynomial Equations) का हल नहीं हो सकता।
परिधि के लिए ग्रीक शब्द ‘περίμετρος’ का पहला अक्षर ‘π’ इसका प्रतीक बना। शुरूआति समय में पाई का मान 3 समझा जाता था, लेकिन भारतीय गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त ने दस के वर्गमूल (लगभग 3.16) को ज्यादा सही मान बताया। और फिर आर्कीमिडिज ने बताया की पाई 223/71 और 22/7 के बीच में होता है। और फिर दशमलव के कई अंको तक सही मान निकालने का चलन तो ईतिहास में से चली आई है। यहाँ तक की न्यूटन ने भी एक क्रम (सीरीज) का इस्तेमाल करके 15 अंको तक पाई का मान निकाला था और उन्होंने अपने एक दोस्त से एक बार कहा की मुझे यह बताने में शर्म आती है, कि अपने खाली समय में मैंने इतना बड़ा हिसाब किया।

आज पाई को दशमलव के अरबो अंको तक निकाला गया है। लेकिन यह भी साबित किया गया है कि पृथ्वी के बराबर वृत्त की परिधि को अच्छी शुद्धता तक निकालने के लिए दशमलव के 11 अंको तक तथा हाइड्रोजन के परमाणु के आकार के वृत्त की परिधि के लिए दशमलव के 39 अंको तक पाई का मान पर्याप्त है। पाई की एक और खास बात तो यह है की दशमलव के कितने भी अंको तक निकालने पर दशमलव के बाद के अंको में कोई क्रम नहीं मिलता। लेकिन पाई के मान को निकालने के लिए कई खुबसूरत पैटर्न वाले सीरीज जरूर मिलते हैं। जिनकी जीतनी ज्यादा कड़ियों को जोडें पाई का मान उतना ही ज्यादा शुद्ध प्राप्त होता है।
पाई की खोज
पाई की खोज महान गणितज्ञ आर्यभट्ट ने किया था। पाई (π) के सिद्धान्त की खोज जब यूरोप के लोग गणित सीख रहे थे, तब महान भारतीय गणितज्ञ आर्यभट्ट पाई के जटिल पहेली को सुलझा रहे थे। गणित के क्षेत्र में दशमलव पद्धति का अविष्कार करने वाले और दुनिया को शून्य से अवगत कराने वाले आर्यभट्ट ने ही पाई के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया था।
ओय्लर (Euler) के दिए गए इस सूत्र ने पाई को काल्पनिक संख्याओं (Imaginary Numbers) की दुनिया का एक जरुरी भाग बना दिया। गणित के बाकि भागो को छोड़ भी दिया जाए तो ज्यामिति में तो निर्विवाद रूप से पाई का ही राज चलता है। इसके अलावा अंको को रेडियन में लिखने की परंपरा ने इसे त्रिकोणमिति का भी अभिन्न अंग बना दिया। प्रायिकता (Probability) में भी इसका खूब इस्तेमाल होता है जीसका सबसे बड़ा उदहारण बफ़ौन का सुई (Buffon’s Needle problem) सवाल है।
कब मनाया जाता है पाई डे
दुनिया में हर साल गणितज्ञ मिलकर 14 मार्च को पाई डे सेलिब्रेट करते हैं। पाई डे सबसे महत्वपूर्ण गणितीय और भौतिक नियत अंको में से एक है। पाई ने पाई डे की तारीख को खुद चुना है अगर पाई के मान पर नजर डालें तो हमें 3. 14 प्राप्त होता है और इसीलिए साल के तीसरे महीने 14 तारीख को पाई डे मनाया जाता है। यानि की पाई डे पाई के मान पर ही मनाया जाता है। इसी दिन अल्बर्ट आइंस्टाइन की जयंती और स्टीवन हबकिन्स की पुण्यतिथि भी है।
पाई का इस्तेमाल और इससे जुड़ी रिसर्च काफी लंबे समय से होती आ रही थी। लेकिन 1706 में सबसे पहले विलियम जोंस के द्वारा π का इस्तेमाल किया गया। लेकिन इसे 1737 में लोकप्रियता मिली, जब स्विस गणितज्ञ लियोनार्ड यूलर ने इसे प्रयोग में लाना शुरू कीया। सबसे पहले 1988 में भौतिक विज्ञानी लैरी शॉ ने पाई दिवस मनाया। गूगल ने अपने डूडल में पेस्ट्री, बटर, सेब और संतरे के छिलको का इस्तेमाल किया है। उसके बाद GOOGLE के दूसरे G के लिए भी पाई का ही इस्तेमाल किया गया।

कई सालो से गणित में पाई का इस्तेमाल किया जा रहा है गणित के क्षेत्र में पाई एक कॉन्स्टेंट है। पाई (π) एक गणिताय नियतांक है जिसका संख्यात्मक मान किसी वृत्त की परिधि और उसके व्यास के अनुपात के बराबर होता है। पाई का मान लगभग 3.14159 होता है। गणित में कहा जाता है कि अगर किसी वृत्त का व्यास 1 हो तो उसकी परिधि पाई के बराबर होगी। सबसे पहले साल 2010 में गूगल ने 14 मार्च को वृत्त और पाई के चिह्नों को प्रदर्शित करता हुआ एक डूडल अपने होम पेज पर बनाया था।
पाई की गणना
प्राचीन भारत के इतिहास में पाई की गणना के कई उदाहरण मिलते हैं। गणना के आधार पर विविध आकार-प्रकार की यज्ञ-वेदिया भी बनाई जाती थी आर्यभट्ट ने कुछ कठिन सवालो को सुलझाया था। जैसे, दो समकोण समभुज चौकोन के क्षेत्रफलों का योग करने पर जो संख्या आएगी, उतने क्षेत्रफल का ‘समकोण’ समभुज चौकोन बनाना और उस आकृति का उसके क्षेत्रफल के समान के वृत्त में परिवर्तन करना।
पाई के उपयोग
पाई का इस्तेमाल सबसे ज्यादा नदी की लंबाई बताने के लिए किया जाता है। पूरी नदी की लंबाई काफी घुमावदार होने के कारण इसका सही नाप करने में दिक्कत होती है और पाई का उपयोग किया जाता है। पिरामिड के आकार की गणना करने के लिए भी पाई का इस्तेमाल किया जाता है। दो तलो के बीच की घुमावदार दूरी को मापने के लिए भी पाई का इस्तेमाल होता है, क्योंकि इसके एरिया का हिसाब लगा पाना संभव नही होता।
पाई के मदद से ही हम यह जान पाए हैं कि हमारे ब्रह्मांड अंडाकार आकार का है। और यह जानकारी पिंस्टन यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोफिजिक्स डिपार्टमेंट के चेयरमैन डेविड स्परजेल ने दी। पाई के बारे में तो हर किसी को पता ही होना चाहिए क्योंकि अगर कोई सिर्फ स्कूल तक की ही पढ़ाई की होगी तो भी वो पाई (Pi) से परिचित होगा और अगर उच्चतर गणित के साथ-साथ भौतिकी और अभियांत्रिकी की बात करें तो कदम-कदम पर इस संख्या से मुलाकात होती रहती है।