हर साल विश्वभर में 3 मार्च के दिन विश्व वन्यजीव दिवस मनाया जाता है।दुनियाभर में लुप्त हो रहे वनस्पतियों व जीव-जंतु व विभिन्न प्रजातियों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल यह दिवस मनाया जाता है। इस खास दिवस पर दुनियाभर की सरकारें वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए कई प्रकार के जागरूकता अभियान भी आयोजित करती हैं। तो वहीं संयुक्त राष्ट्र महासभा भी हर साल अलग-अलग थीम के साथ इस खास दिवस को मनाता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस खास दिवस के मौके पर ट्वीट करके वन्यजीवों के संरक्षण के लिए काम करने वाले लोगों की सराहना की है
कैसे हुई थी इस खास दिवस की शुरुआत
पहला विश्व वन्यजीव दिवस 3 मार्च साल 2014 को मनाया गया था। दुनियाभर से लुप्त हो रहे जंगली फल-फूलों के अंतरराष्ट्रीय ट्रेड को प्रतिबंधित करने के लिए 3 मार्च साल 1973 को यूनाइटेड नेशंस के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर हुए थे। इस खास दिन की याद में 20 दिसंबर साल 2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 63वें सत्र में तय हुआ था कि हर साल 3 मार्च को वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे मनाया जाएगा। और 3 मार्च साल 2014 को पहला विश्व वन्यजीव दिवस मनाया गया।
विश्व वन्यजीव दिवस की थीम
विश्व वन्यजीव दिवस के अवसर पर हर साल अलग अलग थीम रखी जाती है। वहीं पिछले साल 2020 में विश्व वन्यजीव दिवस का थीम रखा गया था ‘पृथ्वी पर जीवन कायम रखना’। और इससे भी पहले यानि साल 2019 में ‘पानी के नीचे जीवन: लोगों और ग्रह के लिए’ के थीम पर वाइल्डलाइफ डे का आयोजन किया गया था। और साल 2018 में शेर, बाघ, बिल्ली की प्रजातियों को शिकारियों के खतरे से बचाने के लिए ‘बड़ी बिल्लियो के शिकारियो के खतरे में’ का थीम रखा गया था।

पशुओं और पौधों के करीब 10 लाख से भी ज्यादा प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर है। इस पर नजर रखने वाली संस्था IPBES के मुताबिक इंसानों के इतिहास में ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं बनी है। अमेरिका के ब्राउन यूनिवर्सिटी के मुताबिक 6 करोड़ साल पहले जब इंसान नहीं थे, तब के मुकाबले आज 1 हज़ार गुना ज्यादा तेजी से प्रजातियों की संख्या घट रही है। इस रिपोर्ट के अनुुसार अब जो कुछ भी बचा हुवा है, वर्तमान में उसे बचाने के लिए तुरंत कदम उठाने की आवश्यकता है। वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (WWF) के रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि ताजे पानी में रहने वाले जानवरो की नस्लो में सबसे तेजी से कमी हुई है। साल 1974 से लेकर साल 2018 के बीच करीब 84 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
विश्व वन्यजीव दिवस का उद्देश्य
3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस के रूप में नामित करने का मुख्य उद्देश्य दुनिया के वन्य जीवों और वनस्पतियों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना है। इस दिवस की शुरुआत थाईलैंड द्वारा दुनिया के जंगली जीवों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और मनाने के लिए प्रस्तावित किया गया था। महासभा ने वन्यजीवों के पारिस्थितिक, आनुवांशिक,वैज्ञानिक, सौंदर्य के साथ विभिन्न प्रकार से अध्यापन को बढ़ावा देने को प्रेरित किया। कुल मिलाकर कहा जा सकता है इस दिवस का उद्देश्य विभिन्न जीवों और वनस्पतियों की प्रजातियों के अस्तित्व की रक्षा करना है।
विश्व स्तर पर हर साल 3 मार्च को पृथ्वी पर मौजूद वन्य जीवों और वनस्पतियों की सुंदरता और विविधता के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व वन्यजीव दिवस मनाया जाता है। विश्व वन्यजीव दिवस मनाने के जरिए वैश्विक स्तर पर वन्यजीवों के संरक्षण की दिशा में जागरूकता, सहयोग और समन्वय स्थापित किया जाता है। साथ ही इस दिन वन्य जीवो और वनस्पतियों के संरक्षण के जरिए पृथ्वी पर रहने वाले लोगो को मिलने वाले लाभ के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता हैं। इसके अलावा इस यह दिन हमें वन्यजीव के खिलाफ होने वाले अपराध और मानव द्वारा उत्पन्न विभिन्न व्यापक, आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों के कारण प्रजातियो में होने वाले कमी के खिलाफ लड़ने की आवश्यकता को याद दिलाता है। साल 2020 में इसे “biodiversity super year” (जैव विविधता सुपर वर्ष) के रूप में भी मनाया जा रहा है।
विश्व वन्यजीव दिवस पर क्या होता है
इस दिन विश्वभर में वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए जागरुकता अभियान भी चलाए जाते हैं। विश्व वन्यजीव दिवस के अवसर पर हर साल अलग-अलग थीम के माध्यम से लोगों में जागरुकता फैलाई जाती है। और हर साल रखे जाने वाले थीम लुप्त हो रहे जीवों और प्राकृतिक वनस्पतियों के संरक्षण से संबंधित होते है। विश्व वन्यजीव दिवस हर साल रखी जाती है अलग अलग थीम इस के अवसर पर इन प्रजातियों के संरक्षण, निरंतर प्रबंधन और भविष्य की पहलो के लिए समर्थन बढ़ाने के लिए सफल पहल का भी जश्न मनाया जाता है। हर साल लोगो को अलग-अलग थीम के जरिए प्रकृति से विलुप्त हो रहे जीव, प्रजातियो और प्राकृतिक वस्तुओं का संरक्षण करने के लिए जागरूक किया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने घोषित किया विश्व वन्यजीव दिवस
20 दिसंबर साल 2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने 68वें सत्र में 3 मार्च के दीन विश्व वन्यजीव दिवस घोषित किया था। इसे थाईलैंड की ओर से विश्व के वन्यजीवों और वनस्पतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और मनाने के लिए प्रस्तावित किया गया था। साल 1872 में वन्य जीवों को विलुप्त होने से रोकने के लिए सबसे पहले जंगली हाथी संरक्षण अधिनियम (वाइल्ड एलीफेंट प्रिजर्वेशन एक्ट) पारित किया गया था। Wildlife Institute of India(WII) यानि भारतीय वन्यजीव संस्थान की स्थापना साल 1982 में की गई। यह संस्थान केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अधीन एक स्वशासी संस्थान है। जिसे वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र के प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान के रूप में मान्यता दी गई है।
समुद्री जीव-जंतु अत्यंत दबाव में
एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान समय में समुद्री जीव-जंतु अत्यंत दबाव में है और उन पर जलवायु परिवर्तन तथा प्रदूषण का बेहद असर हुआ है। तटीय प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं और उनका अत्यधिक दोहन किया जा रहा है। एक तिहाई वाणिज्यिक मत्स्य भंडार इसीलिए खत्म हो गया है, क्योंकि मछलियों को लगातार पकड़ा जाता है। तो वहीं दूसरी ओर महासागरीय संसाधनों के गैर सतत उपयोग के कारण कई अन्य प्रजातियो, बड़े बड़े समुद्री पक्षियों से लेकर कछुओ पर संकट मंडरा रहा है।