बसन्त ऋतु पूरे वर्ष की एक ऐसी ऋतु है जिसमें वातावरण का तापमान प्रायः सुखद रहता है। भारत में यह ऋतु फरवरी महिने से मार्च महिने तक होती है। और दूसरे देशों में यह अलग समयों पर हो सकती है। इस ऋतु के विशेषता की बात करें तो मौसम का गरम होना, फूलो का खिलना, पौधो का हरा भरा होना और बर्फ का पिघलना। भारत का एक मुख्य त्योहार है होली जो वसन्त ऋतु में मनाया जाता है। यह एक सन्तुलित (Temperate) मौसम होता है। इस मौसम में चारो तरफ़ हरियलि छा जाति है। पेड़ पौधो पर नए पत्ते उगते है वनस्पतियों की शोभा बढ़ाते हैं। इस ऋतु में कइ लोग उद्यनो, तालाबो मैं घूमने भी जाते है। अब इसी बसंत ऋतु का आगाज हो चुका है। प्रकृति की खूबसूरती के साथ हवा में भी अलग सी चहक आ जाती है।
इस मौसम में हर किसी के मन में मानों एक अलग ही ऊर्जा का संचार होती है। वनस्पतियों की शोभा बढ़ाते हैं। बसंत के साथ साथ मौसम में परिवर्तन तो समान्य होता हैं (spring season)। और यह परिवर्तन न केवल मौसम में ही होता है, बल्कि आस पास के वातावरण के साथ साथ फल और सब्जियों में भी होता हैं। ऋतु और मौसम में होने वाले इन्ही बदलावो को अपनी दिनचर्या में शामिल करके हमें आगे बढ़ना होता है। ताकि हमारी सेहत दुरुस्त रहे। वैसे तो बसंत ऋतु की आहट के साथ ही, बाजार में नए मौसम के फल और सब्जियां आनी शुरू हो जाती हैं। इसलिए आपको यह जानना भी जरूरी है कि मौसम के बदलाव के साथ खानपान में कौन से बदलाव करना जरुरी है(Diet in Spring season)।
बसंत ऋतू उत्तर भारत और इसके समीपवर्ती देशों की छह ऋतुओं में से एक ऋतु है, जो फरवरी, मार्च और अप्रैल के दौरान इन क्षेत्रो में अपना सौंदर्य बिखेरती है। माना जाता है कि माघ महीने की शुक्ल पंचमी से ही बसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है। ऐसे में फाल्गुन और चैत्र महिनें को बसंत ऋतु का महीना माना जाता हैं। फाल्गुन मास हिंदू पंचांग के वर्ष का अंतिम मास होता है जबकि चैत्र पहला मास जब बसंत ऋतु अपना सौंदर्य छोड़ती है। और इस तरह बसंत ऋतु के समय हिंदू पंचांग के वर्ष का अंत और आरम्भ होता है। बसंत ऋतु शीत से ग्रीष्म ऋतु के बीच का समय होता है, जब दोनों ऋतुओं(शीत और ग्रीष्म) का थोड़ा-थोड़ा असर रहता है।
इस ऋतु के आने से सर्दी कम हो जाती है, मौसम अनुकूल और आकर्षक हो जाता है, चारो तरफ का दृश्य सुहावन व सुंदर दिखने लगता है। पेड़ों में नए पत्ते आने लगते हैं, आम के पेड़ो पर नए फल लगने के लिए पेड़ बैरो से लद जाते हैं और खेत सरसों के फूलों से हरे भरे पीले दिखाई देते हैं I चारो तरफ हरियाली और हरियाली छाई रहती है। इसीलिए रंगो से भरे उत्सव मनाने के लिए यह ऋतु सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।
* बसंत ऋतु के अन्य नाम
बसंत ऋतु के सौंदर्य को देखते हुए इसे ऋतुराज के नाम से भी जाना जाता है साथ ही इस ऋतू को सभी ऋतुओ का राजा कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक बसंत को कामदेव का पुत्र कहा गया है। बसंत ऋतु का वर्णन करते हुए कहा गया है कि रूप व सौंदर्य के देवता कामदेव के घर पुत्र होने की खबर मिलते ही पूरी प्रकृति झूम उठती है। पेड़ पौधे उसके लिए नव पल्लव का पालना सजाते है, फूल वस्त्र पहनाते हैं। पवन झूला झुलाती है और कोयल नए गीत सुनाकर मन बहलाती है। भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है की ऋतुओं में भी मैं बसंत ऋतु के रूप में मौजूद हूँ।
* बसंत ऋतु में मनाय जाने वाले त्योहार
वसंत ऋतु में बसंत पंचमी(सरस्वती पूजा) शिवरात्रि तथा होली नामक पर्व मनाए जाते हैं। भारतीय संगीत साहित्य और कला में इस ऋतु को महत्वपूर्ण दिया गया है। संगीत में बसंत के नाम पर एक विशेष राग बनाया गया है, जिसे राग बसंत कहते हैं। इसके अलावा बसंत राग पर चित्र भी बनाए गए हैं।
* बसंत ऋतु में बीमार होने से बचने के लिए बरते कुछ सावधानी
इस ऋतु में सर्दी का प्रभाव कम होना शुरू हो जाता है और तापमान धीरे-धीरे गर्म होने लगता है। पाचन क्षमता की प्रबलता के वजग से सर्दी के मौसम में अक्सर हम हैवी डाइट (heavy diet) लेते हैं। जो कफ (cough) के रूप में शरीर में जमा हो जाती है। और जब बसंत का सीजन आता है तो यह कफ पिघल कर शरीर में कई सारी बीमारियों को जन्म देने लगते है। जैसे कि एलर्जी, खांसी, बुखार, सांस की बीमारी, गले में संक्रमण, सांस फूलना, पाचन विकार इत्यादि।

मौसम बदलने के साथ साथ खाने-पीने की आदतों में बदलाव करना भी जरूरी होता है। मौसम के साथ मौसमी आहार का सेवन करना सेहत लिए फायदेमंद होता हैं। इससे शरीर को सही पोषण मिलता है, जिससे शरीर स्वस्थ रहता है और विकास अच्छा होता है। दरअसल मौसमी आहारों का पूरा फायदा सीजन के मुताबिक होती है। इसलिए अगर आप मौसमी फलों, सब्जियों और भोजन का सेवन करेते हैं, तो आप हमेशा स्वस्थ रहेंगे। मौसम के अनुकूल फल और सब्जियों का सेवन (seasonal fruits and vegetables) ना केवल हमें शारीरिक रूप से फिट रखता है अपितू मानसिक रूप से भी शांत रखता है। अक्सर बेमौसम सब्जियों को दवाओं का उपयोग करके, इंजेक्शन के प्रयोग इत्यादि के माध्यम से उगाया जाता है। जो हमारे शरीर में जाकर कई तरह के भारी बीमारियों का खतरा पैदा कर देती हैं। इसीलिए खान पान में हमेशा मौसम का ध्यान रखना जरुरी होता है। बसंत ऋतु में कफ की अधिकता जठराग्नि को धीमा कर देती है। और इसीलिए इस मौसम में भुने हुवे चने, कच्ची हल्दी, मूली, अदरक, पुराने जौ-गेहूं, साबुत मूंग से बने दलिया व आटा खाने की सलाह दी जाती हैं।
नियमित रूप से यह काम करें
* ज्यादातर रूखा, कड़वा, तीखा, कसैला और रस वाली चीजों का प्रयोग करें।
* सुबह खाली पेट तीन से चार ग्राम बड़ी हरड़ का चूर्ण शहद के साथ लें।
* 15 दिनो तक नियमित रूप से शुद्ध घी, शहद और दूध पिया करें इससे कफ बाहर निकलता है।
* साल भर पुराना जौ, गेहूं, चावल का प्रयोग करना चाहिए, इससे सुपाच्यता बढ़ति है।
* सूर्योदय से पूर्व दैनिक कार्य से निवृत होकर व्यायाम, योगासन करना चाहिए।
* सुबह के समय तेल से मालिश करके 20-30 मिनट तक धूप में रहें।
आयुर्वेद के मुताबिक इस समय सूर्य की तेज किरणों के कारण शरीर में संचित कफ दोष प्रकुपित हो जाते हैं। जिससे शरीर की अग्नि धीमी हो जाने के कारण शरीर में अनेक रोग होने लगते हैं जैसे की भूख कम लगना, सर्दी, जुकाम, पाचन शक्ति कम होना, एलर्जी इत्यादि।
इस समय अपने दैनिक जीवन में इन चीज़ों को जरूर शामिल करें
* बसंत ऋतु में ज्यादातर आसानी से पचने वाले द्रव्यों का प्रयोग करना चाहिए। जैसे की जौ ,गेहूं, चावल आदि से बने खाद्य पदार्थ, दालों मे मटर-मूंग की दाल, सब्जियों मे करेला, बैंगन, मूली, सहजन आदि खाना चाहिए।
* खाना बनाने में तिल या सरसों के तेल का प्रयोग करना चाहिए।
* धनिया, तुलसी ,नीम ,जीरा आदि का विशेष रूप से प्रयोग करना चाहिए।
* खाने के चीज़ो में प्याज, लहसुन, अदरक इत्यादि का प्रयोग करना चाहीए।
* कफ को कम करने के लिए शहद का प्रयोग करना चाहिए।
* ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन कम करना चाहिए जो देर से पचने वाले होते है जैसे कि ठंडे, चिकनाई युक्त वस्तुएं, तले- भुने, खट्टे-मीठे पदार्थ ,दही आदि का सेवन कम से कम करें।
* नहाने में गुनगुने पानी का प्रयोग करना चाहिए।
* नियमित रूप से व्यायाम करें और चन्दन के चूर्ण से शरीर पर उद्वर्तन करना चाहिए।
* बसंत ऋतु के दौरान दिन में नहीं सोना चाहिए।

साल भर में 6 ऋतु होते है और हर एक मौसम के अपने अपने अलग अलग विशेष लक्षण होते है। जो पृथ्वी पर रहने वाले जीव जंतुओं से लेकर वनस्पतियों पर अपना प्रभाव डालते हैं। अगर हम अपने दैनिक जीवन और खानपान में थोड़े बदलाव कर लें तो हमें कई तरह की बीमारिया जो बदलते मौसम के साथ होती है उनसे काफी हद तक छुटकारा मिल सकता हैं। इसीलिए आयुर्वेद में हर एक ऋतु के अनुसार कुछ खास आहार विहार के बारे में बताया गया है। आयुर्वेद में सूर्य की गति के अनुसार दो आयन होते है उत्तरायण और दक्षिणायन। और हर एक आयन में तीन ऋतुएं होती है जैसे – उत्तरायण में शिशिर, बसंत और ग्रीष्म तथा दक्षिणायन में वर्षा, शरद और हेमंत।
बसंत ऋतु का स्वागत होता है बसंत पंचमी से
बसंत पंचमी के पर्व से ही बसंत ऋतु का आगमन हो जाता है। जिस तरह व्यक्ति ने जीवन में बदलाव का स्वागत किया है वहीं त्योहारों के रूप में परंपरा में शामिल होता गया है। बसंत पंचमी ऋतुओं के उसी सुखद बदलाव का स्वागत समारोह होता है। धार्मिक महत्व से देखा जाए तो यह त्योहार विद्या की देवी सरस्वती की पूजा से संबंधित है। जो पूरे भारत में बेहद उल्लास के साथ मनाया जाता है।
बसंत पंचमी का मतलब होता है शुक्ल पक्ष का पांचवा दिन। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार जनवरी-फरवरी तथा हिंदू तिथि के अनुसार माघ फाल्गुन में मनाया जाता है। बसंत पंचमी बसंत ऋतु का राजा यानी सर्वश्रेष्ठ ऋतु माना जाता है। इस समय पंचतत्व अपना प्रकोप छोड़कर सुहावनी रूप में प्रकट होते हैं। पंचतत्व माने जाने वाले धरती, आकाश, जल, वायु और अग्नि सभी अपना मोहक रूप दिखाते हैं, दरअसल इस समय मौसम और प्रकृति में मनमोही बदलाव होते हैं।
इन श्रृंगारी बदलावो ने हमेशा से कवियो को सदैव अपनी ओर आकर्षित किया है और इसीलिए बसंत ऋतु हमेशा से कविता का विषय बना रहता है। क्योंकि यह इतना ही है रायजादा तरह भाषा के कवि ने बसंत का अपना तरफ से वर्णन किया है।बसंत ऋतु का आरंभ बसंत पंचमी से होता है। इसी दिन सरस्वती अर्थात विद्या की अधिष्ठात्री देवी महासरस्वती का जन्मदिन माना जाता है। बसंत ऋतु कवियों को अपनी कला दिखाने के लिए अपनी और आकर्षित करता है। इसीलिए बसंत ऋतु से कला, सौंदर्य की देवी सरस्वती माता का संबंध है। क्योंकि बसंत ऋतु को देखकर हर एक कलाकार के मन में उमंग जग जााते हैं।
नृत्यकार के पैर थिरकने लगते है उसमें भी कला की एक अनोखी बात होती है। जो कि बसंत ऋतु और मां सरस्वती के संबंध को बयान करती है। गीतकार के गीत के बोल भी इस ऋतु के आधार पर बनकर तैयार होते हैं। जो कि माता सरस्वती के देन का फल है। इसी तरह आप किसी भी कला को देखें तो वो बसंत ऋतु में खिल उठते हैं। क्योंकि बसंत ऋतु में माता सरस्वती का स्थान है। इस महिनें माता सरस्वती का जन्म होने के कारण यह महीना हर एक कलाकार को लुभाती है।
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